विदेशी सहायता क्या है ?

अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में विदेशी सहायता एक अवधारणा के रूप में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का विकास है किन्तु तब से अब तक विदेशी सहायता, विदेश नीति का एक प्रभावी उपकरण रही है, विशेषकर महाशक्तियों की विदेश नीति के संदर्भ में विशेषकर सम्पूर्ण शीत युद्ध काल में । विदेशी सहायता के कारक अब यद्यपि किंचित परिवर्तित हो गये है । लेकिन यह अब भी विदेश नीति का सर्वाधिक प्रभावी उपकरण बना हुआ है । क्योंकि एक देश अरबों डालर की सहायता वर्ल्ड बैंक से पाता है, जबकि उन्हीं परिस्थितियों में दूसरे देश को सहायता से वंचित होना पड़ता है । और यह सब तय होता है उस कूटनीति से जो सहायता के पीछे चल रही होती है। इस प्रवृत्ति के चलते हालिया वर्षों में सहायता कूटनीति-aid diplomacy का नया पदबन्ध प्रचलित हो गया है ।

विदेशी सहायता (Foreign aid) को सामान्यतः अन्तः सरकारी हस्तांतरण INTER GOVERNMENT TRANSFER के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसका उद्देश्य ग्रहणकर्ता देश में आर्थिक विकास को गति देना होता है । '

विदेशी सहायता धन सामग्री और सेवाओं के एक देश (दाता ) से दूसरे देश (ग्रहणकर्ता) को हस्तांतरण का नाम है । यह आर्थिक सहायता की एक व्यवस्था है जो कि विकसित देशों द्वारा गरीब या कम विकसित देशों को दी जाती है । "

विदेशी सहायता सामग्री, धन सेवाओं एवं तकनीकि का एक देश से दूसरे देश को रियायती दर पर हस्तांतरण का नाम है ।

विदेशी सहायता धन, तकनीकि ज्ञान, सैन्य उपकरण, आदि का धनी देश से निर्धन देश की ओर प्रवाह है । जिसका वित्त पोषण अनुदान एवं दीर्घकालिक रियायती ऋणों द्वारा किया जाता है, विदेश नीति के दीर्घकालिक उद्देश्य जो इन सहायता कार्यक्रमों से पूर्ण किए जाते है, उनके कारण विदेशी सहायता के निहितार्थ और अधिक गम्भीर व्यापक हो जाते है । इस अवधारणाओं के अनुसार विदेशी सहायता एक व्यापक अवधारणा है, जिसमें सरकारी हस्तांतरण, ऋण अनुदान, तकनीकि सहायता, ट्रेनिंग प्रोग्राम, सैन्य सहायता एवं बहुपक्षीय सहायता आदि सभी कुछ समाहित किया जा सकता है ।

विदेशी सहायता के मुख्य स्रोत 

विदेशी सहायता के मुख्यतः दो स्रोत है

1-वैयक्तिक सहायता या हस्तांतरण
2- अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सहायता या हस्तांतरण। 

जैसे- वर्ल्ड बैंक आई. एम. एफ., संयुक्त राष्ट्र संघ परिवार के संस्थान जैसे - यूनीसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन, आदि। इनमें प्रथम द्विपक्षीय हस्तांतरणbi-lateral tranfer है जबकि द्वितीय बहुपक्षीय हस्तांतरण multilateral transfer. है । बहुपक्षीय हस्तांतरण को पुनः दो भागों में विभाजित किया जा सकता है ।

1- सरकारी संगठन inter governmental organisation - जैसे ओपेक, जी-8, नाटो, एपेक, आसियान, यूरोपिय संघ आदि। इसमें सदस्य राज्य सीधे प्रत्यक्षतः अंशदाता एवं कर्ता- donar and actor होते हैं ।

2- गैर सरकारी संगठन non-governmental organiation -  जैसे- विश्व बैक, आई.एम.एफ. इनमें सरकारें अंशदाता तो होती है लेकिन प्रत्यक्ष कर्ता नही होती बल्कि संगठन, कार्यकरण में स्वतंत्र होते है ।

इस वर्गीकरण के बावजूद सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों का विदेशी सहायता प्रदान करने में एकाधिकार नहीं है । कुछ गैर राज्यीय या परा राज्यीय संस्थान ultra governmental organisation भी हैं जो विभिन्न कल्याणकारी और विकासात्मक कार्यों हेतु सहायता प्रदान करतें है। जैसे रेड क्रास सोसायटी तथा ग्रीनपीस एवं डब्लू. डब्लू. एफ. जैसे वृहदाकार एन. जी. ओ. । इसके अतिरिक्त अनेक अन्य बड़े गैर सरकारी संगठन जो पर्यावरण, मानवाधिकार, आदिवासी अधिकार, स्त्री सशक्तीकरण जल प्रबंधन, वन प्रबंधन आदि से संबंधित है । वे भी सहायता प्रदान करतें हैं । इसके अलावा कई बहुराष्ट्रीय व्यापारिक संगठन भी हैं आजकल सहायता प्रदान करते हैं। 

जैसे माइक्रो साफ्ट के मालिक बिल गेट्स ने भारत को एड्स की रोक-थाम हेतु 100 मिलियन डालर का अनुदान प्रदान किया । "

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