पाचन क्या है

जटिल पोषक पदार्थों को अवषोषण योग्य सरल रूप में परिवर्तित करने की इस क्रिया को पाचन (Digestion) कहते है। हमारा शरीर भोजन में उपलब्ध जैव रसायनों को उनके मूल रूप में उपयोग नहीं कर सकता अतः पाचन तंत्र में छोटे-छोटे अणुओं में विभाजित कर साधारण पदार्थों में परिवर्तित किया जाता है।

पाचन तंत्र के प्रमुख पांच भाग होते है-
  1. अंतग्र्रहण 
  2. पाचन
  3. अवषोषण
  4. स्वांगीकरण
  5. मलत्याग

भोजन का पाचन 

पाचन की क्रिया यांत्रिक एवं रासायनिक विधियों द्वारा सम्पन्न होती है। मुखगुहा के मुख्यतः दो प्रकार है-
  1. भोजन का चर्वण (चबाना)
  2. निगलने की प्रक्रिया 
लार की मदद से दांत और जीभ भोजन को अच्छी तरह चबाने और मिलाने का कार्य करते है लार का श्लेषम हमें भोजन कणों को चिपकाने एवं उन्हें वोलस में रूपान्तरित करने में मदद करता है। इसके उपरान्त निगलने की क्रिया द्वारा ग्रसनी से ग्रसिका में चला जाता है। 

जठर ग्रसिका अवरोधनी भोजन के आमाषय में प्रवेष को नियंत्रित करती है। 

पाचन की रासायनिक प्रक्रिया मुखगुहा में कार्बोहाइड्रेट को जलअपघटित करने वाली एन्जाइम लार की सक्रियता से प्रारंभ होती है। 

लगभग 30% starch इसी एन्जाइम की सक्रियता से द्विषर्करा माल्टोज में अपघटित हो जाती है। लार में उपस्थित लाइसोजाइम जीवाणुओं के संक्रमण को रोकता है। 

आमाशय की डनबवें में जढर ग्रंथियां स्थित होती है। जढर ग्रंथियों में मुख्य रूप से तीन प्रकार की कोशिकाएं होती है-
  1. Mucus का स्राव करने वाली श्लेषमा ग्रीवा कोशिकाएं
  2. Peptic या मुख्य कोशिकाएं जो प्रो एल्जाइम Pepsinogen का स्त्राव (Secretion) करती है।
  3. भित्तीय या Oxyntic cell जो HCl का स्राव करती है। यह HCl, Pepsinogen को Pepsin में बदलता है। इस वजह से जढर रस का pH मान 1.8 होता है।
नवजातों के जढर रस में रेनिन नामक प्रोटीन अपघट्य एन्जाइम होता है जो दूध के प्रोटीन को पचाने में सहायक होता है।

छोटी आंत का पेषीय स्तर कई तरह की गतियां उत्पन्न करता है इन गतियों से भोजन विभिन्न स्त्रावों में अच्छी तरह से मिल जाता है और पाचन की क्रिया सरल हो जाती है। 

यकृत अग्नाषयी नलिका द्वारा पित्त अग्नाषयी रस और आंत्र रस छोटी आंत में छोड़े जाते है। 

अग्नाषयी रस में Trypsinogen, Chymptrypsinogen, प्रोकार्बोक्सिपेप्टाइडेज, अमाइलेज और Nuclease एन्जाइम निष्क्रिय रूप में होते है। 

आंत्र Mucosa द्वारा स्त्रावित Enterolcinase द्वारा Trypsinogen सक्रिय Trypsin में बदल जाता है। जो अग्नाषयी रस के अन्य एन्जाइमों को सक्रिय करता है। 

ग्रहणी में प्रवेश करने वाले पित्त रस में पित्त वर्णक, (Billirubin & Biliverdin) पित्त लवण, Cholesterol और Phospholipid होते है। लेकिन कोई एन्जाइम नहीं होता है। 

पित्त वसा के Emulsification करता है और उसे छोटे-छोटे विभिन्न micelles कणों में तोड़ता है। पित्त लाइपेज एन्जाइम को भी सक्रिय करता है।

पाचन तंत्र के विकार

  1. पीलिया
  2. वमन 
  3. प्रवाहिका
  4. कब्ज, 
  5. अपच 

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