बुन्देलखण्ड का संक्षिप्त परिचय

बुन्देलखण्ड भारत के उत्तरी भाग में अवस्थित वह भूखण्ड है जिसके उत्तर भारत में यमुना नदी उत्तर पश्चिम में चम्बल दक्षिण में नर्मदा नदी तथा सागर जबलपुर के डिवीजन और दक्षिण पूर्व मे रीवा या बुन्देलखण्ड तथा मिर्जापुर की पहाडिया है।

इसके पश्चात् भारत की स्वतत्रता-प्राप्ति के पूर्व बुन्देलखण्ड के उत्तरी भाग मे हमीरपुर जालौन झॉसी ललितपुर बाँदा के पाँच मध्य मे ओरछा समधर दतिया के राज्य तथा चरखानी छत्रपुर पन्ना विजावर की छोटी रियासतें और दक्षिणी भाग में सागर दमोह जबलपुर के तीन जिले है। अब स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात राज्यों रियासतों के क्लीनिकरण तथा प्रान्तो के पुनर्गठन के फलस्वरूप बुन्देली बोली एवं रीति रिवाज की दृष्टि से बुन्देलखण्ड मे निम्नलिखित जिले आते है उत्तर प्रदेश के झॉसी जालौन ललितपुर बॉदा हमीरपुर और मध्य प्रदेश के सागर दमोह लबलपुर टीकमगढ़ छत्रपुर पन्ना दतिया तथा ग्वालियर जिले का दक्षिणी भाग । 

गौरतलब है कि प्रस्तुत भू भाग का नाम बुन्देलखण्ड प्रचलित होने के सम्बन्ध मे एक किवदन्ती है। किवदन्ती है काशी के गहरवार राजा के वशज वीर बहादुर के पाँच पुत्र थे। पाचवाँ पुत्र पचम रहा। सन् 1170 में पचम के भाइयों ने राज्य के भाग से वंचित कर दिया। निराश पचम ने राज्य प्राप्ति हेतु मिर्जापुर के पास विन्ध्याचल में दुर्गा की सेवा में तप किया। अन्त में उसने गला काटकर देवी की भेट करना चाहा। इस प्रयास में पचम के गले से रक्त की बूँद टपकी। दुर्गा प्रकट हुई और पचम की कामना पूर्ण हुई। पचम की सन्तान बुन्देला कहलायी और उनकी राज्य भूमि बुन्देलखण्ड। कुछ लोगों का अनुमान है कि विन्ध्येलखण्ड से बुन्देलखण्ड का सम्बन्ध जोडते है। सन् 1288 मे बुन्देलखो का शासन स्थापित हुआ। इसके पश्चात महाभारत काल से मौर्य काल तक यह भूभाग दशार्ण के नाम से प्रचलित रहा। गुप्तकाल में जेजाक कदाचित इस प्रान्त के अधिकारी था उसी के नाम पर जजाग-मुक्ति इसका नाम पडा। चन्देलो के काल में नाम का अपभ्रश जिझोती या जुझौती हो गया। ऐसा प्रमाण इतिहास से प्राप्त होता है।'

स्थानीय परम्परा के अनुसार यहाँ के पहले अधिकारी गोड थे। उनके उपरान्त पडिहारो तथा चन्देलो का राज्य स्थापित हुआ। चन्देलो के काल मे इस भूखण्ड की आश्चर्यजनक उन्नति हुआ और शासनभार पृथ्वीराज के सूबेदार खगार खेतसिह पर चला गया। खगार स्वतंत्र प्राय हो गये। उनकी राजधानी कुण्डार रही। 1288 मे बुन्देली राज्य स्थापित हुआ। 1531 में राजा रूद्रप्रताप बुन्देला ने ओरछा का राज्य स्थापित किया। राजा रूद्रप्रताप ने ओरछा मे राजधानी बनायी और पूरे राज्य का पुन संगठन किया। तभी बुन्देलखण्ड की सम्पूर्ण पृथ्वी एक सूत्रता मे बंधी। राजा छत्रसाल ने मुहम्मद वंशज से टक्कर लेने के लिए मरहठो को आमंत्रित किया और पुरस्कार स्वरूप उन्हें भूमि का एक भाग प्रदान किया। उसके पश्चात बुन्देलखण्ड मे मरहठो और अंग्रेजों की राज्यसत्ता का काल आता है।

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