प्रस्ताव का अर्थ, प्रस्ताव के आवश्यक तत्व

भारतीय अनुबंध अधिनियम की धारा 2 (A) के अनुसार ‘‘जब एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को किसी कार्य को करने अथवा न करने के विषय में अपनी इच्छा इस उद्देश्य से प्रकट करता है कि उस व्यक्ति की सहमति उस कार्य को करने अथवा न करने के विषय में प्राप्त हो जाएं तो इच्छा को प्रस्ताव कहते हैं।

प्रस्ताव के आवश्यक तत्व

  1. प्रस्ताव के लिए दो पक्षधारों का होना आवश्यक है। एक वह जो प्रस्ताव रखता है तथा दूसरा वह जिसके सम्मुख प्रस्ताव रखा जाता है।
  2. प्रस्ताव में किसी कार्य को करने अथवा न करने के विषय में अपनी इच्छा प्रकट करना होना चाहिए।
  3. प्रस्ताव अन्य व्यक्ति की सहमति प्राप्त करने के उद्देश्य से किए जाने चाहिए।
  4. प्रस्ताव स्पष्ट अथवा गख्रभत हो सकता है।

प्रस्ताव सम्बन्धी वैधानिक नियम

1. प्रस्ताव वैधानिक सम्बन्ध स्थापित करने के उद्देश्य से किया जाना चाहिए : प्रस्ताव करते समय प्रस्तावक का उद्देश्य वैधानिक दायित्व उत्पन्न करने वाला होना चाहिए। यदि प्रस्ताव का उद्देश्य वैधानिक सम्बन्ध स्थापित करना नहीं है तो ऐसा प्रस्ताव राजनियम द्वारा प्रवर्तनीय न होने के कारण अनुबंध नहीं हो सकता। भोजन के लिए निमन्त्राणए खेल आदि के लिए निमन्त्राण वैधानिक दायित्व उत्पन्न नहीं करते। इस विषय में श्री बालकोर टे श्रीमति बालको के विवाद का निर्णय महत्वपूर्ण है। इस विवाद में श्री बालकोर ने जो श्रीलंका में रहते थेए अपनी पत्नी को जो इंग्लैंड में रहती थीए प्रतिमाह 30 पोंड भेजने का वायदा किया। किन्तु वायदे की रकम न भेज सके। बाद में श्रीमति बालकोर ने इसे न्यायालय में प्रवख्रतत कराना चाहा। इसमें यह निर्णय दिया गया कि श्रीमति बालकोर इस वायदे को प्रवख्रतत नहीं करा सकती क्योंकि अनुबंध की प्रकृति से वैधानिक सम्बन्ध स्थापित कराने का इरादा प्रतीत नहीं होता।

2. प्रस्ताव की शर्तें निश्चित होनी चाहिए : अनिश्चितए अस्पष्ट व भ्रमात्क नहीं। यदि प्रस्ताव स्पष्ट नहीं है तो यह वैध प्रस्तुत नहीं हो सकता।

3. प्रस्ताव विनय के रूप में होना चाहिएए आज्ञा के रूप में नहीं : प्रस्तावक को यह अधिकार है कि वह प्रस्ताव को स्वीकार करने की कोई शर्त लगा सकता हैए लेकिन अस्वीकार करने की कोई शर्त नहीं लगा सकता हैए उदाहरण :- प्रस्तावकए वचनगृहीता से यह नहीं कह सकता कि एक निश्चित समय तक स्वीकृति न मिलने पर वह प्रस्ताव को स्वीकार मान लेगा। 

4. प्रस्ताव शर्त सहित व शर्तरहित हो सकता है : उदाहरण : अ, ब को 150 बोरी गेहूँ इस शर्त पर बेचने का प्रस्ताव करता है कि वह 5000 रूपयें की रकम एडवांस दे। यह एक वैध प्रस्ताव है।

5. प्रस्ताव सामान्य अथवा विशिष्ट हो सकता है : जब प्रस्ताव किसी विशिष्ट व्यक्ति अथवा व्यक्तियों के समूह को किया जाता है तो यह विशिष्ट प्रस्ताव है। ऐसे विशिष्ट प्रस्ताव की स्वीकृति केवल वह विशिष्ट व्यक्ति या समूह ही कर सकता है। अन्य कोई नहीं। जब प्रस्ताव पूरी दुनिया के सम्मुख रखा जाता है तथा उसकी स्वीकृति कोई भी कर सकता है। विज्ञापन द्वारा प्रस्ताव सामान्य प्रस्ताव का उदारहण है।

6. प्रस्ताव स्पष्ट अथवा गख्रभत हो सकता है : जब प्रस्ताव शब्दों (लिखित व मौखिक) द्वारा प्रकट किया गए तो यह स्पष्ट प्रस्ताव है। सड़क पर रिक्शा चालक द्वारा रिक्शा चलाना एक गख्रभात प्रस्ताव है।

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