व्यापार

एकल स्वामित्व का अर्थ, विशेषताएं एवं लाभ

एकल स्वामित्व का अर्थ है-एक व्यक्ति का स्वामित्व। इसका मतलब यह हुआ कि एक ही व्यक्ति व्यवसाय का स्वामी होता है। इस प्रकार एकल स्वामित्व वह व्यापार संगठन है, जिसमें एक ही व्यक्ति स्वामी होता है और व्यवसाय से संबंधित सभी कार्यकलापों का प्रबंधन और नियंत्र…

एकल स्वामित्व क्या है इसकी विशेषताएं बताइए?

एकल स्वामित्व का अर्थ है-एक व्यक्ति का स्वामित्व। इसका मतलब यह हुआ कि एक ही व्यक्ति व्यवसाय का स्वामी होता है। इस प्रकार एकल स्वामित्व वह व्यापार संगठन है, जिसमें एक ही व्यक्ति स्वामी होता है और व्यवसाय से संबंधित सभी कार्यकलापों का प्रबंधन और नियंत्र…

मुक्त व्यापार नीति क्या है मुक्त व्यापार के पक्ष तथा विपक्ष में तर्क?

मुक्त व्यापार वह नीति है जिसमें अंतरराष्ट्रीय व्यापार में पूरी स्वतंत्रता होती है। ऐसी स्थिति में दो देशों के बीच वस्तुओं के आयात-निर्यात में किसी प्रकार की बाधा नहीं होती। सोलहवीं शताब्दी के प्रारंभ से लेकर अठारहवीं शताब्दी के  तक अंतर्राष्ट्रीय व्य…

व्यापार की शर्त का अर्थ, प्रकार

साधारण शब्दों में जिस दर पर एक देश की वस्तुओं का लेन–देन दूसरे देश की वस्तुओं से होता है, उसे व्यापार की शर्त कहा जाता है। किसी देश के निर्यात और आयात के बीच का लेन–देन अनुपात ही व्यापार की शर्त है। लेकिन आगे जब हम व्यापार की शर्त के कई प्रकार का अध्य…

संयुक्त हिन्दू परिवार व्यवसाय का अर्थ, विशेषताएं गुण और दोष

संयुक्त हिन्दू परिवार व्यवसाय एक ऐसा व्यवसाय होता है जिसका स्वामित्व एक संयुक्त हिन्दू परिवार के सदस्यों के पास होता है। इसे हिन्दू अविभाजित परिवार व्यवसाय भी कहते हैं। संगठन का यह स्वरूप हिन्दू अधिनियम के अंतर्गत कार्य करता है तथा उत्तराधिकार अधिनियम…

शेयर बाजार के कार्य, क्रेता एवं विक्रेता शेयर बाजार में दो प्रकार के कार्य करते हैं

शेयर बाजार से आशय उस बाजार से है जहां नियमित कम्पनीयों के अंशपत्र, ऋणपत्र, प्रतिभूति, बाण्ड्स आदि का क्रय विक्रय होता है। शेयर बाजार एक संघ, संगठन या व्यक्तियों की संस्था है जो प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय या लेनदेन के उद्देश्य हेतु सहायक नियमन व नियं…

वाणिज्य क्या है और इसके प्रकार?

व्यवसाय के दो अंग हैं- उद्योग और वाणिज्य। उद्योगों का कार्य जहां समाप्त होता है, वहीं वाणिज्य का कार्य आरम्भ होता है। उद्योगों में वस्तुओं का उत्पादन होता है। इन वस्तुओं को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की क्रिया वाणिज्य है। इस प्रकार वाणिज्य के अन्तर्गत उत्…

निर्यात व्यापार किसे कहते हैं? माल निर्यात करने की विधि क्या है ?

किसी अन्य देश को माल बेचना निर्यात व्यापार कहलाता है। देश को समृद्धशाली बनाने के लिए निर्यात में वृद्धि आवश्यक है। आयतों के मूल्य का भुगतान निर्यात करते हैं अत: निर्यात द्वारा ही विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है और इस अर्जित मुद्रा से ही आवश्यक वस्त…

विभागीय भंडार किसे कहते हैं ?

विभागीय भण्डारों को फैशन प्रेमी फ्रांस की देन माना गया है। सर्वप्रथम सन् 1850-52 के बीच पेरिस में सबसे पहला विभागीय भण्डार स्थापित हुआ था। तदुपरान्त योरोप के अन्य देशों एवं अमेरिका में इन भण्डारों की स्थापना तेजी से की जाने लगी। फ्रांस के बोन मार्क एव…

विदेशी व्यापार किसे कहते हैं भारत में विदेशी व्यापार का क्या महत्व है?

मनुष्य की आवश्यकताएँ अनन्त हैं। कुछ आवश्यकता की वस्तुए तो देश में ही प्राप्त हो जाती है तथा कुछ वस्तुओं को विदेशों से मंगवाना पड़ता है। भोगोलिक परिस्थितियों के कारण प्रत्येक देश सभी प्रकार की वस्तुए स्वयं पैदा नहीं कर सकता है। किसी देश में एक वस्तु की…

थोक व्यापार किसे कहते हैं? इसकी परिभाषा विशेषताएं व कार्य

थोक व्यापारी से आशय ऐसे व्यापारी से है, जो उत्पादकों से बड़ी मात्रा में वस्तुओं को क्रय करके थोड़ी-थोड़ी मात्रा में फुटकर व्यापारियों को बेचता है। थोक व्यापारी निर्माता एवं फुटकर व्यापारियों के बीच की कड़ी है। यह निर्माता और फुटकर व्यापारियों के बीच म…

सुपर बाजार का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएँ, लाभ

भारत में प्रचलित सुपर बाजारों का स्वरूप पाश्चात्य देशों के विभागीय भण्डारों से मिलता-जुलता है। किन्तु ‘स्वयं सेवा’ तथा मूल्यों में अन्तर को देखकर ग्राहकों का पता चलता है कि वे सुपर बाजार में ‘चिन्तामणी’, ‘सहकारी मण्डली’, ‘सस्ता बाजार’, ‘जनता बाजार’, ‘…

फुटकर व्यापार का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, कार्य

फुटकर व्यापारी से तात्पर्य ऐसे व्यापारी से है, जो थोडी़ -थोड़ी मात्रा में थोक व्यापारियों से माल खरीदकर उपभोक्ताओं को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार थोडी़ -थोडी़ मात्रा में विक्रय करता रहता है फुटकर व्यापारी कहते हैं।  फुटकर व्यापार का शाब्दिक अर्थ वस्तुओं…

More posts
That is All