शरीर पर तेल की मालिश करने के फायदे

मालिश करने से तैल त्वचा, केश और नेत्रों के लिए हितकारी और खाने से त्वचा, केश और नेत्रों के लिए हानिकारक होता है। यूं मालिश के कई ढंग है पर वास्तविक मालिश तो तैल से ही होती है। तैल लगाने से शरीर की त्वचा पर इच्छानुसार हाथ चलाने और मसलने से सुविधा होती है और तैल सीधा शरीर में पहुंच कर लोच, मुलामियत व स्निगधता पहुंचाता है। तैल खाने में उतना लाभकारी नहीं होता है जितना शरीर पर लगा कर मालिश करने पर होता है।  इसीलिए तैल में तले हुए पदार्थ हानिकारक हो जाती है। तैल मालिश से त्वचा में चिकनापन और मांसपेशियों में बल बढ़ता है, शरीर में लोच पैदा होता है, खुश्की दूर होती है और स्फूर्ति पैदा होती है।

मालिश में त्वचा पर हथेली से घर्षण करना यानी मसलना, थपथपाना, हलके मुक्के मारना, मरोड़ना, हलके से झकझोरना या हिलाना आदि शामिल है। शीतकाल में सरसों का तैल भी प्रयोग किया जा सकता है। तैल की शीशी में भर कर रोजाना दिनभर धूप में रखने से उसमें सूर्यकिरणों का प्रभाव आ जाता है। इससे तैल के गुण और भी बढ़ जाते हैं। यदि लगातार 40 दिन तक धूप में रखा जाय और रात होने से पहले उठा लिया जाय ताकि चन्द्रकिरण उस पर न पड़ने पाएं तो यह उत्तम शक्तियुक्त तैल बन जाता है। 

मालिश के फायदे

1. मालिश करने से त्वचा स्वस्थ सुन्दर, बलवान, झुर्री रहित, मुलायम और चिकनी बनी रहती है। रक्त संचार ठीक से होता रहता है जिससे शरीर बलवान, चुस्त-दुरुस्त और फुर्तीला बना रहता है तथा पसीने के जरिये शरीर के विकार निकल जाते हैं।

2. पचन संस्थान के अंग-प्रत्यंगों को, यथा यकृत आंतों, पक्वाशय आदि को बल मिलता है जिससे पाचन संस्थान को शक्ति व उत्तेजना मिलती है और पाचन क्रिया से सुधार होता है इससे पाचन शक्ति बढ़ती है और मेल ठीक से विसर्जित होता है।

3. फेफड़ों, गुर्दों और हृदय को बल मिलता है जिससे वे शरीर के विकारों को उचित ढंग से शरीर से बाहर निकालने में समर्थ बने रहते हैं और शरीर को स्वस्थ व बलवान बनाए रखते हैं। शरीर मोटा हो तो मोटापा कम होता है और दुबला हो तो पुष्ट व सुडौल होता है।

4. शरीर के सभी अवयवों को तैल से स्निग्ध्ता (चिकनाई) प्राप्त होती है अतः वे लचीले और मजबूत बने रहते हैं जिससे पूरा शरीर बलवान बना रहता है और शरीर के सभी अंग-प्रत्यंगों का विकास भली भांति और आवश्यकता के अनुकूल होता रहता है।

5.  त्वचा द्वारा शरीर को सीधी खुराक मिलने से शरीर को पोषण पर्याप्त मात्रा में और शीघ्रता से होता है। जो व्यायाम और योगासनों को अभ्यास नहीं कर पाते वे भी मालिश करके शरीर को बलवान और चुस्त-दुरूरत बनाए रख सकते हैं अतः मालिश करना लाभप्रद है।

मालिश करते हुए यह बात ध्यान में रखनी चाहिए

मालिश करते हुए यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि पैरों पर मालिश करते समय हाथ नीचे से ऊपर को हृदय की तरफ चलाएं। कन्धे व गले से नीचे की तरफ हाथ चलाएं और कमर कूल्हे से ऊपर की तरफ हाथ चलाएं और कमर कूल्हे से ऊपर की तरफ यानी दिल को केन्द्र मान कर दिल की तरफ हाथ चलाएं। हाथ चलाने का ढंग ऐसा हो कि त्वचा के रोम (बाल) न टूटें। हाथ अंग के शुरू से लेकर अन्त तक लम्बा चलाएं एक ही जगह मसलना ठीक नहीं। यदि आप हाथ की मालिश करें तो नीचे टखने से ऊपर टखने से लेकर जांघ के अन्त तक हाथ ले जाएं। हाथ को झटके से नहीं बल्कि लयबद्ध तरीके से हलका दबाव देते हुए या ताल देते हुए चलाएं। मांस पेशियों को मसलने के लिए अंगूठे व अंगुलियों से पेशी को चुटकी से पकड़ें छोड़ें फिर आगे पकड़ें छोड़ें ऐसे करते हुए हृदय की तरफ बढ़ें, नीचे से ऊपर की तरफ चलाते जाएं। साथ ही यह भी खयाल रखें कि ऐसी मालिश मांसपेशी की बनावट के अनुसार ही करें। ज्यादा जोर से न करें ताकि पीड़ा न हो।

यूं तो मालिश सुबह या शाम को, किसी भी समय की जा सकती है पर यह खयाल रखना चाहिए कि उस वक्त पेट खाली हो। सुबह स्नान से पहले मालिश करके बदन को ठण्डा करके स्नान करना चाहिए और तौलिये से खूब रगड़ कर बदन पोंछना चाहिए। रात को सोने से पहले मालिश करानी हो तो पाउडर लगा कर कर सकते हैं। यदि तैल लगा कर मालिश करें तो स्पंज करके सो सकते है ताकि कपड़े खराब न हों। 

मालिश के बाद स्नान करना लाभदायक होता है। यदि ठण्डे पानी से स्नान करना लाभदायक होता है। यदि ठण्डे पानी से स्नान न कर सकें तो गुनगुने गर्म पानी से स्नान कर सकते हैं पर गर्म पानी से स्नान बन्द कमरे में ही करना चाहिए और बाद में भी ठण्डी हवा से बचना चाहिए। ठण्डे जल से स्नान करने वाले के लिए यह जरूरी नहीं। स्नान के बाद सूखे तौलिये से खूब रगड़ कर बदन को पोंछना जरूरी है।

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