कार्यक्रम का अर्थ सरल है। उसका वही अर्थ है जो योजना का है, इस तरह भी कहा जा सकता है कि कार्यक्रम और योजना एक ही शब्द के दो पर्याय हैं। इसके विपरीत समुदाय शब्द के अनेक अर्थ हैं । किन्तु यहाॅ समुदाय का अर्थ 'एक ही स्थान में रहने वाले तथा समान अधिकारों आदि का उपभोग करने वाले व्यक्तियों का निकाय । यहाँ 'आदि' शब्द अत्यन्त सार्थक है । सामुदायिक विकास कार्यक्रमों में अधिकार तथा उनके प्रवर्तन की अपेक्षा कर्तव्यों तथा उनके निष्पादन पर अधिक बल दिया जाता है ।
'समुदाय' तथा 'कार्यक्रम का यह शाब्दिक अर्थ है । किन्तु विचार अभी स्पष्ट नहीं हुआ । ग्रामीण जनता के रहन-सहन के स्तर में सर्वतोमुखी सुधार करने का सचेत प्रयत्न ही सामुदायिक विकास कार्यक्रम है। दूसरे शब्दों में यह करोड़ों लोगों की समृद्धि योजना है। सरकार ग्रामीण जनता को वित्तीय तथा तकनीकी सहायता द्वारा प्रेरणा देती है, किन्तु कार्यक्रम को पूरा करने का कार्य स्वयं ग्रामीण जनता को करना है। इसका अर्थ है कि सामुदायिक विकास कार्यक्रम देश की जन-शक्ति तथा भौतिक साधनों को प्रयुक्त करना चाहता हैं, जिनका अब तक प्रयोग नहीं किया गया है तथा जिनका बुद्धिमानी से प्रयोग करने पर सामाजिक, आर्थिक सांस्कृतिक आदि सभी क्षेत्रों में जनता के रहन-सहन की स्थिति में तात्विक सुधार किया जा सकता है। विकास कार्यक्रम तत्वतः तथा अधिकांशतः जनता की, जनता द्वारा तथा जनता के लिए परियोजना है।
सामुदायिक विकास कार्यक्रम सन् 1952 में मार्गदर्शी आधार पर चुने हुए क्षेत्रों में प्रारम्भ किया गया। उन क्षेत्रों को 'सामुदायिक - परियोजनाएं' नाम दिया गया था । मूलतः सम्पूर्ण देश में पचपन सामुदायिक परियोजनाएं प्रारम्भ की गयी थीं। एक सामुदायिक परियोजना के अन्तर्गत लगभग 300 गाँव तथा 3 लाख की जनसंख्या होती थी और उसका तीन वर्ष के लिये 65 लाख रूपये का बजट होता था। चूँकि प्रमुखता कृषि उत्पादन को दी गयी थी, इसलिए ऐसे क्षेत्र को चुना गया था, जहां सिंचाई की सुविधाएं थीं अथवा निश्चित रूप से वर्षा हुआ करती थी। आगे चलकर परियोजना का आकार घटा दिया गया और पैंसठ हजार की जनसंख्या वाले क्षेत्रों में सामुदायिक विकास खण्ड स्थापित किये गये और प्रत्येक खण्ड के लिए तीन वर्ष के लिए 15 लाख रूपये का बजट निर्धारित किया गया
सामुदायिक कार्यक्रम के उद्देश्य
सामुदायिक कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य अधिकतम लोगों का अधिकतम कल्याण करना है।