विशेष विवाह अधिनियम 1954 क्या है

विशेष विवाह अधिनियम, 1954 बिना किसी धार्मिक महत्व के विवाह के संबंध में उपबन्ध करता है। अधिनियम की धारा 4 के अनुसार किसी भी धर्म के दो वयस्क व्यक्ति विवाह कर सकते हैं बशर्ते कि पक्षकार प्रतिषिद्ध नातेदारी की डिग्रियों के भीतर नहीं है या किसी दूसरे धार्मिक संस्कारों के भीतर किसी अन्य व्यक्ति के साथ उनका विवाह न हुआ हो या जीवित पति/पत्नी विवाह के समय न हो।

अधिनियम की धारा 5 के अनुसार पक्षकारों को विवाह करने के लिए उस जिले के विवाह अधिकारी (Marriage Officer) को लिखित रूप से सूचना देनी होगी जिसमें कम से कम एक पक्षकार 30 दिन अथवा अधिक अवधि से रह रहा हो। उक्त नोटिस विवाह पंजीकरण कार्यालय (Marriage Registry Office) में प्रमुख स्थान पर चस्पा कर दी जाती है। चस्पा करने की तिथि के बाद 30 दिन से पहले विवाह तथा उसका पंजीकरण नहीं होगा परन्तु 3 माह के अन्दर हो जाना चाहिए। विवाह अधिकारी द्वारा विवाह का पंजीकरण 3 (तीन) गवाहों की उपस्थिति में किया जाता है तथा विवाह प्रमाण पत्र संबंधित पति-पत्नी को निर्गत कर दिया जाता है। अधिनियम की धारा 7 के अनुसार सूचना के 30 दिवस के दौरान कोई व्यक्ति विवाह होने के संबंध में आपत्ति कर सकता है यदि अधिनियम में उल्लिखित आधारों पर विवाह अवैध हो। ऐसी आपत्ति के सत्य पाये जाने पर विवाह अधिकारी विवाह सम्पादन के लिए इन्कार कर सकता है।

Post a Comment

Previous Post Next Post