Vitamin A (विटामिन ए) के कार्य, कमी से लक्षण

विटामिन ए वनस्पतियों में बीटाकैरोटीन के रूप में मिलता है। वायु के अभाव में गर्म करने से यह नष्ट नहीं होता है।

विटामिन ए  के कार्य

  1. शरीर की वृद्धि के लिए आवश्यक है।
  2. शरीर की विभिन्न ग्रन्थियों तथा उपकला ऊतक की पूर्णता एवं कार्य कुशलता बनाए रखता है तथा उनमें संक्रमण को रोकता है।
  3. प्रोटीनों के संश्लेषण में सहायक होता है।
  4. नेत्र तन्त्रिका के श्षलाका में उपस्थित रोडाप्सिन के निर्माण में विशेष भाग लेता है। इसके अभाव में रोडाप्सिन का निर्माण नहीं हो सकता है और फिर दृष्टि मन्द प्रकाश् में कार्य नहीं करती है
  5. अस्थि कोशिकाओं के निर्माण को नियन्त्रित करता है, जिस कारण उनकी वृद्धि सामान्य होती है और आकार भी सामान्य रहता है।
  6. श्लेष्मा के निर्माण में भाग लेता है।
  7. प्रजनन शक्ति को बनाये रखने में सहायक होता है।
  8. कैल्श्यिम फाॅस्फेट से मूत्राष्मरी के बनने को रोकता है।

विटामिन ए की कमी से लक्षण

  1. शारीरिक वृद्धि में अवरोध होता है।
  2. मन्द प्रकाश में तथा रात्रि में दिखाई नहीं देता है।
  3. नेत्र शुष्क द्युतिहीन हो जाते है। इस दशा को जीरोप्थैलमिया कहते हैं। चिकित्सा के अभाव में कार्निया का कैरेटिनीकरण तत्पश्चात व्यपजनन हो जाता है। इस प्रकार व्यक्ति अन्धा हो जाता है।

विटामिन ए की दैनिक आवश्यकता

सामान्यतः 5,000 अ0मा0 प्रतिदिन आवश्यकता होती है। गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली स्त्रियों को तथा यौवनारम्भ पर इसकी आवश्यकता अधिक 5,000 से 8,000 अ0 मा0 तक होती है। बच्चों को 2000 से 3500 अ0 मा0 तथा शिशुओं को 1500 अ0 मा0 की आवश्यकता होती है।

विटामिन ए की अधिकता से क्या होता है?

इस विटामिन का निरन्तर अधिक मात्रा में सेवन करने से ये लक्षण प्रकट हो जाते हैं।
  1. निद्रालता कार्याें में मन्दता।
  2. सिर से पीड़ा।
  3. भार में कमी।
  4. बालों का झड़ना।
  5. अस्थियों का डिकैल्सीभवन, जिस कारण अस्थिभंग की सम्भावना रहती है।
  6. प्लाज्मा में प्रोथ्राॅम्बिन की कमी तथा ऊतकों में विटेमिन ‘सी’ की कमी हो जाती है।
विटेमिन ए के सेवन को बन्द कर विटेमिन ‘सी’ तथा ‘के’ लेने से उपरोक्त विकृतियों को सुधारा जा सकता है।

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