बाबू गुलाबराय का जीवन परिचय एवं प्रमुख रचनाएँ

बाबू गुलाबराय का जीवन परिचय

बाबू गुलाबराय प्रसिद्ध साहित्यकार, निबंधकार और व्यंग्यकार थे। गुलाबराय जी ने दो प्रकार की रचनाएं की हैं- दार्शनिक और साहित्यिक। बाबू गुलाबराय ने अपनी रचनाओं में शुद्ध भाषा तथा परिष्कृत खड़ी बोली का प्रयोग अधिकता से किया है। 

बाबू गुलाबराय का जीवन परिचय

बाबू गुलाबराय का जन्म 17 जनवरी, 1888 को इटावा (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। बाबू गुलाबराय के पिता का नाम भवानी प्रसाद था।  गुलाबराय की प्रारंभिक शिक्षा मैनपुरी में हुई थी। अपनी स्कूली शिक्षा के बाद उन्हें अंग्रेजी शिक्षा के लिए जिले के विद्यालय में भेजा गया। गुलाबराय ने ‘आगरा कॉलेज’ से बी. ए. की परीक्षा पास की। इसके बाद ‘दर्शनशास्त्र’ में एम. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण करके गुलाबराय जी छतरपुर चले गए। छतरपुर में गुलाबराय की प्रथम नियुक्ति महाराजा विश्वनाथ सिंह जूदेव के दार्शनिक सलाहकार के रूप में हुई। कुछ समय बाद उन्हें महाराज का निजी सहायक बना दिया गया।  बाबू गुलाबराय ने छतरपुर दरबार में 18 वर्ष व्यतीत किए और राज दरबार के न्यायाधीश की भी भूमिका निभाई। 

बाबू गुलाबराय की प्रमुख रचनाएँ

‘ठलुआ क्लब’, ‘कुछ उथले-कुछ गहरे’, ‘फिर निराश क्यां’े बाबू गुलाबराय की  चर्चित रचनाएं हैं। बाबू गुलाबराय ने अपनी आत्मकथा ‘मेरी असफलताएँ’ नाम से लिखी। बाबू गुलाबराय ने मौलिक ग्रंथों की रचना के साथ-साथ अनेक ग्रंथों का संपादन भी किया है। इनकी रचनाएँ इस प्रकार हैं-

1. बाबू गुलाबराय की आलोचनात्मक रचनाएँ

  1. नवरस
  2. हिंदी साहित्य का सुबोध इतिहास हिंदी
  3. नाट्य विमर्श
  4. आलोचना कुसुमांजलि
  5. काव्य के रूप
  6. सिद्धांत
  7. अध्ययन

2. बाबू गुलाबराय की दर्शन संबंधी रचनाएँ

  1. कर्तव्य
  2. शास्त्र
  3. तर्क शास्त्र
  4. बौद्ध धर्म पाश्चात्य दर्शनों का इतिहास
  5. भारतीय संस्कृति की रूपरेखा

3. बाबू गुलाबराय का बाल साहित्य

  1. विज्ञान वार्ता
  2. बाल प्रबोध

4. बाबू गुलाबराय के निबंध संग्रह

  1. प्रकार प्रभाकर
  2. जीवन-पशु-ठलुआ क्लब
  3. मेरी असफलताएं
  4. मेरे मानसिक उपादान
  5. सत्य हरिश्चंद्र
  6. भाषा-भूषण
  7. कादंबरी कथा-सार
बाबू गुलाबराय को साहित्यिक सेवाओं के फलस्वरूप ‘आगरा विश्वविद्यालय’ ने उन्हें ‘डी. लिट.’ की उपाधि से सम्मानित किया था। उनके सम्मान में भारतीय डाकतार विभाग ने 22 जून, 2002 को एक डाक टिकट जारी किया जिसका मूल्य 5 रुपये था और जिस पर बाबू गुलाबराय के चित्र के साथ उनकी तीन प्रमुख पुस्तकों को भी प्रदर्शित किया गया था।

बाबू गुलाबराय ने अपने जीवन के अंतिम काल तक साहित्य की सेवा की। सन् 1963 में आगरा में उनका स्वर्गवास हुआ।

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