पत्रकारिता के विविध आयाम क्या है ?

भारत में इंटरनेट और सूचना के आधिकार (आर.टी.आई.) ने आज की पत्रकारिता को बहुआयामी और अनंत बना दिया है।  आज कोई भी जानकारी पलक झपकते उपलब्ध कराई जा सकती है। मीडिया आज काफी सशक्त, स्वतंत्र और प्रभावकारी हो गया है। पत्रकारिता की पहुँच हर क्षेत्र में हो चुकी है। लेकिन सामाजिक सरोकार एवं भलाई के नाम पर मिली आभिव्यक्ति की आजादी का कभी कभी दुरुपयोग होने लगा है। 

पत्रकारिता के विविध आयाम

पत्रकारिता के विविध आयाम, हिन्दी पत्रकारिता के विविध आयाम, पत्रकारिता के विविध आयाम कौन-कौन से हैं, पत्रकारिता के नए आयाम को निम्न प्रकार से देखा जा सकता है।

1. रेडियो पत्रकारिता 

भारत में 1936 से रेडियो का नियमित प्रसारण शुरू हुआ। आज भारत के कोने-कोने में देश की लगभग 97 प्रतिशत जनसंख्या रेडियो सुन पा रही है। रेडियो मुख्य रूप से सूचना तथा समाचार, शिक्षा, मनोरंजन और विज्ञापन प्रसारण का कार्य करता है। अब संचार क्रांति ने तो इसे और भी विस्तृत बना दिया है। FM चैनलों ने तो इसके स्वरूप ही बदल दिए हैं। साथ ही मोबाइल के आविष्कार ने इसे और भी नए मुकाम तक पहुंचा दिया है। अब रेडियो हर मोबाइल के साथ होने से इसका प्रयागे करने वालों की संख्या भी बढ़ी है क्योंकि रेडियो जनसंचार का एक ऐसा माध्यम है कि एक ही समय में स्थान और दूरी को लाघंकर विश्व के कोने-कोने तक पहुंच जाता है। 

रेडियो का सबसे बड़ा गुण है कि इसे सुनते हुए दूसरे काम भी किए जा सकते हैं। रेडियो समाचार ने जहां दिन प्रतिदिन घटित घटनाओं की तुरंत जानकारी का कार्यभार संभाल रखा है वहीं श्रोताओं के विभिन्न वर्गों के लिए विविध कार्यक्रमों की मदद से सूचना और शिक्षा दी जाती है। खास बात यह है कि यह हर वर्ग जोड़े रखने में यह एक सशक्त माध्यम के रूप में उभरकर सामने आया है।

2. इलेक्ट्रानिक मीडिया 

भारत में आजादी के बाद साक्षरता और लोगों में क्रय शक्ति बढ़ने के साथ ही अन्य वस्तुओं की तरह मीडिया के बाजार की भी मांग बढ़ी है। नतीजा यह हुआ कि बाजार की जरूरतों को पूरा करने के लिए हर तरह के मीडिया का फैलाव हो रहा है। इसमें सरकारी टेलीविजन एवं रेडियो के अलावा निजी क्षेत्र में भी निवेश हो रहा है। इसके अलावा सेटेलाईट टेलीविजन और इंटरनेट ने दो कदम और आगे बढ़कर मीडिया को फैलाने में सहयोग किया है। समाचार पत्र में भी पूंजी निवेश के कारण इसका भी विस्तार हो रहा है। 

इसमें सबसे खास बात यह रही कि चाहे वह शहर हो या ग्रामीण क्षेत्र भारत में इलेक्ट्रोनिक मीडिया पिछले 15-20 वर्षों में घर घर में पहुँच गया है। शहरों और कस्बो में केबिल टीवी से सैकड़ों चैनल दिखाए जाते हैं। एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार भारत के कम से कम 80 प्रतिशत परिवारों के पास अपने टेलीविजन सेट हैं और मेट्रो शहरों में रहने वाले दो तिहाई लोगों ने अपने घरों में केबिल कनेक्शन लगा रखे हैं। 

अब तो सेट टाप बाक्स के जरिए बिना केबिल के टीवी चल रहे हैं। इसके साथ ही शहर से दूर-दराज के क्षेत्रो में भी लगातार डीटीएच-डायरेक्ट टु हामे सर्विस का विस्तार हो रहा है। 

3. वेब पत्रकारिता 

वेब पत्रकारिता आज समाचार पत्र-पत्रिका का एक बेहतर विकल्प बन चुका है। न्यू मीडिया, आनलाइन मीडिया, साइबर जर्नलिज्म और वेब जर्नलिज्म जैसे कई नामों से वबे पत्रकारिता को जाना जाता है। वबे पत्रकारिता प्रिंट और ब्राडकास्टिंग मीडिया का मिला-जुला रूप है। यह टेक्स्ट, पिक्चर्स, आडियो और वीडियो के जरिये स्क्रीन पर हमारे सामने है। माउस के सिर्फ एक क्लिक से किसी भी खबर या सूचना को पढ़ा जा सकता है। 

यह सुविधा 24 घंटे और सातों दिन उपलब्ध होती है जिसके लिए किसी प्रकार का मूल्य नहीं चुकाना पड़ता।

वेब पत्रकारिता का एक स्पष्ट उदाहरण बनकर उभरा है विकीलीक्स। विकीलीक्स ने खोजी पत्रकारिता के क्षेत्र में वेब पत्रकारिता का जमकर उपयोग किया है। खोजी पत्रकारिता अब तक राष्ट्रीय स्तर पर होती थी लेकिन विकीलीक्स ने इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयोग किया व अपनी रिपोर्टों से खुलासे कर पूरी दुनिया में हलचल मचा दी।

भारत में वबे पत्रकारिता को लगभग एक दशक बीत चुका है। हाल ही में आए ताजा आंकड़ों के अनुसार इंटरनेट के उपयोग के मामले में भारत तीसरे पायदान पर आ चुका है। आधुनिक तकनीक के जरिये इंटरनेट की पहुंच घर-घर तक हो गई है। युवाओं में इसका प्रभाव अधिक दिखाई देता है। परिवार के साथ बैठकर हिदीं खबरिया चैनलों को देखने की बजाए अब युवा इंटरनेट पर वेब पोर्टल से सूचना या आनलाइन समाचार देखना पसंद करते हैं। समाचार चैनलों पर किसी सूचना या खबर के निकल जाने पर उसके दोबारा आने की कोई गारंटी नहीं होती, लेकिन वहीं वेब पत्रकारिता के आने से ऐसी कोई समस्या नहीं रह गई है। जब चाहे किसी भी समाचार चैनल की वेबसाइट या वेब पत्रिका खोलकर पढ़ा जा सकता है।

लगभग सभी बड़े छोटे समाचार पत्रों ने अपने ई-पेपर यानी इटंरनेट संस्करण निकाले हुए हैं। भारत में 1995 में सबसे पहले चेन्नई से प्रकाशित होने वाले ‘हिंदू’ ने अपना ई-संस्करण निकाला। 1998 तक आते-आते लगभग 48 समाचार पत्रों ने भी अपने ई संस्करण निकाल।े आज वबे पत्रकारिता ने पाठकों के सामने ढेरों विकल्प रख दिए हैं। वर्तमान समय में राष्ट्रीय स्तर के समाचार पत्रों में जागरण, हिन्दुस्तान, भास्कर, नवभारत, डेली एक्सप्रेस, इकोनामिक टाइम्स और टाइम्स आफ इंडिया जैसे सभी पत्रों के ई-संस्करण मौजूद हैं।

भारत में समाचार सेवा देने के लिए गूगल न्यूज, याहू, एमएसएन, एनडीटीवी, बीबीसी हिंदी, जागरण, भड़ास फार मीडिया, ब्लाग प्रहरी, मीडिया मंच, प्रवक्ता, और प्रभासाक्षी प्रमुख वेबसाइट हैं जो अपनी समाचार सेवा देते हैं।

वेब पत्रकारिता का बढ़ता विस्तार देख यह समझना सहज ही होगा कि इससे कितने लोगों को राजे गार मिल रहा है। मीडिया के विस्तार ने वबे डेवलपरो एवं वेब पत्रकारो की मांग को बढ़ा दिया है। वबे पत्रकारिता किसी अखबार को प्रकाशित करने और किसी चैनल को प्रसारित करने से अधिक सस्ता माध्यम है। चैनल अपनी वेबसाइट बनाकर उन पर बे्रकिंग न्यूज, स्टोरी, आर्टिकल, रिपोर्ट, वीडियो या साक्षात्कार को अपलोड और अपडेट करते रहते हैं। 

आज सभी प्रमुख चैनलो  (आईबीएन, स्टार, आजतक आदि) और अखबारों ने अपनी वेबसाइट बनाई हुई हैं। इनके लिए पत्रकारों की नियुक्ति भी अलग से की जाती है। सूचनाओं का डाकघर कही जाने वाली संवाद समितियां जैसे पीटीआई, यूएनआई, एएफपी और रायटर आदि अपने समाचार तथा अन्य सभी सेवाएं आनलाइन देती हैं।

Bandey

I am full time blogger and social worker from Chitrakoot India.

1 Comments

  1. Myself xyz of the heritage school.....it's useless yrrrr:(

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