विज्ञापन का अर्थ, परिभाषा, प्रकार

विज्ञापन के प्रकार

किसी वस्तु के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए और बिक्री बढ़ाने के लिए विज्ञापन बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वस्तु या सेवा की खरीद के लिए उत्सुकता जगाना या प्रसारित विचार के प्रति सहमति पैदा करना, विज्ञापन का प्रमुख लक्ष्य है।

विज्ञापन का काम संदेश को प्रसारित करना है। विज्ञापन के इन्हीं उद्देश्यों को पूरा करने के लिए विज्ञापन के प्रकार है।

विज्ञापन का अर्थ

विज्ञापन या एडवरटाइजिंग की उत्पत्ति लैटिन भाषा के शब्द ‘एडवर्टर’ से हुई है। जिसका अर्थ है- ‘टू टर्न टू’ अर्थात् किसी ओर मुड़ना है। हिन्दी में विज्ञापन का अर्थ है - वि + ज्ञापन = विशेष + सूचना अर्थात् विशेष सूचना देना। किसी वस्तु के लिए इसके प्रयोग का अर्थ है लोगों का ध्यान आकृष्ट करना। इसी सन्दर्भ में राष्ट्रीय विज्ञापनदाता एवं प्रकाशक सूचना आदि के अनुसार विज्ञापन का अर्थ है - विज्ञापन उत्पाद या सेवा की सीधी बिक्री से आगे उद्देश्य पूर्ति के लिए किए गए समवेत प्रयासों के रूप पर आधारित है।

विज्ञापन की परिभाषा

1. एस. आर. हाल के अनुसार “विज्ञापन लिखित, मुद्रित या चित्रित विक्रय कला है अथवा लिखित एवं मुद्रित शब्दों के माध्यम से सूचना का प्रसारण है।”

2. लस्कर का मत है “विज्ञापन मुद्रण के रूप में विक्रय कला है।”

3. ब्रिटेनिका विश्वकोष के अनुसार “विज्ञापन विज्ञापक द्वारा इच्छित भुगतान प्रदत्त वह घोषणा है जो किसी वस्तु या सेवा की बिक्री प्रोत्साहन, किसी विचार के विकास अथवा कोई अन्य प्रभाव उत्पन्न करने के उद्देश्य से की गई हो।”

विज्ञापन के प्रकार 

विज्ञापन के प्रकार, विज्ञापन कितने प्रकार के होते हैं, विज्ञापन के मुख्य प्रकार कितने हैं,
  1. वर्गीकृत विज्ञापन 
  2. सजावटी विज्ञापन 
  3. वर्गीकृत सजावटी विज्ञापन 
  4. समाचार सूचना विज्ञापन 
  5. उपभोक्ता विज्ञापन 
  6. औद्योगिक विज्ञापन 
  7. वित्तीय विज्ञापन 
  8. व्यापारिक विज्ञापन 
  9. कृषि सम्बन्धी विज्ञापन
  10. राजकीय और शिक्षाप्रद विज्ञापन 
  11. अन्तरराष्ट्रीय विज्ञापन 
  12. राष्ट्रीय विज्ञापन 
  13. क्षेत्रीय विज्ञापन 
  14. स्थानीय विज्ञापन 
  15. उत्पाद विषयक विज्ञापन 
  16. व्यवसाय विषयक विज्ञापन  
  17. मांग सम्बन्धी विज्ञापन 
  18. लाभ विषयक विज्ञापन
1. वर्गीकृत विज्ञापन - इस तरह के विज्ञापन, विज्ञापन के प्रारम्भिक स्वरूप हैं। खरीदना, बेचना, जरूरत है, किराए के लिए खाली, रोजगार, शैक्षणिक, वैवाहिक और खोया-पाया आदि ऐसे कुछ शीर्षक है जिनके अन्र्तगत वर्गीकृत विज्ञापन प्रकाशित किए जाते हैं। वर्गीकृत विज्ञापन का मूल्य काफी कम होता है। इस तरह के विज्ञापनों में प्रतीक चिन्हों या चित्रों का इस्तेमाल नहीं होता और न ही इनमें सजावटी अक्षरों या मोटे बार्डर आदि का ही प्रयोग होता है। इनकी लागत इनमें प्रयुक्त शब्दों की संख्या पर निर्भर होती है। 

2. सजावटी विज्ञापन - यह सबसे अच्छे विज्ञापन माने जाते है क्योंकि यह दिखने में आकर्षक, सुन्दर, अधिक प्रभावशाली तथा अधिक जानकारी देने वाले होते हैं इनमें प्रतीक चिन्हों, शीर्षक, मोनोग्राम या लोगो आदि का प्रयोग होता है। इनकी कॉपी आकर्षक होती है, डिजाइन सुन्दर होती है और चित्र भी बेहद आकर्षक होते हैं। ये विज्ञापन उपभोक्ता पर अधिक असर करते हैं और उपभोक्ता के अन्दर उत्पाद के प्रति जिज्ञासा और उसे खरीदने या इस्तेमाल करने की ललक पैदा करते हैं। ये विज्ञापन उत्पाद की ब्राण्ड छवि बनाने का भी काम करते है और इनके निर्माण में पेशेवर मॉडलों, लोकप्रिय खिलाड़ियों या फिल्म कलाकारों या अन्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों का भी इस्तेमाल अतिरिक्त आकर्षण के रूप में किया जाता है। इन विज्ञापनों का निर्माण संस्थान, कंपनी या फर्म यानी विज्ञापनकर्ता द्वारा खुद नहीं किया जाता बल्कि इनका निर्माण विज्ञापन एजेंसियां करती हैं इस कारण ये विज्ञापन महंगे भी होते हैं। टेलीविजन में प्रसारित विज्ञापनों को भी इसी श्रेणी में रखा जा सकता है।

3. वर्गीकृत सजावटी विज्ञापन - यह विज्ञापन भी एक प्रकार के वर्गीकृत विज्ञापन ही हैं। लेकिन इनका आकार वर्गीकृत विज्ञापनों से बड़ा होता है और इनमें सीमित रूप में विज्ञापन कर्ता का प्रतीक चिन्ह, फोटो आदि भी इस्तेमाल होते हैं इनकी बनावट में थोड़ी बहुत सजावट भी होती है। इन विज्ञापनों के लिए भी प्राय: पेज और स्थान निर्धारित होता है। इस तरह के विज्ञापन ज्यादातर स्थानीय उत्पादों के ही होते हैं।

4. समाचार सूचना विज्ञापन - समाचार सूचना विज्ञापनों को एडवरटोरियल (Advertorial) भी कहा जाता है। यह विज्ञापन का अपेक्षाकृत नया रूप है। इसमें विज्ञापन को इस प्रकार तैयार किया जाता है कि वह किसी समाचार की तरह ही लगता है। इसका प्रकाशन भी समाचारों की तरह ही समाचारों के बीच में किया जाता है। 

5. उपभोक्ता विज्ञापन - इस तरह के विज्ञापनों में दैनिक जीवन की उपयोगी चीजों, आम उपभोक्ता वस्तुओं की जानकारी होती है। खाने पीने की वस्तुओं, कपड़े, साबुन, तेल, चाय, बिस्कुट, चाकलेट, पेय पदार्थ, स्कूटर, कार, साकिल आदि तमाम रोजाना जरूरतों की चीजों के विज्ञापन इसी तरह के होते हैं ये विज्ञापन ब्रांड इमेज भी बनाते है और उपभोक्ता को विज्ञापित वस्तुओं को खरीदने के लिए प्रोत्साहित भी करते हैं विज्ञापन का यह सबसे लोकप्रिय रूप है जो प्रसारण आरै प्रकाशन माध्यमों में हर जगह दिखा देता है। इस तरह के विज्ञापनकर्ता उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादक, वितरक या विक्रेता होते हैं। इन विज्ञापनों का पूरा जोर उत्पाद की विशेषताओं को बताने में होता है। इनमें दामों में छूट, समान दाम में अधिक वस्तु आदि बातें भी बता जाती हैं।

6. औद्योगिक विज्ञापन - ये विज्ञापन उद्यमियों को कच्चे माल, उपकरण, सहायक उद्योग आदि के बारे में जानकारी देते है । उदाहरणार्थ किसी बड़ी स्टील निमार्ता कंपनी का विज्ञापन जो स्टील के सामान बनाने वाले छोटे उत्पादकों को लक्ष्य कर जारी किया जाए। छोटे उद्योग भी अपना कच्चा माल बेचने के लिए इस तरह के विज्ञापनों का सहारा लेते हैं। इन विज्ञापनों का संदेश लुभावना और आकर्षक न होकर तत्थों पर आधारित होता है। 

7. वित्तीय विज्ञापन - बैंक , बीमा कंपनियाँ, वित्तीय संस्थाएं आदि अपनी वित्तीय गतिविधियों, की जानकारी देने, शेयर जारी करने, पूंजी बाजार से पैसा उठाने आदि कामों के लिए इस तरह के विज्ञापन जारी करती हैं इस तरह के विज्ञापनों के जरिए कंपनियाँ अपनी वित्तीय उपलब्धियां, अनुमानित लाभ और विस्तार योजनाओं के बारे में बताती हैं। कंपनियों के वार्षिक आय व्यय का ब्यौरा भी इन्हीं विज्ञापनों के जरिए उपभोक्ताओं को दिया जाता है। ये विज्ञापन एक निश्चित पाठक वर्ग के लिए होते हैं और इनमें लिखित संदेश बहुत अधिक होता है। 

8. व्यापारिक विज्ञापन - इनमें विज्ञापनकर्ता, वितरकों और थोक विक्रेताओं को उत्पादों के भण्डारण, फुटकर बिक्री योजनाओं, वितरकों की नियुक्ति, बिक्री केन्द्र खोलने आदि की जानकारी देता है। इस तरह के विज्ञापन विपणन प्रक्रिया को काफी प्रभावित करते हैं और उसे बढ़ाते भी हैं। डिटजेर्ंट पाऊडर या किसी खास ब्रांड के अण्डरगामेर्ंटस की थोक खरीद में बड़े उपहारों की घोषणा वाले ऐसे विज्ञापन पत्र पत्रिकाओं में प्राय: देखे जा सकते हैं।

9. कृषि सम्बन्धी विज्ञापन - ये विज्ञापन आधुनिक कृषि उपकरणों, नयी तकनीक, बीज-खाद आदि की जानकारी देते हैं। देश की आबादी का बड़ा भाग कृषि पर निर्भर है इसलिए इन विज्ञापनों का महत्व बहुत अधिक होता है। कृषि सम्बन्धी विज्ञापन पत्र पत्रिकाओं, स्थानीय समाचार पत्रों, रेडियो आदि में अधिक किए जाते हैं। दूरदर्शन और कुछ अन्य निजी चैनलों में भी कृषि सम्बन्धी कार्यक्रमों में इस तरह के विज्ञापन प्रसारित किए जाते हैं।

10. राजकीय और शिक्षाप्रद विज्ञापन - जन चेतना और जन जागृति बढ़ाने के लिए भी इस तरह के विज्ञापन जारी किए जाते हैं। बाल मजदूरी, दहेज जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ या पर्यावरण संरक्षण, सर्वशिक्षा अभियान आदि की चेतना बढ़ाने के लिए या पोलियो आदि कुछ खास रोगों के उपचार सम्बन्धी जरूरी जानकारियों के लिए भी इस तरह के विज्ञापन जारी होते हैं। इस तरह के विज्ञापनों का उद्देश्य बिक्री बढ़ाना न होकर लोगों को न जानकारियाँ देना होता है। समय से कर चुकाने, मताधिकार का प्रयोग करने, जनसंख्या वृद्धि को रोकने जैसे विषयों को भी इन विज्ञापनों के जरिए प्रचारित किया जाता है। 

11. अन्तरराष्ट्रीय विज्ञापन - जब को एक संगठन या कंपनी एक से अधिक देशों में किसी उत्पाद या सेवा का प्रचार करने के लिए विज्ञापन करती है तो ऐसे विज्ञापनों को अन्र्तराष्ट्रीय विज्ञापन कहा जाता है। ये विज्ञापन बेहद खर्चीले होते हैं और इनकी भाषा तथा माध्यम का चयन बहुत सोच समझकर किया जाता है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां इस तरह के विज्ञापन जारी करती है और इनका प्रसारण प्राय: अन्र्तराष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं और इलैक्ट्रानिक माध्यमों के जरिए किया जाता है। इन विज्ञापनों का उद्देश्य ब्रांड को बढ़ावा देना है। मुक्त अर्थव्यवस्था के दौर में आज कल इस तरह के विज्ञापन अधिक लोकप्रिय होने लगे हैं। अन्र्तराष्ट्रीय विमान सेवाएं, होटल समूह, डिजाइनर घड़ियाँ, इलैक्ट्रानिक उत्पाद, पेय और भोज्य पदार्थ आदि से जुड़े उत्पादों के निर्माता इस तरह के विज्ञापनों का सहारा लेते हैं।

12. राष्ट्रीय विज्ञापन - राष्ट्रीय विज्ञापन एक से अधिक भाषाओं में तैयार किए जाते हैं। एक ही वस्तु को अलग-अलग कंपनियाँ उत्पादित करती हैं। हर कंपनी को अपने ब्रांड को श्रेष्ठ बताने के लिए इस तरह के विज्ञापन का सहारा लेना पड़ता है। सौन्दर्य प्रसाधन, घरेलू उपकरण, मोबाइल सेवाएं आदि ऐसे अनेक विषय है जिनका विज्ञापन राष्ट्रीय स्तर पर किया जाता है। बैंक और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान भी इस तरह के विज्ञापनों का प्रयोग करते हैं ऐसे विज्ञापन प्रकाशन और प्रसारण माध्यमों का अधिक उपयोग करते हैं। क्रिकेट मैच के दौरान दिखाए जाने वाले विज्ञापन भी इसी तरह के होते हैं।

13. क्षेत्रीय विज्ञापन - किसी क्षेत्र विशेष के लिए तैयार किए जाने वाले विज्ञापन क्षेत्रीय विज्ञापन कहलाते हैं। इन विज्ञापनों का संदेश क्षेत्रीय भाषाओं में होता है। रेडियो, टेलीविजन और क्षेत्रीय पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होने वाले ये विज्ञापन स्थानीय भाषा में होने के कारण अधिक प्रभावशाली होते है और क्षेत्रीय आवश्यकताओं के अनुरूप उत्पादों के बारे में होने के कारण इनकी उपयोगिता भी अधिक होती है।

14. स्थानीय विज्ञापन - इनका प्रसार क्षेत्र अपेक्षाकृत बहुत छोटा होता है और ये स्थानीय स्तर पर उत्पाद की बिक्री बढ़ाने में काम आते हैं। इनमें आकर्षक छूट, नामी योजनाओं का जिक्र होता है। किसी खास तरह के स्थानीय उत्पाद के लोकप्रिय उत्पादक का विवरण होता है या आम जरूरत की चीजों का विवरण होता है। ये विज्ञापन प्रत्यक्ष बिक्री बढ़ाने वाले होते है और इनका प्रसारण स्थानीय पत्र, रेडियो, टीवी, केबल नेटवर्क, बैनर, पोस्टर, स्लाइड आदि के द्वारा होता है।

15. उत्पाद विषयक विज्ञापन - उत्पाद का अर्थ है को वस्तु या सेवा जिसे प्राप्त करने के लिए उपभोक्ता मूल्य चुकाता है। किसी उत्पाद की बिक्री बढ़ाने के लिए किया जाने वाला विज्ञापन उत्पाद विषयक विज्ञापन कहलाता है। ये विज्ञापन प्रत्यक्ष उत्पादों जैसे घरेलू जरूरत की चीजों, कपड़ों, खाद्य पदार्थों आदि तथा अप्रत्यक्ष उत्पादों जैसे वित्तीय, शैक्षणिक, चिकित्सा सुविधाओं आदि के बारे में भी हो सकते हैं और विज्ञापनकर्ता द्वारा अपनी पहचान बनाने के लिए सामाजिक संदेश के रूप में भी हो सकते हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियां इस तरह के विज्ञापन ‘जनहित के लिए जारी’ शीर्षक के अन्र्तगत भी करती हैं।

16. व्यवसाय विषयक विज्ञापन - इस तरह के विज्ञापन व्यवसाय सम्बन्धी आवश्यकताओं के लिए किए जाते हैं। विभिन्न कंपनियों के लिए कर्मचारियों की आवश्यकता, बंकै - बीमा कंपनियों की योजनाएं, शिक्षा संस्थानों के विज्ञापन आदि इस श्रेणी में आते हैं। ये विज्ञापन आम उपभोक्ता के बजाए वर्ग विशेष को लक्ष्य कर बनाए जाते हैं।

17. मांग सम्बन्धी विज्ञापन - इस तरह के विज्ञापन किसी उत्पाद की मांग पैदा करने या उसे बढ़ाने के लिए किए जाते हैं जैसे यदि किसी खास वाहन या ए सी का विज्ञापन यह कहै कि वह वाहन अन्य उपलब्ध वाहनों की तुलना में अधिक माइलेज देता है या वह ए सी दूसरों की तुलना में कम बिजली खर्च करता है तो इन विज्ञापनों से विज्ञापित उत्पादों की मांग बढ़ती है। मांग सम्बन्धी विज्ञापन प्राथमिक मांग वाले भी होते हैं जैसे सेहत के लिए रिफाइंड तेल अधिक अच्छा है ऐसा कहने वाला विज्ञापन रिफाइंड तेल की मांग बढ़ाता है किसी खास ब्रांड की नहीं। इसलिए इन्हें प्राथमिक मांग वाला विज्ञापन कहा जाता है।

18. लाभ विषयक विज्ञापन - इस प्रकार के विज्ञापन उपभोक्ता को तुरन्त लाभ के बारे में बताते हैं जैसे एक उत्पाद के साथ एक उत्पाद मुफ्त या फलां उत्पाद लेने पर फलां मूल्य का एक उपहार या मोबाइल लेने पर सिमकार्ड साथ में आदि। इस तरह के विज्ञापन उत्पाद की तात्कालिक बिक्री बढ़ाने मे सहायक होते हैं और सीमित अवधि के होते हैं।

3 Comments

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