मृणाल पाण्डेय का जीवन परिचय

मृणाल पाण्डेय का जन्म टीकमगढ़ मध्यप्रदेश में 26 जनवरी 1946 को हुआ था। इनकी माँ भी इनकी जैसी जानी-मानी उपन्यासकार शिवानी जी हैं।

मृणाल पाण्डेय बचपन से अपनी माँ शिवानी के कहानी को सुनती थी तथा उन्हें वह काफी पसंद भी थी। मृणाल जी बचपन से ही होनहार बालिका रही हैं वे हमेशा चाहती थी कि साहित्य जगत में वे कुछ अनोखा करे और इसी अनोखे कल्पना को लेकर उड़ान भरने लगी।

इन्होंने अपने प्राथमिक शिक्षा नैनीताल में पूर्ण की। इसके बाद इन्होंने इलाहाबाद (प्रयाग) विश्वविद्यालय से एम. ए. अंग्रेजी साहित्य फिर संस्कृत, प्राचीन भारतीय इतिहास, इसके साथ उन्होंने गन्धर्व महाविद्यालय से संगीत विशारद तथा कॉरकोरम स्कूल ऑफ आर्ट, वाशिंगटन तथा चित्रकला एवं डिजाइन का विधिवत अध्ययन किया ।

मृणाल पाण्डेय जी ने संगीत को सीखा क्योंकि उन्हें संगीत से काफी प्रेम था और इसकी जानकारी उन्होंने बड़े ही रुचि के साथ लिया। उन्होंने अपने लेखनकार्य को कविताओं से ही प्रारंभ किया।

मृणाल पाण्डेय का आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। हिन्दी साहित्य जगत में एक जानी-मानी शख्सियत के रूप हैं। उनका साहित्य स्त्री के प्रश्नों के विभिन्न पक्षों को आधार बना कर लिखा गया है। यह पहली महिला है जिन्होंने पत्रकारिता में अपना पहला कदम रखा।

मृणाल पाण्डेय का पारिवारिक जीवन ही साहित्यिक था। उनकी माँ शिवानी हिन्दी की महान लेखिका मानी जाती हैं जिस तरह एक आदर्श माँ के संरक्षण में बेटी सभी कार्यों में कुशल एवं दक्ष गृहणी बन जाती है। उसी तरह मृणाल भी अपनी माँ के देखभाल और पालन के कहीं जरूर शब्द झरे होंगे जो कि मृणाल ने अपने अंजुरी में भर लिए होंगे। शिवानी अपने छोटे-छोटे बच्चों की कहानियाँ लिखकर सुनाती थी उनकी तीनों सन्तानों में से मृणाल उनकी कहानियों की सबसे बड़ी समीक्षक थी। मृणाल अपनी माँ के बारे में लिखती “जब माँ लिखती रहती थी तो यह कभी न लगा ये कुछ विशेष है। बस जैसे वे खाना बनाती, सफाई करती थी, वैसे ही लिखती भी थी और फिर भारती जी को छापने के लिए भेज देती थी। वैसे ही जब मेरी भी शादी हुई तब मैंने पाया मेरे कहने को कुछ नहीं है । सब समय था तब मैंने कहानी लिखकर भारती जी को भेज दी और वह कहानी छप गयी । "  अपने माँ की तरह मृणाल जी का भी साहित्य में प्रवेश हुआ ।

मृणाल के साहित्य में जीवन के यथार्थ का चित्रण मिलता है। वह अपने साहित्य में काल्पनिक चित्रण नहीं करती। बल्कि जीवन के संघर्ष की कहानी कल्पना में चित्रित करने का प्रयास करती है । मृणाल जब भारत की दरिद्र जनता को एक-एक दाने के लिए तरसती देखती है तो उनका हृदय पिघल उठता है और वह इसी दरिद्र जनता का चित्रण अपने साहित्य में रेखांकित करती है । मृणाल ने अपने साहित्य में सामाजिक समस्या, पारिवारिक विघटन, रूठी परम्पराओं, कटुतापूर्ण दाम्पत्य जीवन का चित्रण किया है।

मृणाल पाण्डे हिन्दी साहित्य की सशक्त महिला लेखक होने के साथ-साथ एक कामयाब पत्रकार भी हैं। उन्होंने अपने नौकरी की शुरुआत दिल्ली, प्रयाग, भोपाल में अध्यापन कार्यों से किया परंतु मृणाल जी इस पेशे से ना खुश थी। वे अध्यापन के क्षेत्र से कुछ हटकर करना चाहती थी। वह दूसरी महिलाओं से हटकर कुछ करना चाहती थी। उन्होंने हिन्दी समाचार एजेंसी में काम करने का फैसला लिया और यही फैसला माँ को बताने की खबर देने वाली थी परंतु माँ को यह पहले से आभास हो मानो ऐसा लग रहा था उन्होंने मृणाल से कहा कि “क्या तू यह सब झेल सकेगी? क्या तू यह सब करना चाहती - राजनेताओं की संगति में ज्यादा दिखनेवाली औरतों को मर्द सम्मान के साथ नहीं देखते। हम जैसी सामान्य स्त्रियों का इस क्षेत्र में कार्य करना अच्छा नहीं माना जाता है। इसमें राजनेताओं के साथ तुम्हें जुड़े रहना पड़ सकता है।"64 वे कई वर्ष इलाहाबाद, दिल्ली, भोपाल विश्वविद्यालयों में अध्यापन के बाद पत्रकारिता के क्षेत्र में आ गई ।

मृणाल पाण्डेय का कृतित्व

मृणाल पाण्डे जी ये साप्ताहिक हिन्दुस्तान व वागा की संपादक रही इसके बाद दैनिक हिन्दुस्तान की कार्यकारी सम्पादक भी रही। स्टार न्यूज और दूरदर्शन के लिए समाचार बुलेटिन का सम्पादन किया और इसके अलावा ये लोकसभा चैनल के साप्ताहिक साक्षात्कार कार्यक्रम बातों-बातों में संचालन भी करती है। 

उपन्यास

1) पटरंगपुर पुराण
2) रास्तों पर भटकते हुए
3) अपनी गवाही
4) विरुद्ध
अनुदित उपन्यास
1) हमका दियो परदेस
2) देवी
उपन्यास (अंग्रेजी)
1) द डाटर्स डॉक्टर
2) माई ओन बिटनेस

कहानी–संग्रह

1) दरम्यान
2) शब्द वेधी
3) एक नीच ट्रेजिडी
4) एक स्त्री का विदागीत
5) यानी कि एक बात थी
6) बचुली चौकादारिन की कढ़ी 7) चार दिन की जवानी तेरी
लघु कहानी
1) चिमगादड़े
2) बिच
3) बिब्वो

नाटक

1) मौजूदा हालात को देखते हुए
2) जो रामरचि राखा
3) चोर निकल के भागा
4) आदमी जो मछुआरा नहीं था

अनुवाद

काजर की कोठरी

निबन्ध

1) परिधि पर स्त्री
2) स्त्री : देह की राजनीति से देश की राजनीति तक सम्पादन

बद गलियो के विराध्य

आलेख

जहाँ औरते गढ़ी जाती हैं, ओब्बीरी

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