कौन-सा विटामिन एस्कॉर्बिक अम्ल कहलाता है? इसके स्त्रोत तथा इसकी कमी से होने वाले रोग

एसकोर्बिक अम्ल (Ascorbic acid) विटामिन सी जल में विलेय तथा स्नेह में अविलेय, ऊष्मा से नष्ट हो जाने वाला एवं अम्ल और क्षार लवणों के सम्पर्क में आकर नष्ट हो जाने वाला विटामिन है। वायु के अभाव में गर्म करने पर यह स्थिर रह जाता है।

एसकोर्बिक अम्ल की प्राप्ति

ताजे फलों में विशेष रूप से सिट्रस फलों में यथा-आँवला, सन्तरा, नारंगी, नींबू, टमाटर, अन्ननास, पपीता, अमरूप, अंगूर, केला, मुनक्का आदि, ताजी सब्जी यथा फूल गोभी, बन्दगोभी, चुकन्दर, पालक, हरी मिर्च, सेम आदि तथा अंकुरित दालों, चना आदि में होता है। आलू, जम्बीरी नींबू, सेब, नाशपाती आदि में कम होता है। 

प्राणीजन्य पदार्थों में यथा-दूध, माँस, मछली आदि में कम होता है। अतः दूध पर निर्भर रहने वाले शिशु का दूध के अतिरिक्त सन्तरे आदि फलों का रस अथवा विटामिन सी देना आवश्यक है। 

100 मिली लीटर रक्त सीरम में यह 0.8 मिली ग्राम होता है।

एसकोर्बिक अम्ल के कार्य

  1. ऊतकों में हाइड्रोजन का वाहक है। अतः प्रत्येक कोशिका की आक्सीकरण, अपचयन आदि क्रियाओं को नियन्त्रित करता है।
  2. इन्सुलिन के उत्पादन में सहायक होता है।
  3. प्रसू कोशिकाओं यथा तन्तुप्रसू, अस्थि कोशिका प्रसू, रक्त कोशिकाप्रसू के सम्यक कार्य के लिए आवश्यक है।
  4. अन्तः कोशिका पदाथांेर्, जो केशिकाआंे के अन्तः कला के निर्माण में सहायक हैं यथा-म्यूकोप्रोटीन, कोलैजन आदि को स्वाभाविक दशा में बनाए रखता है।
  5. अस्थियों में कैल्शियम तथा फाॅस्फेट के संग्रह में सहायक होता है।
  6. व्रण रोपण में सहायक होता है।
  7. हीमोग्लोबिन के निर्माण हेतु लौह को उसके संग्रह स्थानों से रक्त मज्जा में पहँुचता है। इस प्रकार लोहित कोशिकाओं की परिपक्वता में सहायक होता है।
  8. फाॅलिक अम्ल के फाॅलिनिक अम्ल में परिवर्तन का सहायक है।
  9. अधिवृक्क प्रान्तस्था तथा जनन हाॅर्मोन के निर्माण में सहायक होता है।

एसकोर्बिक एसिड की कमी से होने वाले रोग

  1. स्कर्वी रोग हो जाता है। इस रोग में रक्त केशिकायें भंगुर हो जाती है। त्वचा के नीचे, पर्यस्थिकला, अंत्र, वृक्क आदि में रक्त स्त्राव होने लगता है। मसूड़ांे की श्लेष्म कला का अपरदन हो जात है जिससे रक्त स्त्राव होने लगता है।
  2. अस्थियों तथा दाँतों की कुरचना हो जाती है।
  3. प्रसू कोशिकाओं में कार्यहीनता उत्पन्न हो जाती है।
  4. अस्थियाँ भंगुर हो जाती है जिससे अस्थि भंग का भय रहता है।
  5. अरक्तता हो जाती है। रक्त में लोहित कोशिकाओं तथा बिम्बाणुओं की संख्या कम हो जाती है।
  6. रक्त स्कन्दन देर से होता है।
  7. स्त्री तथा पुरुषों में जनन शक्ति का ह्यस हो जाता है।

एसकोर्बिक एसिड की दैनिक आवश्यकता

व्यस्क के लिए 100 मिलीग्राम, बच्चों के लिए 30-80 मिलीग्राम तथा गर्भवती अथवा दूध पान कराने वाली स्त्रियों के लिए 150 मिली ग्राम पर्याप्त होता है।

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