जुकाम के लक्षणों के लिए 5 आयुर्वेदिक घरेलू उपाय

जुकाम के घरेलू उपाय

नाक के रास्ते पतले कफ निकलने को जुकाम कहते हैं, उससे आंखें लाल गला खराब तथा सिर भारी रहता है, हम जो कुछ भी खाते हैं उसकी पाचन क्रिया पूरी होने के बाद बने रक्त का आक्सीजनीकरण होता है, नाक द्वारा पूरा आक्सीजन न मिलने से यह क्रिया पूरी नहीं होती और रक्त में आवश्यक गर्मी न मिलने से यह क्रिया पूरी नहीं होती और रक्त में आवश्यक गर्मी न आने से यह रोग होता है। जिससे खाया-पिया जुकाम के रूप में बाहर निकलता रहता है, इस बीमारी से नाक से सूंघने की शक्ति तथा जुबान के स्वाद का भी पता नहीं, चलता तीन-चार दिनों के बाद बलगम गाढ़ा हो जाता है और फिर हल्की खांसी या छीकों के साथ कफ निकलता है।

कब्ज रहना भी एक रोग का मुख्य कारण है, कफ तथा वायुकारक वस्तुओं का प्रयोग शरीर से पसीना न निकलना शरीर को आवश्यकतानुसार गर्म न रखना आदि अनेक कारण इस रोग के होते है, यदि जुकाम की स्थिति बनी रहे तो आंखे कमजोर हो सकती है, कानों में कम सुनाई पड़ने लगता है, बाल सफेद हो जाते हैं तथा झड़ने लगते हैं।

जुकाम रोग की उत्पत्ति

जुकाम साधारणतः ठंड लगने कब्ज में सर्दी का प्रयोग होने ठंडे पानी में चलने-फिरने, बरसात में भीगने, एकाएक पसीना बन्द हो जाने, बाहरी पदार्थ के प्रवेश करने तथा ऋतु परिवर्तन आदि के कारण होता है यह एक संक्रामक रोग है, इसमें रोगी की नाक की श्लैष्मिक कला में सूजन आ जाती है।

जुकाम रोग के लक्षण

जुकाम फ्लू का छोटा भाई है, ‘‘फ्लू‘‘ की तरह यह भी नाक की झिल्ली को प्रभावित करता है, लेकिन इसमें ‘‘फ्लू की तरह बुखार नहीं आता, जुकाम आने पर बार-बार छीकें आती है नाक से पानी बहता है तबीयत भारी हो जाती है, सिर में पानी रूकने के कारण भारीपन तथा दर्द होता है, नाक में जलन होती है, तथा आंखे, नाक और ओंठ लाल हो जाते हैं, नाक का पानी धीरे-धीरे गाढ़ा हो जाता है जो बलगम के रूप में बदल जाता है नाक बन्द हो जाती है।

किसी-किसी को ठंड से बुखार आता है, त्वचा गर्म और सूखी होती है तथा प्यास के साथ में जीभ में सूखापन एवं भूख न लगना जैसे लक्षण दिखते हैं, इसके साथ ही शरीर में जकड़ाहट और दर्द होता है, नाक की झिल्लियों में सूजन आ जाती है और नाक से श्वास लेने में परेशानी होती है।

जुकाम रोग के कारण

अनुपयुक्त आहार अधिक समय तक बैठकर काम करना रक्त परिसंचरण का मन्द होना शुद्ध वायु का अभाव सर्दी लगना ऋतु परिवर्तन में जब शरीर का आन्तरिक तापमान बाह्य तापमान से तालमेल बैठाने का प्रयास करता है, तभी वह जुकाम के हमले का श्किार हो जाता है। 

जुकाम रोग में सावधानियां

जुकाम आरम्भ होते ही यदि रोगी सबल है तो उसे हल्की धूप में थोड़ी दूर टहलकर शरीर में पसीना लेना चाहिये, फिर तुरन्त एक मिनट तक स्पंज - स्नान लेकर पुनः बदन को गर्म कर लेना चाहिये परन्तु जो रोगी दुर्बल हैं उसे बजाय टहलने के आरम्भ से बिस्तर पर लेट जाना चाहिये और आधा-आधा घण्टा पर एक-एक गिलास गरम पानी में नीबू का रस डालकर या सादा ही पीते रहना चाहिये ऐसा करने से नाक खुलकर बहने लगेगी और सर्दी का जोर बहुत कुछ कम हो जायेगा।

जुकाम के घरेलू उपाय

  1. अदरक को भून लें इसके बाद थोड़ी सी अदरक चबाकर खाएं।
  2. दिन में नाक से बहने वाला श्लेष्मा बन्द हो जायेगा। 
  3. मुनक्के 100 ग्राम पानी में उबालें जब पानी आधा हो जाय तो मुनक्कों तथा पानी को सेवन करें। 
  4. 100 ग्राम खजूर नित्य 4 दिन तक बकरी के दूध में उबालकर खाएं फिर ऊपर से दूध पिएं। 
  5. आधा चम्मच सोंठ (पिसी) फांककर ऊपर से गाय का दूध पिएं। 
  6. दालचीनी और जायफल इन दोनों को बराबर की मात्रा में लेने से जुकाम ठीक हो जाता है। 
  7. मूली के बीजों का चूर्ण 2 चुटकी की मात्रा में कर्म पानी के साथ सेवन करें। 
  8. पानी में राई पीसकर नाक पर लेप लगाने से जुकाम चला जाता है। 
  9. सर्दी जुकाम में नाक पर तथा नाक के भीतर सरसों का तेल लगाएं।

पुराने और बिगड़े हुए जुकाम की दवा

पहले एक या दो दिनों का उपवास नींबू के रस मिले जल पर करें, फिर 7 से 14 दिनों तक रसदार फलों पर रहें, एनिमा का प्रयोग एक वक्त या दोनों वक्त कब्ज रहने तक करें प्रतिदिन प्रातः काल कटिस्नान रोज हल्की कसरत साथ ही गहरी श्वांस की भी कसरतें, 24 घण्टों में एक बार पैरों का गरम-स्नान लें पूर्ण विश्राम साथ-साथ 1-1 घंटे पर प्रचुर गर्म जल-पान ज्वर हो तो 1 या 1) घंटा तक छाती व कन्धों की पट्टी लगावें जिसके बाद ही पैरों का गरम स्नान लें, खुली और हवादार जगह पर वास हो नाक में गरम भाप देना तथा नमक मिले गरम पानी में नाक डुबोकर पानी सूंघना या जलनेति, सूत्रनेति करना भी लाभ करता है, रोग 15-20 मिनट तक नंगे शरीर पर हल्की धूप लें, तथा नारंगी रंगी की बोतल का सूर्य तप्त जल दो भाग गहरे नीले रंग की बोतल का एक भाग और हरे रंग की बोतल का जल एक भाग मिलाकर 25 ग्राम की खुराक से दिन में 6 खुराक पीना हरी बोतल में सूर्यतप्त जल में रूई की बत्ती भिगोकर उसे नाक के नथुनों में रखना आधी नारंगी रंग की बोतल में सूर्यतप्त जल तथा आधा हरे रंग की बोतल का सूर्यतप्त जल मिलाकर उसी से श्वास लेना एवं नाक पर हरे रंग का प्रकाश 7 से 10 मिनट तक रोज डालना पुराने से पुराने जुकाम को भी दूर कर देता है। जुकाम में कभी-कभी गले में खराश हो जाती है। इसके लिये गुनगुने पानी में थोड़ा सा कागजी नीबू का इस और जारा सा नमक मिलाकर दिन में दो से तीन बार गरारे करना चाहिये या गर्दन की ऊष्णकर भीगे कपड़े की पट्टी 1-2 घंटे तक आवश्यकतानुसार बांधनी चाहिये।

रोगी का आहार

जुकाम में उपवास बड़ा फायदा देता है, इसलिये एक या दो दिन पूर्ण उपवास केवल चार बार गर्म पानी, नीबू का रस तथा दो तीन चम्मच मधु मिलाकर लेना चाहिये, इसी से जुकाम ठीक हो जायेगा या एक सप्ताह सिर्फ सन्तरा रसदार फल व सब्जी का रस सब्जी का सूप पीने से ही लाभ हो जाएगा।

दिन में दो बार अदरक, इलायची, कालीमिर्च की चाय या प्राकृतिक चाय पिएं, जूस तथा सूप इस चाय की खुराक को दिन में 6 बार लें इससे पूरे शरीर में परिवर्तन आ जाएगा इसके बाद एक समय सादा भोजन दूसरे समय फल व सब्जियों का सूप और सुबह-शाम अदरक की चाय लें, ऐसा एक माह तक करें, इस आहार क्रम को एक-दो वर्ष तक अपना करके हर प्रकार के रोगों से बचें रहेंगे, यदि खांसी भी हो तो अदरक के रस में 2-3 चम्मच मधु मिलाकर दिन में दो बार लें तथा मुलहटी चूसें खांसी ठीक हो जाएगी।

पूर्ण स्वस्थ न होने तक विश्राम करना चाहिये, उसका रूप भयंकर न होने पावेगा, जुकाम का रूप भयंकर तब होता है और इस तरह से शरीर स्थित मल को जो जुकाम का मूल कारण माना जाता है, बाहर निकल जाने से रोक दिया जाता है।

कदाचित् ही कोई ऐसा व्यक्ति मिले जिसे कभी सर्दी न हो बहुत लोगों को जाड़ों में सर्दी अवश्य हो जाया करती है। सर्दी जिसको जुकाम भी कहते हैं, बहुत व्यापक, कपटदायक एवं असुविधाजनक रोगों में से एक रोग है जिसको अगर समझदारी के साथ तत्काल उपचार करके दूर न कर दिया जाय तो वही निमोनिया, ब्रोंकाइटिस इन्फ्लोएन्जा पीनल तथा तपेदिक जैसे भयानक और प्राणलेवा रोगों का जन्मदाता बन जाता है।

जुकाम की प्राकृतिक चिकित्सा

  1. एक गिलास सहता हुआ गर्म पानी सुबह के समय नाक से पियें। 
  2. प्रतिदिन एक बाद पीठ पर गुनगुने पानी की धार छोड़े। 
  3. दो मिनट तक सूर्य के सामने पीठ करके धूप में बैठें। 
  4. कांच के हरे गिलास में जल भरकर नित्य 2-2 चम्मच जल भोजन के बाद पिएं। 
  5. प्रतिदिन गर्म पानी में 1 नीबू निचोड़कर पिएं 
  6. मुंह में जरा सा फिटकरी रखकर धीरे-धीरे चूसें

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