ऊंटनी के दूध के फायदे और नुकसान

विश्व स्तर पर ऊंटों की आबादी 47 देशों में फैली हुई है, जिसका 83 प्रतिशत भाग पूर्वी एवं उत्तरी अप्रफीका में तथा शेष भारतीय उपमहाद्वीप एवं मध्य पूर्व एशिया में पाया जाता है। ऊंटों की अनुमानित संख्या लगभग 26.99 लाख है। ऊंटों की संख्या के आधार पर भारत द्वितीय स्थान पर है, जहां पर 3.8 लाख ऊंट हैं। इसमें मुख्य रूप से राजस्थान (81.41 प्रतिशत), गुजरात (7.8 प्रतिशत), हरियाणा (2 प्रतिशत) सम्मिलित हैं।

रेगिस्तान की कठिन परिस्थितियों में ऊंट की उत्पादन क्षमता किसी भी अन्य प्रजाति की तुलना में सबसे अधिक होती है, जबकि उनकी खाद्य आवश्यकताएं सामान्य हैं। मवेशियों के दूध की तुलना में ऊंटनी के दूध में वसा, प्रोटीन एवं ठोस पदार्थ कम मात्रा में होते हैं। इसके अलावा कुल लवण तथा रक्षात्मक प्रोटीन उच्च प्रतिशत में पाए जाते हैं। विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में ऊंटनी का ताजा एवं किण्वित दूध कई रोगों के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है।

ऊंटनी के दूध के फायदे

ऊंट का दूध असाधारण औषधीय गुणों के लिए मान्यता प्राप्त है। यह कैंसर समेत कई रोगों के विरुद्ध औषधीय क्षमता के लिए जाना जाता है। दीर्घकाल से ऊंटनी का दूध रोगों की विस्तृत शृंखला में अपने लाभकारी प्रभाव के कारण उपयोग किया जाता रहा हैं। इंसुलिन निर्भर मधुमेह मेल्टिस (आईडीडीएम), शिशु दस्त, हेपिटाइटिस, एलर्जी, लैक्टोज असहिष्णुता, आटिज्म और शराब के कारण हुई यकृत क्षति इत्यादि का इस क्रम में उल्लेख किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त इस दूध में लाइसोजाइम, लैक्टोपेफरिन तथा लैक्टोपेराॅक्सिडेस जैसे महत्वपूर्ण प्रतिरक्षित अणु भी होते हैं। इस दूध में विभिन्न रोगों जैसे-ड्राॅप्सी, पीलिया, तपेदिक, अस्थमा, एनीमिया तथा खाद्य एलर्जी आदि के विरुद्ध भी औषधीय गुण होते हैं।

ऊंटनी के दूध के गुण

1.भौतिक गुण

ऊंटनी का दूध सामान्य दूधिया गंध के साथ रंग में अपारदर्शी सफेद तथा स्वाद में नमकीन मीठा होता है, जो मुख्य रूप से चराई क्षेत्र में उपलब्ध चारे या वनस्पति के प्रकार पर निर्भर करता है। ऊंटनी के ताजे दूध का पी-एच 6.4 से 6.7 तापमान तक होता है। यह भेड़ के दूध के समान एवं मवेशी के दूध से कम है।

2. प्रोटीन

दूध में औसत प्रोटीन की सर्वाधिक मात्रा कच्छी नस्ल में, उसके बाद बीकानेरी तथा जैसलमेरी नस्ल में दर्ज की गई है। केसीन प्रोटीन के लिए भी इसी प्रकार की प्रवृति देखी गई है। ऊंटनी के दूध की कुल प्रोटीन मात्रा 2.1 से 4.9 प्रतिशत तक दर्ज की गई है। यह कुछ प्रसंस्करण विशेषताओं, ऊष्मीय उपचार तथा केसिन मिसेल्स की जमावट को प्रभावित करता है।

मट्ठा प्रोटीन कुल प्रोटीन का 20-25 प्रतिशत होता है तथा ऊंटनी के दूध में इसकी मात्रा 0.63 से 0.80 प्रतिशत पाई जाती है। तुलनात्मक अध्ययन के अनुसार ऊंटनी तथा गाय के दूध के मट्ठा की प्रोटीन में विभिन्नताएं दर्शाते हैं। दो प्रकार की मट्ठा प्रोटीन में से अल्पफा-लैक्टोएलव्यूमिन प्रमुख हैं तथा बीटा-लेक्टोग्लोबूलिन कम मात्रा में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त ऊंटनी के दूध में सीरम एल्ब्यूमिन, लैक्टोपेफरिन, इक्यूनोग्लोबूलिन तथा पेप्टाइडोग्लाइकन की पहचान करने वाले प्रोटीन इत्यादि पाए जाते हैं।

3. दूध शर्करा

सभी स्तनधारियों के दूध में लैक्टोज व मुख्य रूप से कार्बोहाइड्रेट होता है। ऊंटनी के दूध में इसकी मात्रा 2.40 प्रतिशत से 58 प्रतिशत तक होती है। विभिन्नता का कारण चराई क्षेत्र में पाए जाने वाले शुष्क पौधों तथा झाडि़यों की विविधता हो सकता है।

4. खनिज पदार्थ

ऊंटनी का दूध क्लोराइड का समृद्ध स्रोत है, जिसका कारण ऊंटनी द्वारा खाए जाने वाली बबूल तथा एटिप्लेक्स की झाडि़यां हैं। इनमें नमक की मात्रा अधिक होती है। ऊंटनी के दूध का स्वाद नमकीन होने का यह एक कारण हो सकता है। भिन्न-भिन्न नस्लों की ऊटनियों में सूक्ष्म खनिज पदार्थ की मात्रा भिन्न होती है, जिसका कारण आहार, विश्लेषणात्मक प्रक्रिया तथा पानी का सेवन हो सकता है।

5. एंटीवायरल गतिविधि

रोटा वायरस दुनिया के अधिकांश हिस्सों में शिशुओं और बछड़ों में गैर जीवाणुजनित गैस्ट्रोएंटरिटिस का कारण है। सूत्रों के अनुसार ऊंटनी के दूध से प्राप्त इम्यूनोग्लोबुलिन (आईजी-जी) और स्रावित इम्यूनोग्लोबिन, (एसआईजीए) मवेशी एवं मानव से प्राप्त रोटा वायरस के विरुद्ध प्रभावी हैं।

6. एंटीबैक्टीरियल गतिविधि

ऊंटनी का दूध विभिन्न श्रेणी के रोगाणुओं को बाधित करता है। इसमें उपस्थित लैक्टोपेफरिन कोलोन कैंसर के प्रसार को रोकने की क्षमता रखता है। इसमें इक्यूनोग्लोबुलिन की मात्रा गाय अथवा भैंस की तुलना में अधिक पाई जाती है।

7. विटामिन

पानी में घुलनशील विटामिन में से ऊंटनी के दूध में नियासिन और विटामिन ‘सी’ की मात्रा अधिक होती है। मवेशी की तुलना में ऊंटनी के दूध में 3 से 5 गुना अधिक विटामिन ‘सी’ पाया जाता है। कच्चे दूध में इसकी मात्रा अपेक्षाकृत अधिक होती है ऊंटनी के दूध में विटामिन बी1, बी2, फोलिक एसिड तथा पेंटोथेनिक एसिड कम मात्रा में पाए जाते हैं, जबकि विटामिन-बी6 और बी12 की मात्रा गाय के दूध के समान होती है।

ऊंटनी के दूध से बने उत्पाद

ऊंटनी के दूध से बने विभिन्न उत्पादों में मुलायम पनीर, किण्वित दूध, दही, आइसक्रीम और मक्खन सम्मिलित हैं। ऊंटनी के पनीर का व्यावसायिक उत्पादन सक्रिय ऊंटनी चिमोसिन के उपयोग द्वारा भी संभव है, जिसे पिचिया पास्टोरिस नामक जीवाणु में अभिव्यक्त करवाया जाता है। ऊंटनी के दूध की क्रीम का त्वचा रोगों पर औषधीय प्रभाव भी देखा गया है।

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