दूध में कौन से पोषक तत्व होते हैं?

दूध में उपस्थित प्रमुख पोषक तत्व

प्रधान रूप से मधुर रस को दूध कहते हैं। प्राय: दूध मधुर रस वाला ही होता है। दूध सभी प्राणधारियों के लिये सात्म्य अर्थात् हितकारी है।

समस्त दूध प्राय: मधुर रसयुक्त, स्निग्ध, शीत, पुष्टि देने वाले, बृंहण शरीर को बढ़ाने वाले, (वृण्य) वीर्यवर्धक, (मेध्य) बुद्धि के लिये हितकारी, (बल्य) शरीर को बल देने वाले, (मनस्कर) मन को प्रसन्न करने वाले, (जीवनीय) जीवन के लिये हितकारी, (क्षमहर) थकावट को मिटाने वाले तथा श्वास और कास (कफ, कास को छोड़कर शेष समस्त कासों को) मिटाने वाले होते हैं। 

दूध रक्तपित्त को नाश करने के साथ-साथ टूटे हुए को जोड़ने वाला है। समस्त प्राणियों के लिये सात्म्य दोषों का शमन अर्थात् स्वस्थान में स्थित दोषों को शान्त करने वाला है, प्यास का नाश करने वाला, अग्निवर्धक, क्षीण और क्षत रोगियों के लिये हितकारी, पाण्डु रोग, वातपित्त, शोष, गुल्म, उदर, अतीस ज्वर (जीर्ण ज्वर), दाह और शोथ रोग में विशेष करके पथ्य और हितकारी है। 

शुक्ररोगों में, मूत्रकृच्छ्र रोग में तथा मलावरोध में ये पथ्य हैं। दूध नस्य कर्म में, अवगाहन क्रिया में आलेपन में, वमन में, आस्थापन में, बस्ति में, विरेचन क्रिया में, स्नेहकर्म में, समस्त स्थानों पर रसायन अर्थात् वाजीकरण आदि में भी प्रयुक्त होता है। 

1. गाय का दूध- मधुर, शीतल, मृदु, स्निग्ध, बहल, श्लक्ष्ण, पिच्छिल, गुरु, मन्द और प्रसन्न- इन दस गुणों वाला गाय का दूध होता है। दश गुणों की समानता से दूध ओज को बढ़ाता है। तदेवंगुणमेवौज: सामान्यादभिवर्धयेत्। प्रवरं जीवनीयनां क्षीरमुक्तं रसायनम्।। जिस प्रकार जल में जीवन का गुण होता है। उसी प्रकार दूध में भी जीवन के गुण हैं।

2. भैंस का दूध- भैंस का दूध गाय के दूध से भारी, गाय के दूध से ठण्डा और उसमें स्नेह अर्थात् घी भी अधिक होता है, निद्रा न आने वाले के लिये तथा अग्नि के बहुत बढ़ने में यह हितकारी होता है। भैंस का दूध गुरु, शीत और अधिक स्निग्ध होता है, अधिक बलवर्धक तथा बृंहण (शरीर को उपचित करने वाला) में श्रेष्ठ होता है। 

3. ऊँटनी का दूध-  ऊँटनी का दूध रुक्ष, लघु और सालवण अर्थात् कुछ लवण रस वाला होता है, यह मधुर रस के अनुरस से जानना चाहिये। ऊँटनी का दूध प्रायश: मधुर होता है, ऐसा कहा गया है न कि सर्वथा (सम्पूर्ण रूप से) मधुर ही होता है। ऊँटनी का दूध वात नाशक, कफ नाशक, इसके अतिरिक्त आनाह, कृमि, शोफ, उदर एवं अर्श रोगों में भी हितकारी है।

4. घोड़ी या एक खुर वाले पशुओं का दूध- एक खुर वाले घोड़ी या गधी, खच्चर आदि जानवरों का दूध बल कारक, शरीर को स्थिर बनाने वाला, उष्ण, अम्ल-लवण रस, रुक्ष, हाथ पाँव के वातविकारों का नाश करने वाला और लघु है। दूसरे दूधों की शीतता की अपेक्षा वडवा (घोड़ी) का दूध उष्ण होते हुए भी मूत्र और मधु की अपेक्षा शीत ही होता है।

5. बकरी का दूध- बकरी का दूध कषाय, मधुर, शीतल, संग्राहि एवं लघु होता है। बकरी का दूध रक्तपित्त तथा अतिसार का नाश करने वाला है। इसके अतिरिक्त क्षय, कास, ज्वर में भी बकरी के दूध को औषधीय रूप से उपयोग में लाया जाता है।

6. भेंड का दूध- भेड़ी का दूध- हिक्का, श्वास रोग उत्पन्न करने वाला, गरम तथा पित्त एवं कफ को उत्पन्न करने वाला होता है।

7. हथिनी का दूध- हथिनी का दूध गुरु तथा शरीर को दृढ़ करने वाला होता है। यद्यपि हस्तिनी (हथिनी) के क्षीर आदि का प्रयोग शास्त्र में नही कहा गया हैै तथापि इनके कथित गुणों को जानकर यथावश्यक इसका प्रयोग करना चाहिये।

8. स्त्री का दूध- स्त्रियों का दूध जीवनीय, बृंहणीय, शरीर के लिये सात्म्य, स्नेहक, नस्य के लिये रक्तपित्त में हितकारी, आँख के दुखने में तर्पण करने के लिये उत्तम है।

दूध के प्रकार

1. वसा रहित दूध- क्रीम सेपरेटर द्वारा दूध की क्रीम अलग कर ली जाती है, जिसे वसा रहित दूध या स्किम्ड दूध कहते हैं। इस दूध में वसा की मात्रा केवल 0.05 से 0.1% रह जाती है। यह दूध षिषुओं के लिए ठीक नहीं रहता है, क्योंकि इसमें विटामिन ‘ए’ भी कम हो जाता है।

2. खमीरी दूध- अम्ल या बैक्टीरिया द्वारा दूध में खमीरीकरण क्रिया द्वारा खमीरीकृत दूध तैयार किया जाता है। इसे मट्ठा भी कहते हैं, जो कि अत्यन्त सुपाच्य होता है।

3. गाढ़ा दूध- उसमें पानी की मात्रा कम रकते हैं। दूध को सुरक्षित रखने के लिए उसमें 40ः शक्कर मिलाई जाती है। इसमें विटामिन ‘डी’ भी मिलाया जाता है।

5. पाउडर दूध- दूध में उपस्थित जल की मात्रा को पूर्णतया सूखाकर उसे पाउडर के रूप में बदल देते हैं। दूध को संग्रहित करने के लिए व सुपाच्य बनाने के लिए कुछ क्रियायें अपनायी जाती है। ऐसा दूध बूढ़ों, बीमारों एवं बच्चों के लिए उत्तम होता है।

दूध में उपस्थित पोषक तत्व

1 प्रोटीन- दूध की मुख्य प्रोटीन केसीन है, जो कि फास्फो प्रोटीन कहलाती है, केसीन दूध में कैल्षियम तथा फाॅस्फोरस के साथ संयुक्त रूप से रहती हैं अन्य प्रकार के प्रोटीन केसीन से कम मात्रा में होते हैं। दूध में केसीन प्रोटीन का स्थान महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसी से दही, पनीर तथा चीज का उत्पादन होता है।

2. कार्बोहाइड्रेट- दूध में कार्बोज 4% से 7% पाया जाता है। दूध की शर्करा को लेक्टोज कहते हैं। यह स्वाद में मीठी होती है। लैक्टोबैसिलस जीवाणु इस शर्करा को लेक्टिक अम्ल में बदल देते है, जिससे दूध खट्टा हो जाता है, जैसे दही जमाने की क्रिया में। दूध की प्राकृतिक मिठास इस शर्करा की उपस्थिति के कारण होती है।

3. वसा- वसा की मात्रा माता के दूध में सबसे कम व भैंस के दूध में सबसे ज्यादा होती है।

4. लवण - माता के दूध में अन्य स्तनधारियों से कम मात्रा में खनिज लवण होते हैं। दूध में उपस्थित खनिज लवणों में कैल्षियम फाॅस्फेट की मात्रा अधिक होती है। कैल्षियम फाॅस्फेट अस्थियों की उचित बाढ़ के लिये आवश्यक है। अतः वृद्धिकाल में अधिक दूध का सेवन अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होता है।

दूध में लौह लवण की मात्रा न्यूनतम होती है। दूध में मैगनीषियम, पोटेषियम, सोडियम और थोड़ी मात्रा में आयोडीन रहती है। दूध में विटामिन ‘डी’ की कमी होती है। विटामिन ‘बी’ समूह तथा ‘सी’ उबालते समय नष्ट हो जाते हैं।

दूध से बने उपयोगी पदार्थ

1. दही- दूध में लैक्टोबेसीलाई बैक्टीरिया उत्पन्न होकर दूध के लैक्टोज को लेक्टिक एसिड में बदल देते हैं और दूध का प्रोटीन जम जाता है जिसे दही कहते हैं।

2. मट्ठा- दही को मथकर उसमें मक्खन निकाल लिया जाता है। इसमें पानी की मात्रा ज्यादा होती है। यह सुपाच्य होता है।

3. क्रीम- दूध को गर्म कर रखने पर दूध के ऊपर वसा आ जाती है, वह दूध के जल से हल्की होती है। इसे दूध से अलग कर लिया जाता है। इसे मलाई भी कहते हैं।

4. पनीर या छैना- पनीर बनाने के लिए दूध में कोई खटाई (नींबू, साइट्रिक एसिड़ दही) डालकर दूध को फाड़ा जाता है, जिससे दूध की प्रोटीन केसीन थक्के के रूप में जम जाती है।

5. चीज- पनीर में नमक डालकर रखते हैं, जिससे पानी की मात्रा निकल जाती है। इसमें प्रोटीन 28%, वसा 35% , कैल्षियम, फाॅस्फोरस, जीवन सत्व ‘ए’, ‘बी’ तथा ‘डी’ काफी मात्रा में होते हैं।

6. खोया- दूध को लम्बे समय तक आग पर पकाकर सुखाया जाता है। गाढ़े किये गये दूध को खोया कहते है। इसमें विभिन्न प्रकार की मिठाई बनाई जाती है।

इनका सभी के लिये उचित मात्रा में सेवन करना अत्यधिक हितकारी एवं लाभकारी है। तथा सभी के लिये जीवनीय गुणों से युक्त होने के साथ-साथ ये दूध उत्तम औषधि के रूप में उपयोगी हैं

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