व्यक्तित्व शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?

व्यक्तित्व से अभिप्राय सामान्यतः: व्यक्ति के रूप, रंग, कद, लंबाई, मोटाई, पतलापन अर्थात् शारीरिक संरचना व्यवहार तथा मृदुभाषी होने से लगाया जाता हैं। थे समस्त गुण व्यक्ति के समस्त व्यवहार के दर्पण हैं । व्यक्तित्व की अनेक धारणाएँ प्रचलित हैं | बोलचाल की भाषा में ‘व्यक्तित्व’ शब्द का प्रयोग शारीरिक बनावट और सौंदर्य के लिये किया जाता है। कुछ लोग व्यक्ति और व्यक्तित्व को एक दूसरे के पर्यायवाची शब्द मानते हैं |

व्यक्तित्व शब्द की उत्पत्ति

‘व्यक्तित्व' अग्रेजी के पर्सनेल्टी ( Personality) शब्द का रूपांतर है । अंग्रेजी के इस शब्द की उत्पत्ति युनानी भाषा के पर्सोना (Persona ) शब्द से हुई है, जिसका अर्थ है- 'नकाव' (Mask )। जैसे जैसे वक्त बीतता गया पर्सोना का अर्थ भी परिवर्तित होता चला - गया। ईसा पूर्व पहली शताब्दी में रोम के प्रसिद्ध लेखक और कूटनीतिज्ञ सिसरो ने पर्सोना को पर्सनेल्टी में रूपांपतरित कर दिया ।

व्यक्तित्व में एक मनुष्य के न केवल शारीरिक और मानसिक गुणों का वरन् उसके सामाजिक गुणों का भी समावेश होता है, पर यह भी पूर्ण रूप व्यक्तित्व नहीं कहा जाता है। “मनोवैज्ञानिकों का कथन है कि व्यक्तित्व - मानव के गुणों, लक्षणों, क्षमताओं, विशेषताओं आदि की संगठित इकाई है । 

मन के शब्दों में - व्यक्तित्व की परिभाषा, व्यक्तित्व के ढ़ाँचे, व्यवहार की विधियों रूचियों, अभिवृत्तियों, क्षमताओं, योग्यताओं, और कुशलताओं के सबसे विशिष्ट एकीकरण के रूप में की जा सकती है ।

आधुनिक मनोवैज्ञानिक व्यक्तित्व को संगठित इकाई न मानकर गतिशील संगठन और एकीकरण की प्रक्रिया मानते हैं । थार्प व शामलर के अनुसार “ जटिल पर एकीकृत प्रक्रिया के रूप में व्यक्तित्व की धारणा आधुनिक व्यावहारिक मनोविज्ञान की देन है। 

ऑलपोर्ट के अनुसार - व्यक्तित्व व्यक्ति में उन मनेशारीरिक अवस्थाओं का गतिशील संगठन है, जो उसके पर्यावरण के साथ उसका अद्वितीय सामंजस्य निर्धारित करता है | 

Bandey

I am full time blogger and social worker from Chitrakoot India.

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