फुटकर व्यापार का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, कार्य

फुटकर व्यापारी से तात्पर्य ऐसे व्यापारी से है, जो थोडी़ -थोड़ी मात्रा में थोक व्यापारियों से माल खरीदकर उपभोक्ताओं को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार थोडी़ -थोडी़ मात्रा में विक्रय करता रहता है फुटकर व्यापारी कहते हैं। 

फुटकर व्यापार का शाब्दिक अर्थ वस्तुओं को टुकड़ों में बेचने से है यह शब्द फ्रेंच भाषा के शब्द से लिया गया है इसमें का अर्थ पुन: या बार-बार का अर्थ बांटने या देने से है इस प्रकार वस्तुओं के वृहत् संग्रह में से छोटी-छोटी मात्रा में बार-बार वस्तुओं को देना कहा जाता है। 

ऐसा व्यापारी प्राय: एक ही वस्तु का व्यापार न करता हुआ विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का व्यापार करता है फुटकर व्यापारी मध्यस्थों की अंतिम कड़ी होने के कारण उपभोक्ताओं से निकट सम्पर्क बनाए रखता हे इनका कार्यक्षेत्र स्थानीय होता है फुटकर व्यापार के केवल छोटे-छोटे दुकानदार ही नहीं, वरन् विभागीय भण्डार, श्रृंखला भंडार एवं सुपर मार्केट आदि भी रूप है।

फुटकर व्यापार की परिभाषा

‘‘विभिन्न प्रकार के पदार्थों को उपभोक्ताओं के हाथों स्वल्प मात्रा में बेचना ही फुटकर व्यापार कहलाता है’’।

1. अमरीकन परिभाषा समिति-‘‘फुटकर व्यापार में वे सब क्रियाएं आती हैं, जो अंतिम उपभोक्ता को बेचने में सहायक होती है’’।

2. कण्डिफ एवं स्टिल के अनुसार-‘‘फुटकर व्यापार में वे सब क्रियाएं शामिल की जाती हैं, जो अंतिम उपभोक्ताओं को सीधे बेचने से संबद्ध होती है’’।

3. मैकार्थी के शब्दों में -‘‘गृहस्थ को अंतिम उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री करना ही फुटकर व्यापार कहलाता है’’। 

अत: उपभोक्ताओं को छोटी-छोटी मात्रा में माल विक्रय करना फुटकर व्यापार है और जो भी व्यक्ति या संस्था इस कार्य को सम्पन्न करती है, उसे फुटकर व्यापारी कहते है।

फुटकर व्यापारी के लक्षण या विशेषताएं

  1. अनेक वस्तुओं का व्यापार- फुटकर व्यापारी अनके वस्तुओं का व्यापार करता है उपभोक्ता की आवश्यकता ही अनेक वस्तुएँ दुकान में रखता है। 
  2. क्रय की मात्रा- माल का क्रय-विक्रय थोड़ी-थोड़ी मात्रा में करता है। 
  3. उपभोक्ता को विक्रय- माल सीधा उपभोक्ता को बेचता है। 
  4. बीच की कड़ी- फुटकर व्यापारी थोक व्यापारी एवं उपभोक्ताओं के बीच की कड़ी है 
  5. सफलता- फुटकर व्यापारी की सफलता उनकी विक्रय कला एवं दुकान की सजावट पर निर्भर है। 
  6. सीमित व्यापार क्षेत्र- इनका व्यापार क्षेत्र प्राय: सीमित ही होता है उपभोक्ताओं के आस-पास ही उनकी दुकानें होती है इनके ग्राहक भी स्थानीय होते हैं। 
  7. व्यक्तिगत सम्पर्क- इनका उपभोक्ताओं से व्यक्तिगत सम्पर्क रहता है अत: फुटकर व्यापारी इनकी रूचियों का ध्यान रखते हैं। 
  8. कम पूंजी- इनके व्यापार के लिए कम पूंजी की आवश्यकता रहती है। 
  9. नकद विक्रय- फुटकर व्यापारी अधिकांशतः नकद ही विक्रय करते हैं, परन्तु नियमित एवं परिचित ग्राहकों को माल उधार भी देते रहते हैं।

फुटकर व्यापारियों के कार्य

  1. थोक व्यापारियों से वस्तुएँ खरीदकर संग्रहीत करना। 
  2. विभिन्न वस्तुओं के लिए उपभोक्ताओं की मांग का अनुमान लगाना। 
  3. संग्रहीत वस्तुओं की सुरक्षा एवं उपभोक्ता मांग के अनुसार उनको खरीदना। 
  4. उपभोक्ताओं की आवश्यकता की सतत् पूर्ति करना। 
  5. उपभोक्ताओं से अच्छे सम्बन्ध बनाकर उन्हे माल वापसी की सुविधा देना। 
  6. उपभोक्ताओं को नकदी माल बेचने के साथ ही कभी-कभी उधार माल देने की जोखिम उठाना। 
  7. श्रेणी रहित वस्तुओं को श्रेणीबद्ध करना। 
  8. बाजार सम्बन्धी सूचनाएं एकत्रित करना एवं उनका विश्लेषण करना। 
  9. थोक व्यापारियों से माल वापसी या बदलने की शर्त पर माल खरीदना।

फुटकर व्यापारियों की सेवाएँ 

फुटकर व्यापारी की सेवाओं को हम निम्नानुसार तीन भागों में विभक्त कर सकते हैं-
  1. उत्पादकों एवं निर्माताओं के प्रति सेवाएं 
  2. थोक व्यापारियों के प्रति सेवाएं 
  3. उपभोक्ताओं के प्रति सेवाएं

1. उत्पादकोंं तथा निर्माताओं के प्रति सेवाएं 

  1. ग्राहकों की रूचि से अवगत कराना-फुटकर व्यापारी का ग्राहको से प्रत्यक्ष सम्बन्ध होने के कारण वह उनकी वस्तुओं की आवश्यकता, रूचि एवं मॉंग से पूर्ण परिचित रहता है अत: वह इस बारे में उत्पादकों एवं निर्माताओं की जानकारी देता रहता है, जिससे वे उत्पादन के बारे में सही निर्णय लेते रहते हैं।
  2.  फुटकर आदेश पूर्ति से मुक्ति-यदि उत्पादक उपभोक्ताओ को थोड़ा-थोड़ा माल बेचें, तो इसमें समय अधिक लगेगा, जिससे कि वे उत्पादन पर ध्यान न दे सकेंगे फुटकर व्यापारी इस कार्य को उत्पादको एवं निर्माताओं को मुक्ति दिला देते हैं।
  3. आवश्यक सुझाव-फुटकर व्यापारी के माध्यम से उत्पादकों को माल की पैकिंग कीमत गुण एवं फैशन के परिवर्तन के सम्बन्ध में आवश्यक सुझाव देते रहते हैं।

2. थोक व्यापारियों के प्रति सेवाएं

  1. माल के विक्रय एवं वितरण में सहयोग-फुटकर व्यापारी अपने यहॉं माल का संग्रह न करते हुए थोक व्यापारियों से खरीदकर उपभोक्ताओं को बेचता है इस तरह वह माल के विक्रय में सहयोग देता है परिणामस्वरूप थोक व्यापारियों को उपभोक्ताओं को थोड़ा-थोड़ा माल बेचने से मुक्ति मिल जाती है
  2. ग्राहकों की रूचि व फैशन का ज्ञान करना - फुटकर व्यापारियों का उपभोक्ताओं से सीधा सम्पर्क होने के कारण उन्हे उनकी रूचियों एव  फैशन का ज्ञान रहता है अत: फुटकर व्यापारीगण थोक व्यापारियों को समय-समय पर इसकी सूचना देते रहते हैं
  3. नवीन वस्तुओं के प्रति मॉंग उत्पन्न करना - फुटकर व्यापारी उपभोक्ताओं की रूचि एवं उनकी आवश्यकताओं से परिचित रहता है अत: जैसे ही कोई नवीन वस्तु बाजार में आती है, वह उस वस्तु के गुण एवं उपयोगिता की जानकारी उपभोक्ताओं को देकर उन्हें वस्तु खरीदने को प्रेरित करता है इससे बिना विज्ञापन व्यय किए ही वस्तु की मॉंग पैदा हो जाती है
  4. लाभप्रद सूचना देना - उपभोक्ता की रूचि, आवश्यकता एवं मॉंग में परिवर्तन होने पर इसकी सचू ना फुटकर व्यापारी थोक व्यापारियों को देते रहते हैं, जिससे समय आने पर वे संग्रहीत माल बेचकर भविष्य मे होने वाली हानि से बच जाते हैं एवं उत्पादकों को भी इन होने वाले परिवर्तनों की सूचना दे देते हैं
  5. अनबिके माल के विक्रय में सहयोग - कभी-कभी थोक व्यापारी के पास जल्दी खराब होने वाला माल बिकने से रह जाता है वह फुटकर व्यापारी को बट्टा आदि देकर माल बेचता रहता है इस तरह फुटकर व्यापारी माल के विक्रय मे सहयोग प्रदान करते हैं

3. उपभोक्ताओं (समाज) के प्रति सेवाएं

  1. सभी आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति - फुटकर व्यापारी उपभोक्ताओ की सभी आवश्यक वस्तुओं को अपनी दुकान में विक्रय के लिए रखता है इस कारण उपभोक्ता को इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता, जिससे उसके समय की बचत होती है
  2. माल के अनावश्यक संग्रह से मुक्ति - उपभोक्ताओं की आवश्यकता के समय संग्रह करने की आवश्यकता नहीं रहती
  3. उपभोक्ताओं की रूचि व मॉंग की जानकारी - फुटकर व्यापारियों के पास अनेक प्रकार के गा्रहक आते हैं अत: वह उनकी रूचि व मॉंग से परिचित हो जाता है और मौसमी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर माल उपलब्ध कराता है
  4. ताजी वस्तुएँ प्रदान करना - फुटकर व्यापारियों के माध्यम से दूध, फल, अण्डे, डबलरोटी आदि वस्तुएँ उपभोक्ता को ताजी प्राप्त होती रहती है
  5. घर पहुॅंच सेवा - फुटकर व्यापारी, फेरीवाले उपभोक्ताओं को घर-घर जाकर माल बेचते हैं, इस प्रकार समय पर माल बिना परेशानी के घर बैठे प्राप्त हो जाता है 
  6. उधार क्रय की सुविधा - फुटकर व्यापारी अपने परिचित गा्रहको को उधार माल भी बेचते रहते हैं और रेजगी तथा नोटों की कमी को दसू रे दिन के सौदों मे समायोजित कर लेते हैं
  7. पसंदगी पर माल बेचना - फुटकर व्यापारी पसदं न आने पर वापसी की शर्त पर माल बेचते रहते हैं इस प्रकार ये उपभोक्ता का विश्वास अर्जित कर लेते हैं
  8. ठगे जाने की कम सम्भावना - ग्राहकों से अच्छे सम्बन्ध होने के कारण उन्हे वस्तु के बाद में सही जानकारी देते हैं अत: गा्रहको के ठगे जाने की सभ्भावना कम रहती हैं ये गाह्रकों को वस्तु के बाद में नि:शुल्क परामर्श भी देते हैं
  9. सामयिक सेवाएँ - वस्तुओं के बचे ने के साथ उनमें खराबी आने पर ये नि:शुल्क सुधार की गारंटी भी देते हैं जैेस-घड़ी, रेडियो, फाउन्टेन पेन आदि के सुधार का आश्वासन
  10. विज्ञापन एवं विक्रय साहित्य का वितरण - ये वस्तुओं की बिक्री बढ़ाने के लिए विक्रय साहित्स कर वितरण करते हैं नई नई वस्तुओ की जानकारी देते हैं एवं वस्तुओं के भावो की पूर्ण जानकारी रखते हैं
  11. वस्तुओं की निरंतर पूर्ति - फुटकर व्यापारी प्रतिदिन लगने वाली आवश्यक वस्तुओ की पूर्ति निरंतर करता रहता है इस प्रकार बाजार मे जाने का समय एवं यातायात में लगने वाली खर्च की बचत होती हैं
  12. वस्तुओं के चुनाव की सुविधा - विभिन्न प्रकार की वस्तुएॅं रखने के कारण ग्राहको के वस्तुओ के सही चुनाव में सुविधा रहती है

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