कम्पनी अधिनियम 1956 की धारा 2(2) के अनुसार, ‘‘अन्तर्नियमों से आशय कम्पनी के उन पार्षद अन्तर्नियमों से है जो पिछले कम्पनी अधिनियम अथवा इस अधिनियम के अनुरूप मूलरूप से बनाये अथवा समय समय पर परिवर्तित किये गये है।’’ अन्तर्नियम, कम्पनी और उसके सदस्यों के बीच संविदा उत्पन्न करते है। इसमें काल करना, अंषों का निदेशकों की योग्यता, अंकेक्षकों की नियुक्ति, अधिकार एवं कर्तव्य, अन्तरण और अंषों एवं ऋण पत्रों के हेतु प्रक्रिया आदि मामलों की उपलब्धता रहती है।
पार्षद अन्तर्नियम की विषय सामग्री
पार्षद सीमा नियम में इन मामलों और नियमों का प्रावधान रहता हैः-
- तालिका ‘ए’ लागू होने के विस्तार तक के मामले
- अंशो एवं उनके अधिकारों की विभिन्न श्रेणियाँ,
- अंश प्रमाण पत्रों एवं अंश वारन्ट जारी करने से संबंधित प्रावधान ।
- अंशू पूंजी एवं आबंटन संबंधी प्रक्रिया ।
- अंशो की जब्ती एवं पुनः जारी करने की प्रक्रिया
- अंशो का हस्तांतरण एवं वितरण।
- अंशो का आबंटन।
- अंशो का स्टाॅक में परिवर्तन ।
- अंशो पर धारणाधिकार 10 अंशो पर कमीशन का भुगतान एवं अधोलिखित ऋण-पत्र 11 प्रारंभिक अनुबंधों को स्वीकार, या अस्वीकार करने के नियम।
- अंशपूंजी का पुनर्गठन एवं एकत्रीकरण
- अंश पूंजी में बदलाव
- निदेशकों की ऋण संबंधी अधिकार।
- साधारण मीटिंग, प्रक्रिया, वोट देने एवं काल्पनिक व्यक्ति संबंधी नियम।
- सदस्यों के मत देने का अधिकार ।
- लाभांश का भुगतान और भंडार का निर्माण
- निदेशकों के अधिकार, कर्तव्य, योग्यता , पारिश्रमिक और नियुक्ति
- कम्पनी की सामान्य सील का उपयोग
- लेखा पुस्तकों और उनकी लेखा परीक्षा (अंकेक्षण) रखना।
- लेखा परीक्षकों की नियुक्ति, अधिकार, कर्तव्य एवं पारिश्रमिक इत्यादि।
- पूंजी लाभ
- बोर्ड मीटिंग और प्रक्रियाएं।
- प्रस्ताव संबंधी नियम
- प्रबंध निदेशक, प्रबंधक और सचिव की नियुक्ति, अधिकार, कर्तव्य, योग्यता, पारिश्रमिक आदि, यदि कोई है।
- पंचायत संबंधी प्रावधान, यदि कोई है।
- अधिकारों संबंधी वहीं प्रावधान - जिनका पालन पार्षद की प्राधिकारी शक्ति के बिना नहीं किया जा सकता, उदाहरण क लिये, प्रतिदेय वरीयता अंशो के मामले, वाहक को अंश वारन्ट, अंशो के हस्तांतरण को पंजीकृत करने से इन्कार करना, कम्पनी की अंश पूंजी में कमी, काल भुगतान अग्रिम में स्वीकार करना, अतिरिक्त या वैकल्पिक निर्देशक (निर्देशकों) की नियुक्ति
- समापन ।