योग का महत्व क्या है

योग का महत्व

योग का महत्व

आधुनिक समय में योग का महत्व दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। इसके बढ़ने का एकमात्र कारण व्यस्तता और मन की व्यग्रता है। आधुनिक मनुष्य को आज योग की नितांत आवश्यकता है। बाबा रामदेव ने कहा है कि- ”जो रोज करेगा योग उसे न होगा कोई रोग’। अर्थात योग हमारी शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है।

1. स्वस्थ रहने के लिए योग को अपनाना आवश्यक है। इसको नियमित करने से थकान कम होती है, तनाव दूर होता है तथा मासं पेशियां में खिंचाव के कारण लचीलापन आता है। रक्त संचार, पाचन एवं स्नायु तंत्र पर नियंत्रण रहता है। 

2. मनुष्य यदि जीवन में और अधिक प्रगति करना चाहता है तो उसे अपने जीवन में योग को अपनाना ही होगा। अगर उसे अंतरिक्ष में जाना है, नए ग्रहों की खोज करनी है, शरीर और मन को स्वस्थ एवं संतुलित रखना है तो विज्ञान एवं योग की महत्ता एवं महत्व को समझना होगा। 

3. वस्तुतः धर्म योग भविष्य का धर्म एवं विज्ञान है। भविष्य में योग का महत्व और अधिक बढ़ेगा। यौगिक क्रियाओं में इतनी शक्ति है कि वह उस सबको भी बदल सकती है जो प्रकृति ने हमें दिया है और नहीं दिया है।

अंततः मानव अपने जीवन की श्रेष्ठता के चरम पर अब योग के ही माध्यम से आग े बढ़ सकता है। इसलिए योग के महत्व को स्वीकारना होगा। योग केवल व्यायाम नहीं है बल्कि योग है विज्ञान का चौथा आयाम।

4. तनाव कई बीमारियों की जड़ है। यह अपने साथ कई अन्य बीमारियों को भी जन्म देता है। इस सत्य को चिकित्सा विज्ञान ने भी स्वीकार किया है। योग का महत्व इसलिए भी है कि यह तनाव से मुक्ति दिलवाता है। योग मुद्रा, ध्यान और योग में श्वसन की विशेष क्रियाओं द्वारा तनाव से राहत मिलती है। क्यांेिक योग मन को विभिन्न विषयों से हटाकर स्थिरता प्रदान करता है। तनाव मुक्त होने से शरीर और मन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है तथा कार्य करने की क्षमता बढ़ती है। योग के दौरान गहरी सांस लेने से शरीर तनाव मुक्त हो जाता है।

5. स्मरण शक्ति एवं बौद्धिक क्षमता जीवन में प्रगति के लिए प्रमुख साधन माने जाते हैं। योग से मानसिक क्षमताओं का विकास होता है और स्मरण शक्ति भी बढ़ती है। योग मुद्रा एवं ध्यान मन को एकाग्रता प्रदान करते हैं। एकाग्रता से स्मरण शक्ति बढ़ती है। योग से तर्क शक्ति भी बढ़ती है, तथा कार्यकुशलता बढ़ती है। योग क्रियाओं द्वारा तार्किक शक्ति एवं कार्यकुशलता में गुणात्मक प्रभाव होने से आत्मविश्वास भी बढ़ता है।

6. योग करने से शरीर लचीला एवं मजबूत बनता है। योग मांसपेशियां को सुगठित एवं संतुलित बनाता है। सुगठित, संतुलित एवं लोचदार शरीर होने से कार्य क्षमता बढ़ती है। योग से शरीर की हड्डियां भी पुष्ट एवं मजबूत बनती हैं। योग अस्थियों में होने वाले रोगों की संभावनाओं को भी कम करता है। योग से रक्त संचार सुचारू रूप से होता है और शरीर स्वस्थ रहता है। यह थकान, सिरदर्द, जोड़ों के दर्द तथा ब्लड प्रेशर को सामान्य बनाये रखने में सहायक होता है।

7. यौगिक क्रियाएं मांसपेशियां को गतिशील एवं पुष्ट बनाती हैं। ये क्रियाएं मानसिक रूप से कार्य करने में लाभदायक हैं।

8. - योग से शरीर के अंगों में संकुचन एवं प्रसरण होता है। इससे पूरे पेट की मालिश हो जाती है। पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है तथा भूख बढ़ती है।

9. योग एवं प्राणायाम करने से श्वसन प्रणाली मजबूत होती है। कपालभाति, नाड़ीशोधन, शीतली, शितकारी जैसे प्राणायाम शरीर में आक्सीजन बढ़ाते हैं। संतुलित स्वस्थ श्वसन क्रिया रहने से अस्थमा, मधुमेह , उच्च रक्तचाप और कर्करोग जैसे रोग दूर रहते हैं।

10. व्यक्तित्व के विकास में अंतःस्रावी ग्रंथियों का विशेष महत्व है। जीवन में सभी प्रणालियां आवश्यक हैं। परंतु शारीरिक क्रिया-कलापां े में समन्वय बनाये रखने, शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए अंतःस्रावी ग्रंथियांे का विशेष महत्व है।

11. स्त्री एवं पुरुषों के प्रजनन संस्थान को सक्रिय बनाने में इसका विशेष महत्व है। यह स्त्रियों की मासिक धर्म की अनियमितताओं को दूर करने में सहायक है।

12. योगाभ्यास द्वारा पीठ एवं रीढ़ प्रदेश का व्यायाम हो जाता है जिसके अंतर्गत वृक्कांे पर दबाव पड़ने पर उनकी मालिश अच्छी प्रकार से हो जाती है। उनमें रक्त संचार की क्रिया भी तीव्र हो जाती है और सभी कार्य व्यवस्थित हो जाते हैं। वृक्कांे का कार्य मंद हो जाने से गहरे रंग का तीव्र गंध वाला मूत्र आना प्रारंभ हो जाता है। ऐसी स्थिति में अधिक पानी पीने तथा सूर्य नमस्कार करने की सलाह दी जाती है। त्वचा द्वारा भी रक्त में से विषाक्त तत्वों का उत्सर्जन किया जाता है जिसके कारण त्वचा कांतियुक्त व स्वच्छ हो जाती है।

13. तनाव में हृदय गति को नियंत्रित रखने रक्त प्रवाह की गति को भी सामान्य एवं स्वाभाविक बनाये रखने में यौगिक क्रियाओं का महत्वपूर्ण स्थान है।

14. संपूर्ण मेरुदंड एवं स्नायु केंद्रों में रक्त संचार की क्रिया को उत्तेजित करने में योगासनों का विशेष महत्व है। 

15. योग के माध्यम से मन तथा चित्त की वृत्तियों को संयत करने तथा ध्यान एकाग्र करने की क्षमता का विकास होता है। 

16. मोटापा आज एक भयंकर बीमारी हो गया है। यह समस्या आगे चलकर मधुमेह, हृदय रोग और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों को जन्म देती है। कपालभाति प्राणायाम, पश्चिमोत्तनासन, सूर्यनमस्कार, त्रिकोणासन, सर्वांगासन जैसे व्यायाम करके मोटापा कम किया जा सकता है।

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