विश्व व्यापार संगठन क्या है? यह कब और क्यों स्थापित किया गया

गैट के अन्तिम सम्मेलन में विश्व व्यापार संगठन की स्थापना के लिए विधिवत प्रस्ताव पारित किया गया। प्रारम्भ में इस सम्मेलन में सदस्य राष्ट्रों के बीच गहरे मतभेद थे लेकिन धीरे-धीरे ये मतभेद कम होते गए क्योंकि इस चक्र में 8 वर्ष लगे अन्त में 15 अप्रैल 1994 को सभी 123 देशों के प्रतिनिधियों ने इस प्रस्ताव पर अपने हस्ताक्षर कर दिए। जिसके फलस्वरूप 1 जनवरी 1995 को विश्व व्यापार संगठन की स्थापना हुई। विश्व व्यापार संगठन का मुख्यालय जेनेवा में है जो स्वीटजरलैण्ड की राजधानी है। W.T.O. के स्थापना के मुख्य रूप से तीन उद्देश्य हैं-

(1) विदेशी व्यापार की इस प्रकार से सहायता करनी कि वह जहाँ तक सम्भव हो स्वतन्त्र रूप से चल सके।

(2) व्यापार सम्बन्धी बातचीत के लिए एक मंच के रूप में कार्य करना।

(3) सदस्य राष्ट्रों के बीच मतभेदों को सुलझाना।

विश्व व्यापार संगठन के सिद्धान्त

विश्व व्यापार संगठन के प्रमुख रूप से पाँच सिद्धान्त हैं-

(1) व्यापार बिना किसी भेदभाव के।

(2) स्वतन्त्र व्यापार समझौते के माध्यम से।

(3) भविष्यवाणी

(4) उचित प्रतियोगिता का विकास।

(5) विकास और आर्थिक सुधार को प्रोत्साहित करना।

विश्व व्यापार संगठन संरचना व कार्यप्रणाली

विश्व व्यापार संगठन सदस्य देशों का एक व्यापारिक संगठन है। इस समय इसके 149 देश सदस्य हैं। इसका मुख्यालय जेनेवा (स्विटजरलैण्ड) में है। इस संगठन को चार भागों में विभाजित कर सकते हैं 

(1) सर्वोच्च अधिकारी (2) द्वितीय स्तर

(3) तृतीय स्तर (4) चतुर्थ स्तर ।

विश्व व्यापार संगठन के समझौते में तीन प्रकार के समझौते हुए हैं।

(1) सीमा शुल्क और व्यापार पर सामान्य समझौता (G.A.T.T.)

(क) टेक्सटाइल एवं कपड़ो का समझौता ।

(ख) कृषि के सम्बन्ध में समझौता।

(2) सेवाओं के व्यापार पर सामान्य समझौता (GATS)-

इसके अन्तर्गत आर्थिक सेवाएं, दूर संचार सेवाएं, परिवहन सेवाएं आदि शामिल है।

(3) व्यापार से सम्बन्धित बौद्धिक सम्पत्ति अधिकार समझौता (TRIPS)-

इसमें मानव के बौद्धिक सम्पत्ति के अधिकार को सुरक्षित रखने की बात की गई है। इसमें पेटेन्ट, कापीराइट, ट्रेडमार्क औद्योगिक डिजाइन आदि शामिल है।

विश्व व्यापार संगठन के कार्य

(1) व्यापार एवं प्रशुल्क से सम्बन्धित किसी भी मसले पर सदस्य देशों के बीच विचार- विमर्श हेतु एक मंच के रूप में कार्य करना।

(2) विश्व व्यापार समझौता एवं बहुपक्षीय तथा बहुवचनीय समझौते के क्रियान्वयन, प्रशासन एवं परिचालन हेतु सुविधाएं उपलब्ध कराना।

(3) व्यापार नीति समीक्षा प्रक्रिया से सम्बन्धित नियमों एवं प्रावधानों को लागू करना।

(4) विवादों के निपटारे से सम्बन्धित नियमों एवं प्रक्रियाओं को प्रशासित करना।

(5) विश्व आर्थिक नीति के निर्माण में अधिक सामंजस्य भाव स्थापित करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व बैंक से सहयोग प्राप्त करना।

(4) गैट एक ऐसा मंच था जिसपर सदस्य देश विश्व व्यापार समस्याओं पर विचार करने और उन्हें सुलझाने के लिए दशक में केवल एक बार मिलते थे। लम्बे और दीर्घकालीन विचारों के परिणाम कई दशकों में निकलते थे। जबकि दूसरी ओर WTO सुस्थापित, नियमबद्ध विश्वव्यापार संगठन हैं जहां समझौते पर निर्णय समयबद्ध होते हैं। दिनांक अवधि केवल सदस्यों के मत द्वारा ही बढ़ाई जा सकती है।

(5) गैट के नियम केवल वस्तुओं के व्यापार पर ही लागू होते थे। उरूग्वे दौर में सेवाओं का व्यापार भी शामिल किया गया, परन्तु उस पर कुछ समझौता नही हो सका। WTO के अन्तर्गत केवल वस्तुओं एवं सेवाओं का व्यापार ही नही आता, वरन बौद्धिक सम्पत्ति अधिकार के व्यापार सम्बन्धी विषय तथा कई और समझौते भी आते हैं।

(6) गैट का एक छोटा कार्यालय था जिसे एक डाइरेक्टर जनरल देखता था। WTO का एक विशाल कार्यालय और विराट कर्मचारी तंत्र है।'

गैट तथा विश्व व्यापार संगठन में अन्तर

WTO गैट का विस्तार नहीं है परन्तु उसका उत्तराधिकारी है। उसने गैट को पूर्णतः प्रतिस्थापित कर दिया है और इसका एक भिन्न स्वरूप है। दोनों में निम्नलिखित अन्तर है।

(1) गैट की कोई कानूनी स्थिति नही थी। WTO की कानूनी स्थिति है। इसका जन्म अन्तर्राष्ट्रीय संधि के अन्तर्गत हुआ है। जिसकी पुष्टि सदस्य देशों की सरकारी और विधान मण्डलों ने की है। इसकी IMF तथा विश्व बैंक जैसी ही विश्व स्थिति है। परन्तु इसके विपरीत यह UN की शाखा नही है, यद्यपि UN के साथ 'सहकारी सम्बन्ध' है।

(2) गैट केवल कुछ चयनात्मक बहुपक्षीय समझौते के बारे में नियमों और प्रणालियों का समूह था। अलग-अलग विषयों पर अलग-अलग समझौते थे जो सदस्यों पर बाध्य नही थे। कोई भी सदस्य किसी समझौते में सम्मिलित होने से इन्कार कर सकता था। केवल वे ही सदस्य जिन्होंने किसी समझौते पर हस्ताक्षर किए हो वे उसका पालन न करने पर दंडित हो सकते थे। परन्तु जो समझौता WTO का अंग बन चुका है वह स्थायी है और सभी सदस्य पर लागू होगा। किसी सदस्य के नियम पालन न करने पर अन्य सब सदस्य देश उस पर कार्यवाही कर सकते हैं।

(3) गैट सदस्य देशों के बीच झगड़ा निपटाने में विलम्बकारी थी। जबकि WTO झगड़ा निपटाने में स्वचालित तथा शीघ्रगामी है तथा सदस्यों पर पूर्ण लागू है। WTO के झगड़ा निपटाने वाले बोर्ड ने अपने पहले ही फैसले के द्वारा शक्तिशाली अमेरिका को उसको स्वीकार करने पर बाध्य कर दिया। इस प्रकार WTO शक्तिशाली है, जबकि गैट अपेक्षाकृत शक्तिहीन था।

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