पवनमुक्तासन करने की विधि, लाभ और सावधानी

पवनमुक्तासन करने की विधि

पवनमुक्तासन नाम संस्कृत के शब्दों से मिल कर बना है: पवन का अर्थ वायु, मुक्त का अर्थ आज़ाद और आसन का अर्थ योग मुद्रा से है। 

जैसा कि इसके नाम से ही इसका परिचय हो जाता है इसके करने से पवन यानि वायु विकार दूर होता है। इसलिये इसे पवनमुक्तासन नाम से जानते हैं। 

पवनमुक्तासन को करने से आप आंतों में जमी गैस को आसानी से बाहर निकाल सकते हैं। इसे पवन से राहत देने वाली मुद्रा या पवन मुक्ति मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है।

पवनमुक्तासन करने की विधि

पवनमुक्तासन का अभ्यास तीन चरणों में किया जाता है।

पहले चरण में, पैरों को सीधा रखते हुए अपनी पीठ के बल लेट जाएं। फिर अपने दाहिने घुटने को मोड़ते हुए पेट को दबाएँ सहायता के लिए अपने हाथों से पैर को पकडे़ं। श्वास बाहर निकालते हुए, अपने सिर को ऊपर की ओर उठाना है और अपनी ठुड्डी से घुटने को स्पर्श करिये (जितना संभव हो सके)। श्वास अंदर लेते हुए अपने पैरों को सीधा फैलाये।

दूसरे चरण में, यह प्रक्रिया अपने बाए पैर से करनी है। तीसरे चरण में अपने पटे को दोनों पैरों से दबाना है अपनी ठुड्डी को अपने घुटनों के बीच रखना हैं।

ऊपर के तीन चरण एक चक्र बनाते हैं। इसका तीन या चार बार अभ्यास किया जाना चाहिए।

सावधानी - फिंगर लॉक घुटने के पास पकड़ते है । पेट की तरफ Press करते है। घुटना ज्यादा से ज्यादा पेट की तरफ खींचते है। गर्दन उठाते समय दोनों कंधे ऊपर की ओर। एक पैर से करते समय दूसरा पैर उठ जाता है अतः दूसरा पैर सीधा जमीन पर रखते है। दोनों पैर जब उठाते है तो बॉडी सीधी रहती है।

विशेष सावधानी - जब High Blood Pressure की शिकायत हो। गर्दन ऊपर उठाते है तब तक हार्ट में Blood Cirulation रूक जाता है, Slow गति से होता है। इसलिए गर्दन नहीं उठाते। High Blood Pressure तथा सर्वाइकल के साथ-साथ वर्टीब्रा पर खिचाव होता है। सर्वाइकल स्पोन्डिलाइटिस, हृदय रोगी तथा Blood Pressure के मरीज गर्दन को ऊपर नहीं उठाते ।

पवनमुक्तासन से लाभ 

घुटने मोड़कर लाते है फिंगर लॉक बनाते है तो abdomen पर दबाव आता है। गर्दन उठाते है तो Internal Organs प्रभावित होते है। Intestine, Pencreas हार्निया स्थल पर दबाव होता है, हार्निया स्थल की मसाज होती है तथा हार्निया स्थल की कमजोर मसल्स develope होती है। गर्दन ऊपर उठाते है तो सभी Organs प्रभावित होती है। Stomach, Intestine प्रभावित होते ह । पाचन क्रिया सुव्यवस्थित कार्य करती है। Final Position में गर्दन ऊपर उठाते है तो इसका लाभ मिलता है। जब गैस ट्रबल होती है तो पैर मोड़कर हाथ से घुटना पकड़ते है और 5 मिनट दबाकर रखते है तो गैस पास हो जाती है। शुगर, हार्निया, कब्जियत में लाभ होता है। Bladder, Kidney, Pencreas किडनी रोग निवारण सहायता मिलती है। Uterus, Bladder की मसाज होती है। मासिक धर्म के समय में लाभ मिलता है। दोनों पैर मुड़े होने के कारण Lower abdoman को ज्यादा ब्लड मिलता है। अशुद्ध रक्त जो पैरा में होता है उसमें शुद्ध रक्त मिलता है । वरीको वेन्स में लाभप्रद है। कोलाइटिस (आंतों में सूजन) होने पर कोई आसन नहीं करते पेट में पानी की पट्टी रखते है। हल्का भोजन करते है जिससे आंतों में कम Function होते है।

1. पवनमुक्तासन पेट की मासं पेशियों को मजबूत करने में मदद करता है। 

2. शरीर से विषाक्त गैसों को बाहर निकालने में मदद करता है। कब्ज, पेट फूलना, अपच और एसिडिटी को ठीक करता है। 

3. यह पीठ की मांसपेशियों के साथ-साथ पैरों और हाथों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। 
यह प्रजनन अंगों और पेल्विक मासं पेशियांे को उत्तेजित करता है। 

4. पेट, कूल्हे और जांघ क्षेत्र को टोन करता है।

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