बकरी के दूध की तुलना आमतौर पर गाय के दूध के साथ की जाती है। उत्पादन में अंतर के अलावा गाय के दूध को पचाना कठिन होता है
बकरी के दूध के औषधीय गुण / लाभ
- दूध में वसा की गोलिकायें 1 से 10 माईक्रोन तक होती है लेकिन 5 माईक्रोन से कम की गोलिकाओं की
संख्या गाय के दूध में 60 प्रतिषत है जबकि बकरी के दूध में 80 प्रतिषत है। छोटे आकार की
गोलिकायें दूध में बेहतर फैलाव और वसा को सजातीय मिश्रण प्रदान करती है। जिससे दूध का पाचन
आसान हो जाता है।
- अलावा बकरी के दूध में एग्लूटीनिन नामक प्रोटीन भी अनुपस्थित होता है, जिससे क्रिमिंग दर
धीमी हो जाती है इससे बेहतर पाचन हेतु अधिक समय प्राप्त होता है।
- बकरी के दूध में कैप्रोइक, कैप्रायलिक और कैप्रिक एसिड प्रमुख होते है। जो रोगाणुरोधी के रूप में कार्य
करते है।।
- बकरी के दूध में वसा की गोलिकायें छोटे आकार होने के कारण इन्है। तोड़ने के लिए यांत्रिक तरीकों
की आवश्यकता नहीं होती। इसके परस्पर गायों के दूध में मौजूद वसा की बड़ी गोलिकायें जब यांत्रिक
तरीके से टूटती है। तो यह एक एंजाइम ‘‘जैंथीन ऑक्सीडेज) छोड़ती है जो आंतों की दीवार से रक्त
प्रवाह में प्रवेश करता है। जैंथीन ऑक्सीडेज के प्रभाव से बचने हेतु रक्तनली कोलेस्ट्रोल स्त्रावित
करता है जिससे रक्त में कोलेस्ट्रोल बढ़ जाता है।
- गाय के दूध की तुलना में अमीनो अम्ल टॉरीन की मात्रा विरोधी में 20-40 गुना अधिक होती है जो
परासरण नियंत्रण, एंटी ऑक्सीकरण विरोधी, शारीरिक विकास, दिमागी विकास, कैल्षियम ट्रांसपोर्ट
में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है एवं बीमारियों से निजात दिलाता है।
- बकरी के दूध में आमतौर पर 250 से 300 मिलीग्राम/लीटर ऑलिगोसेकराइड्स होते है। जो गाय के
दूध से 4-5 गुना ज्यादा होता है। इसमें प्रीबायोटिक, एंटी इन्फेक्षन, संक्रमण व सूजन विरोधी गुण
है।। यह आंत की ऊपरी सतह में बैक्टीरिया के आवरण को रोकता है एवं कोशिकाओं में इसके
स्थानांतरण को कम करता है।
- बकरी का खीस (कोलोस्ट्रम) और दूध पॉलीमाइन में समृद्व होता है। जो शिशुओं में पाचन, डीएनए
प्रतिकृति और न्यूरोजेनेसिस में सहायक होता है।
- एंजियोटेंसिन परिवर्तित एंजाइम निरोधक पेप्टाइडस बकरी के दूध से बने मट्ठे और कैसिइन प्रोटीन
से प्राप्त होता है जो एंजियोटेंसिन-। को एंजियोटेंसिन-।। में बदलने से रोकता है, जिससे रक्तनली
में संकुचन और उच्च रक्तचाप की संभावना कम हो जाती है
- कैसिइन प्रोटीन बकरी के दूध में कैसिनो मैक्रोपेप्टाइड बनाता है, जिसके हाइड्रोलिसिस होने पर
एंटी-थ्रोम्बेटिक पेप्टाइड पैदा होता है जो घनास्त्रता से बचाता है।
- बकरी के दूध में विटामिन ए की मात्रा अधिक होती है, क्योंकि बकरियाँ दूध से सभी बीटा कैरोटीन को
विटामिन ए में बदल देती है। यही कारण है कि बकरी का दूध सफेद होता है। इसमें 3 गुना अधिक
विटामिन बी 3 और 25 प्रतिषत अधिक विटामिन बी 6 पाया जाता है। साथ ही पोटेषियम, मैग्नीषियम,
कैल्षियम, फॉस्फोरस, सेलेनियम ज्यादा होता है और इस प्रकार बकरी का दूध अवषोषण विकारों को
कम करता है।
- बकरी के दूध का पीएच क्षारीय (7.2-7.4) होता है जो पेट के छालों के उपचार में सहायक है।
- दूध का उपयोग उच्च पाचन शक्ति और अवशोषण दर के कारण एड्स के रोगियों, जिन्हे आंत में
विकारों के लक्षण होते है।, एवं पाचन प्रभावित होता है को पोषक तत्व प्रदान करने हेतु किया जाता है,
खनिज सेलेनियम बकरी के दूध में प्रचुर मात्रा में है जिसकी कमी एड्स और अन्य संक्रामक बीमारियों
के तेजी से बढ़ने से जुड़ी हुई है। सेलेनियम ऑक्सीडेटिव तनाव से बचाता है और विषाणु प्रतिकृति को
रोकता है, साथ ही टी-लिम्फोसाइट के कार्य को बेहतर बनाता है।
- दूध में मौजूद प्रोटीन ए 1-बीटा केसिइन टाइप-1 डायबिटीज के लिए जिम्मेदार है। प्रोटीन के पाचन
के बाद बीटा कैसोमोर्फिन का निमार्ण होता है जो इंसुलिन का उत्पादन करने वाली कोषिकाओं को
नष्ट करने के लिए जिम्मेदार होता है, जिसके परिणामस्वरूप टाइप-1 डायबिटीज होता है। बकरी के
दूध में ए-1 बीटा कैसिइन का अभाव है इसलिए यह सुरक्षित माना जाता है।
- बकरी के दूध में लैक्टोज कम होता है और साथ ही यह पूरी तरह से अवषोषित हो जाता है। इस वजह
से इसमें लैक्टोज असहिष्णुता के लक्षण नहीं पाए जाते है।।
- बकरी के दूध में संयुग्मित लिनोलिक अम्ल की उच्च मात्रा होती है। यह ऑक्सीकरण और कैंसर
विरोधी गुण प्रदर्षित करती है, इस प्रकार यह कैंसर को रोकने में सहायक होती है।
- बकरी के दूध में उच्च कैल्षियम का स्तर वसा के ऑक्सीकरण में मदद करता है और इस तरह मोटापे
को रोकने में सहायक है।
- बकरी को टी.बी. का प्रतिरोधी माना जाता है क्योंकि इसके दूध में लेक्टोपेरोक्सीडेज एंजाइम होता है
जो जीवाणुरोधी और फफूंद विरोधी गुण प्रदर्शित करता है।
- बकरी के दूध से बना मट्ठा जैविक (कार्बनिक) सोडियम में समृद्ध है। जैविक सोडियम हड्डियों में
कैल्षियम को पकडे़ रखता है और रूमेटाइड गठिया को रोकता है, जो कैल्षियम की कमी के कारण
होना पाया गया है।
- बकरी के दूध का इस्तेमाल विभिन्न सौंदर्य प्रसाधनों जैसे साबुन, एंटी-एजिंग क्रीम, बालों के तेल और
शैंपू इत्यादि के लिए किया जाता है। इसका कारण फैटी एसिड और ट्राइग्लिसराइड्स की उच्च मात्रा
है जो पैन्थिनॉल जैसे मॉइस्चराइजिंग कारक प्रदान करता है और मानव त्वचा के समान अद्वितीय
पीएच प्रदान करता है।
बकरी और गाय के दूध की रासायनिक संरचना
विवरण | बकरी दूध | गाय के दूध |
---|
कुल ठोस | 12.97% | 12.01% |
प्रोटीन | 3.56 % | 3.29% |
वसा | 4.14 % | 3.34% |
लैक्टोज | 4.45 % | 4.66% |