समाज विज्ञान क्या है?

समाजशास्त्र अन्य समाज विज्ञानों के साथ सम्बन्धों को बताने से पहले हमें समाज विज्ञानों के अर्थ को स्पष्ट कर लेना चाहिये। सभी समाजविज्ञानों का महत्वपूर्ण उद्देश्य मनुष्य जाति के विकास को आगे बढ़ाना है। अन्ततोगत्वा सम्पूर्ण मनुष्य समाज का एक मात्र मुहावरा मनुष्य को सुखी और खुशहाल बनाना है।

मनुष्य की भिन्न-भिन्न आवश्यकताएँ और इच्छाएं हैं और इसी कारण उसका जीवन कई पहलुओं में बढ़ गया है। एक साथ और एक ही समय में वह कई गतिविधियों में संलग्न रहता है। समाज विज्ञान मनुष्य की इन्हीं गतिविधियों का अध्ययन करते हैं। इनसाइक्लोपेडिया ऑफ सोशल साइन्सेज के पहले खण्ड में सेलीगमेन ने इन समाज विज्ञानों की परिभाषा करते हुए लिखा है :

समाज विज्ञान वे मानसिक या सांस्कृतिक विज्ञान है जोकि मनुष्य की एक समूह के सदस्य होने के नाते गतिविधियों का अध्ययन करते हैं।

विभिन्न समाज विज्ञानों में इस बात की समानता होते हुए भी वे सभी मनुष्य समूहों का अध्ययन करते हैं, उनमें एक मूलभूत अंतर है। यह अंतर विभिन्न संदशों का है। उदाहरण के लिये, अर्थशास्त्र मनुष्य की आर्थिक क्रियाओं के अध्ययन से जुड़ा है। मनुष्य की और क्रियाएँ क्या है, इस पक्ष के प्रति वे मौन हैं। इसी भांति इतिहास के अतीत के समाज का अध्ययन करता है, लेकिन आधुनिक समाज की संरचना कैसी है, इस ओर उसका ध्यान नहीं है। संदर्श में अंतर आ जाने से समाज विज्ञानों में भी अंतर आ जाता है।

संदर्श के आधार पर समाज विज्ञानों में आने वाले अंतर का यहाँ हम उल्लेख करेंगे। इसे एक दृष्टान्त से और स्पष्ट किया जा सकता है। हम जब किसी जंगल को देखते हैं तो इसके प्रति हमारे संदर्श को लेकर विभिन्न अंतर स्पष्ट होते हैं। जब अर्थशास्त्री इस जंगल को देखता है तो उसे लगता है कि जंगल की लकड़ी का प्रयोग रेल की पटरियों के निर्माण में बहुत उपयोगी होता है। जंगल से प्राप्त लघु उत्पाद से सामान्य लोगों की जीविका को बड़ा सहारा मिल जाता है। अर्थशास्त्री जंगल को केवल अपने संदर्श यानी उत्पादन, वितरण, विनिमय और उपभोग की दृष्टि से देखता है। इसी जंगल को साहित्य प्रेमी सौन्दर्यबोध के संदर्श से देख सकता है।

पर्यावरणवादी को संदर्श कुछ दूसरा ही होगा, वह इसे प्रकृति में उत्पन्न होने वाले असंतुलन के दृष्टिकोण से देखेगा। दृष्टान्त को और आगे बढ़ाया जा सकता है। इसमें महत्वपूर्ण बिन्दु यह है कि जब हम किसी सामाजिक इकाई को देखते हैं तो निश्चित रूप से एक या अधिक संदर्शों को काम में लेते हैं। ये संदर्श सामाजिक इकाई के विभिन्न आयामों को स्पष्ट करने में सहायक होते हैं।

समाज विज्ञानों में किन विषयों को सम्मिलित किया जाए, इस पर बहस है। कुछ समाज वैज्ञानिकों का कहना है कि भूगोल विषय समाज विज्ञान की कोटि में नहीं आता। इसी तरह इतिहास भी समाज विज्ञान की श्रेणी में नहीं आता। इन विवादों के चलते हुए निश्चित रूप से यह कहना कठिन है कि कौन से विषय समाज विज्ञान की श्रेणी में आते हैं, और कौन से नहीं। बहस के होते हुए भी कुछ समाज विज्ञानों के बारे में मतभेद है। समाजशास्त्र, सामाजिक, मानवशास्त्र, राजनीति शास्त्र, अर्थशास्त्र, अपराधशास्त्र, सामाजिक मनोविज्ञान आदि ऐसे विषय हैं जो समाज विज्ञानों की श्रेणी में आते हैं।

Bandey

I am full time blogger and social worker from Chitrakoot India.

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