साधारण शब्दों में गृह व्यवस्था का अर्थ है घर का रखरखाव या घर को सुचारू रूप
से चलाने के लिये इसकी स्वच्छता, उचित रखरखाव व व्यवस्था की देख-रेख। जब
आप अपने घर को स्वच्छ और व्यवस्थित रखते हैं तब आप इसे अधिक से अधिक सुंदर
भी रखना चाहते हैं।
आप यह कैसे सुनिश्चित करें कि घर में प्रत्येक वस्तु प्रयोग करने
योग्य स्थिति में है, कोई भी वस्तु टुटी फूटी अवस्था में नहीं है और कपड़े फटे पुराने
नहीं हैं? सभी नल, गीज़र, बिजली की तार, बल्ब, ट्यूब, पंखे, प्लग आदि भली भाँति कार्य
कर रहे हों और शॉर्ट सर्किट के कारण आग आदि लगने का भय न हो, इत्यादि।
अत: घर की प्रत्येक वस्तु को ठीक और व्यवस्थित रखने की भिन्न-भिन्न प्रक्रियायों को
सामूहिक रूप से अच्छी गृह व्यवस्था कहते हैं।
दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते
हैं कि गृह व्यवस्था किसी स्थान को स्वच्छ, सुन्दर और व्यवस्थित रखने की प्रक्रिया है
ताकि यह प्रसन्नता दायक दिखे और सभी को आमिन्त्रात करता हुआ लगे चाहे वह
व्यक्ति उस स्थान पर रह रहा हो, मिलने के लिए आया हो या फिर कार्य कर रहा हो।
वह नाश्ते के लिये बैठता है तो किसी भाँति स्वयं को गिरने से बचाता है क्योंकि कुर्सी टूटी हुयी है और उसकी घृणा का ठिकाना नहीं रहता जब वह अपने भोजन में एक कॉकरोच देखता है।
क्या आप रोहन की जगह होना चाहेंगे? क्या आप कभी गंदे शौचालय का प्रयोग करना चाहेंगे या गंदे व फटे पुराने कपड़े पहनना चाहेंगे? क्या आप किसी मैले स्थान पर कार्य करना चाहेंगे? यदि आप खाना खाने बाहर जा रहे हों तो क्या आप किसी ऐसे रेस्तरां में जाना चाहेंगे जहाँ कुर्सी मेज टूटे हों और जहाँ चारों ओर कीड़े मकोड़े रेंग रहे हों? क्या आप गंदे और उबड़ खाबड़ बिस्तर पर सोना पसंद करेंगे? अवश्य ही आपका हर जवाब ‘ना’ में ही होगा। ये बहुत छोटी-छोटी चीजें हैं परंतु आपके दैनिक जीवन में इनसे काफी फर्क पड़ता है।
गृह व्यवस्था का महत्व
रोहन की कमर में दर्द है क्योंकि उसके गद्दे में गाँठ है। उसे ट्रेन से कहीं जाना है। अत: वह नहाने के लिये नल खोलता है परंतु उसमें पानी नहीं आ रहा है। वह छत पर टैंक में पानी देखने के लिये जाता है तो पता चलता है कि पाइप में छेद से सारा पानी निकल चुका है।वह नाश्ते के लिये बैठता है तो किसी भाँति स्वयं को गिरने से बचाता है क्योंकि कुर्सी टूटी हुयी है और उसकी घृणा का ठिकाना नहीं रहता जब वह अपने भोजन में एक कॉकरोच देखता है।
क्या आप रोहन की जगह होना चाहेंगे? क्या आप कभी गंदे शौचालय का प्रयोग करना चाहेंगे या गंदे व फटे पुराने कपड़े पहनना चाहेंगे? क्या आप किसी मैले स्थान पर कार्य करना चाहेंगे? यदि आप खाना खाने बाहर जा रहे हों तो क्या आप किसी ऐसे रेस्तरां में जाना चाहेंगे जहाँ कुर्सी मेज टूटे हों और जहाँ चारों ओर कीड़े मकोड़े रेंग रहे हों? क्या आप गंदे और उबड़ खाबड़ बिस्तर पर सोना पसंद करेंगे? अवश्य ही आपका हर जवाब ‘ना’ में ही होगा। ये बहुत छोटी-छोटी चीजें हैं परंतु आपके दैनिक जीवन में इनसे काफी फर्क पड़ता है।
ये छोटी-छोटी चीजें ही अच्छी गृह व्यवस्था
का सार हैं। यदि रोहन समय रहते ही टपकते नल को ठीक करवा लेता, खाने की कुर्सी
की मरम्मत उसी समय करवा लेता जब यह टूटनी शुरू हुयी थी, या नाली जब रूकनी
शुरू हुयी थी, तभी उसकी सफाई करवा लेता, अपने घर में नियमित रूप से कीड़े मकौड़े
के लिये छिड़काव करवा लेता-तब अवश्य ही उसके घर का वातावरण स्वच्छ व
आरामदेह होता, जिसमें रोहन अत्यंत प्रसन्न व शांत रहता। उसे जरा भी परेशानी,
अवसाद व निराशा नहीं अनुभव होती या उसे हीन भावना का शिकार नहीं होना पड़ता।
अच्छी गृहव्यवस्था सभी उपकरणों की सुचारू कार्य प्रणाली को सुनिश्चित करती, न
कहीं पानी टपकता, एक आरामदेह वातावरण होता जिसमें रोहन परेशानी रहित जीवन
जीता। अत: गृहव्यवस्था का अर्थ है छोटे छोटे कार्यों को समय रहते ही निपटा लेना।
व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में गृह व्यवस्था प्रत्येक क्षेत्र के अनुरूप प्रशिक्षित लोगों के एक दल द्वारा की जाती है। नीचे, भवन के क्षेत्रों की एक विस्तृत सूची दी जा रही है जहाँ पर गृह व्यवस्था की आवश्यकता होती है। यदि चाहें तो आप इस सूची में कुछ अन्य को भी जोड़ सकते हैं।
गृह व्यवस्था के क्षेत्र
अब तक आप समझ ही चुके होंगे कि अपने घर के लिये अच्छी गृह व्यवस्था कितनी महत्त्वपूर्ण है। उसी प्रकार यह किसी भी अन्य प्रतिष्ठान के लिये भी उतनी ही महत्त्वपूर्ण है, चाहे वह कोई दुकान हो, व्यापार केन्द्र, ऑफिस, क्लब, अतिथिगृह, अस्पताल, होटल या फिर कोई छात्रावास। जिन प्रतिष्ठानों का जिक्र किया गया है उनके प्रत्येक क्षेत्र को स्वच्छ व व्यवस्थित रखा जाना चाहिये और यहाँ पर रखी गयी प्रत्येक वस्तु को कार्य करने व आकर्षक स्थिति में होना चाहिये। अत: गृह व्यवस्था प्रत्येक प्रतिष्ठान के लिये नियमित व अत्यावश्यक क्रियाकलाप है।व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में गृह व्यवस्था प्रत्येक क्षेत्र के अनुरूप प्रशिक्षित लोगों के एक दल द्वारा की जाती है। नीचे, भवन के क्षेत्रों की एक विस्तृत सूची दी जा रही है जहाँ पर गृह व्यवस्था की आवश्यकता होती है। यदि चाहें तो आप इस सूची में कुछ अन्य को भी जोड़ सकते हैं।
1. कमरे और गलियारे - छत और दीवारों का रंग, वॉल पेपर, पंखे, एयर
कंडीशनर, बिजली के स्विच और सॉकेट, बिजनी की वायरिंग, खिड़कियां,
दरवाजे, काँच, बिस्तरे, कालीन, ताले, चाबी आदि।
2. शौचालय - नल, सिंक, शौचालय, गीज़र, जल आपूर्ति, बिजली के सॉकेट और
स्विच, तौलिये, टॉयलेट पेपर, साबुन, शैम्पू इत्यादि।
3. लिनन - लिनन (टेबल नैपकिन, टेबल क्लॉथ, साइलेंस क्लॉथ, तौलिए, चादर
बैड कवर, कम्बल, मेहमानों के कपड़े, कर्मचारियों की वर्दियाँ, आदि।)
4. फर्नीचर और फर्निशिंग - फर्नीचर, पर्दे, टेबल लैम्प, ट्यूब लाइट, झाड़ फानूस,
बल्ब, सोफा, डायनिंग टेबल और कुर्सियां, आदि।
5. बगीचा - पौधे, गमले, लॉन की घास, फूल, पेड़, झाड़ियां, बाड़ आदि।
6. सार्वजनिक क्षेत्र - सीढ़ियां, गलियारे, लॉबी, कॉनफ्रेन्स/सेमिनार कक्ष,
प्रतीक्षालय, मनोरंजन कक्ष, पार्किंग, क्लब, तरणताल, ऑफिस, सार्वजनिक शौचालय,
इत्यादि।
Grihprabhandan se ham apne jivan ko behtar bana sakte hai samay ka sadupayog kerna sikh jate hai ( ghar agar vayvsthit hota hai tho hame mansik shanti ki anubhuti hoti hai )
ReplyDeleteMy name is parag srivastava i am house wife and living in hindalco colony jr 439 renukoot
DeleteHii I am rashid
ReplyDeleteI am a business man
Greh vyavastha ke vibhinn pad bataiye
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