घेरंड संहिता क्या है ?

इस ग्रंथ का एक महत्त्वपूर्ण संस्करण कैवल्यधाम, लोनावला द्वारा प्रकाशित हुआ है। यह लगभग सौ तकनीको का वर्णन करता हैं। यह एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक है। हठप्रदीपिका से भिन्न, जहाँ हठयोग का समर्थन किया गया है, यह ग्रंथ हठयोग शब्द के स्थान पर ‘घटस्थ योग’ का समर्थन करता है। 

यह गुरु घेरंड और शिष्य चंडकापाली के मध्य वार्तालाप के रूप में है। इसमे  छह क्रियाओं का उल्लेख है, जिसमें छह क्रियाएँ मिलकर 13 धाैति, 2 बस्ति, 1 नेति, 1 त्राटक, 1 नौलि और 3 कपालभाति के अभ्यास कराते हैं। इसमें 32 आसनों का वर्णन  हैं। पुस्तक में 25 मुद्राओं का वर्णन है; प्रत्याहार की 3 तकनीक, प्राणायाम के 10 अभ्यास, 3 ध्यान और 6 समाधियाँ वर्णित हैं। यद्यपि यह घटस्थ योग (शरीर के माध्यम से योग) है, तथापि तकनीक इस प्रकार की हैं कि योगाकांक्षी धीरे-धीरे भौतिक स्थिति से ज्ञानातीत/अनुभवातीत स्थिति की ओर अग्रसर होता है। 

घेरंड संहिता क्या है ?

शारीरिक परिशुद्धता प्राप्त करने हेतु 6 अभ्यास संस्तुत किए गए है जिनके अभ्यास फलस्वरूप रहस्यमय अनाहत ध्वनि सुनी जा सकती है, खेचरी और शांभवी में पूर्णता प्राप्त की जा सकती है, जिन से दिव्यदृष्टि विकसित हो सकती है। काया शोधन सुनिश्चित करने हेतु धाैति की तकनीक पर्याप्त विस्तृत रूप में उपलब्ध है। इस ग्रंथ में वेदांतिक पाठ के अंश भी दृष्टव्य हैं।

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