मत्स्यासन की विधि और लाभ

मत्स्य अर्थात मछली । इस आसन की अंतिम स्थिति में शरीर की स्थिति मछली की तरह हो जाती है, इसलिए इसे मत्स्यासन नाम से जाना जाता है। कुछ महर्षियों का मत है कि इस आसन को लगाकर यदि पानी में रह जाते हैं, तो इंसान मछली की भांति तैर सकता है। इसलिये इसे मत्स्यासन नाम से जाना जाता है ।

मत्स्यासन की विधि

दोनों पैर सामने, निगाह सामने, पद्मासन लगाते है, इसके बाद कोहनी के सहारे से जमीन पर लेट जाते है। दोनों हाथों के सपोर्ट से सिर के ऊपरी भाग को रखते है जमीन पर, दोनों हाथों से पकड़ते है पैर के अंगूठे, दोनों हाथ की कोहनी जमीन पर, कुछ देर क्षमता अनुसार रूकते है । 

मत्स्यासन के लाभ

पद्मासन में बैठकर लेटते है तो Leg Muscle Flexible बनती है। सिर के ऊपरी भाग को जमीन पर रखते है, तो चेस्ट सबसे ज्यादा फैलता है । पीठ पर कर्व बनता है, Internal Pressure बनता है। चेस्ट Expand होता है, Rib's Expand होती है। धमनी में खिंचाव होता है। हृदय में खिंचाव आता है। Artery पर खिंचाव होता है तो ये लचीली होती है । Blood Pressure रोगी को यह लाभ देता है साथ ही टी.बी. के रोग में लाभ देता है । गले, गर्दन के ऊपर खिंचाव होने से थाइराइड्स ग्लांड्स प्रभावित होती है, गला संबंधी रोग, सायनस, एलर्जी होने की संभावना नहीं होती। Top of the Head जमीन पर होने से सर्वाइकल कशेरूकाओं पर दबाव आता है, जिससे सर्वाइकल में लाभ मिलता है, तथा सिर के ऊपरी भाग जमीन पर होने से मस्तिष्क तथा पीयूष ग्रंथि में लाभ होता है । पीयूटरी ग्लांड्स के कारण शारीरिक ग्रोथ में रूकावट नहीं आती। 

कशेरूकाओं का कर्व होने से खिंचाव तथा दबाव होता है जिससे ये सुदृढ़ तथा लचीली बनती है। नाभि के दोनों ओर खिंचाव होने से Liver, Spleen, Pencreas, Stomach, Large & Small Intestine की एक साथ मसाज होती है। आंतों के Function Proper होने से अपचन, कब्जियत नहीं होती । जब इस आसन से वापस आते है तो पैरों की तरफ शुद्ध रक्त मिलता है, जिससे वेरीकोस वेन्स, मसल्स, पैरा में दर्द इन सभी में लाभ होता है । चेस्ट फैलने के कारण उदर ऊपर की ओर जाता है। Internal Pressure से फेफड़े लचीले होते है। श्वास लेने और छोड़ने में मरीज को लाभ होता है । अस्थमा में लाभ। हाथ, कोहनी में कंधे में, खिंचाव होने से रक्त संचार Proper होता है तो इनमें किसी प्रकार का रोग होने की संभावना नहीं होती। पेट के हार्निया में यह वर्जित है ।

सावधानी

लेटते समय घुटने जमीन पर रहते है । हाथों के सपोर्ट से सिर का ऊपरो भाग जमीन पर रखते है, गर्दन में जर्क नहीं आना चाहिये। सिर के बीच का भाग जमीन पर रखते है। दोनों कोहनी जमीन पर, कोहनी के सहारे से आते है वापस । 

नोट :- घुटने में दर्द, पद्मासन नहीं लगता उनको यह आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिये। घुटने मे दर्द होने पर सीधे लेटते है और सिर के ऊपरी भाग को जमीन पर रखते है ।

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