पंडित भीमसेन जोशी का जीवन परिचय
पंडित भीमसेन जोशी का जन्म 4 फरवरी 1922 में कर्नाटक राज्य के धारवाड़ जिले में हुआ। पंडित भीमसेन जोशी जी को बचपन में ही घर में संगीत का भरपूर वातावरण मिला, पंडित जी को संगीत से लगाव अपनी माँ के कारण हुआ जो अकसर भजन गाया करती थीं, पंडित जी ने संगीत की शिक्षा किराना घराने के संस्थापक सवाई गंधर्व से ली व अन्य कई गुरुओं से भी सीखा, वे एक ऐसे गायक के रूप में माने जाते हैं जिन्होंने गत बीस-तीस वर्षों तक संगीत प्रेमी जनता के मन में वास किया है। आपने देश-विदेश में अनेक संगीत सम्मेलन में अपनी कला का प्रदर्शन किया। विदेशों में अपने गायन कला के प्रदर्शन से आपने विदेशियों को प्रभावित किया व शास्त्रीय संगीत के प्रति रुचि उत्पन्न की।पंडित भीमसेन जोशी युग की माँग को देखते हुए ठुमरी गायन में भी प्रवीणता प्राप्त की।
पार्श्व गायिका लता मंगेश्कर के साथ गाए गए भजन एक अनमोल देन कहे जा सकते
हैं। दूरदर्शन पर गाई गई धुन ‘‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’’ जो एकता का प्रतीक है, प्रत्येक
मनुष्य के दिलों दिमाग में घर कर गई। पंडित जी को अनेक कलाकारों ने प्रभावित
किया, जैसे उस्ताद अमीर खां, केसरबाई केरकर, अमान अली, उस्ताद बड़े गुलाम
अली खां इत्यादि।
अपने गुरु सवाई गंधर्व के प्रति अपार श्रद्धा का ही ये प्रमाण है कि
आर्य-संगीत प्रसारक मण्डल की ओर से वे प्रत्येक वर्ष सवाई गांधर्व महोत्सव का
आयोजन गत कई वर्षों से करते आ रहे थे जो लगातार तीन रात्रि तक चलता है, देश
के उच्च कोटि के कलाकारों और उभरते कलाकारों के प्रदर्शन से श्रोतागण आनंद
विभोर हो जाते हैं। कार्यक्रम का समापन अंतिम रात्रि को पंडित भीमसेन जोशी जी के
गायन से होता था। आपके शिष्यों में माधव गुड़ी, उपेन्द्र भाट, श्रीकान्त देशपाण्डे,
अनन्त तेरदान, श्रीपति पडिगार आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। पंडित जी को भारत
सरकार से पद्मश्री, पद्मविभूषण व भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया गया।
पंडित भीमसेन जोशी की मृत्यु
पंडित भीमसेन जोशी की मृत्यु 24 जनवरी 2011 को पूना में हुआ।’ आज के सर्वाधिक
लोकप्रिय गायकों में आपका नाम सदा उल्लेखनीय रहेगा।