दूसरी बात यह कि आज की दुनिया में पत्रकारिता का क्षेत्र बहुत
व्यापक हो गया है। शायद ही कोई क्षेत्र बचा हो जिस पर कोई समाचार नहीं
बना हो। बदलती दुनिया, बदलते सामाजिक परिदृश्य, बदलते बाजार, बाजार
के आधार पर बदलते शैक्षिक-सांस्कृतिक परिवेश और सूचनाओं के अम्बार ने
समाचारों में विविधता ला दिया है। कभी उंगलियों पर गिन लिये जाने वाले
समाचार के प्रकारों को अब पूरी तरह गिन पाना संभव नहीं है। एक बहुत बड़ा
सच यह है कि इस समय सूचनाओं का एक बहुत बड़ा बाजार विकसित हा े
चुका है। इस नये नवेले बाजार मे समाचार उत्पाद का रूप लेता जा रहा है।
समाचार के प्रकार
समाचार के कितने प्रकार होते हैं? समाचार लेखन के प्रकार कौन कौन से हैं?
1. स्थानीय समाचार
संचार क्रांति के बाद परिवहन के विकास के साथ ही समाचार पत्रो द्वारा एक ही साथ क संस्करणो का प्रकाशन हो रहा है। यह सभी गांव या कस्बे, जहां से समाचार पत्र का प्रकाशन होता हो, स्थानीय समाचार, जो कि स्थानीय महत्व आरै क्षेत्रीय समाचार पत्रो की लोकप्रियता को बढाने में सहायक हो को स्थान दिया जा रहा है। यह कवायद स्थानीय बाजार मे अपनी पैठ बनाने की भी है, ताकि स्थानीय छोटे-छोटे विज्ञापन भी आसानी से प्राप्त किये जा सके। इसी तरह समाचार चैनलो में भी स्थानीयता को महत्व दिया जाने लगा है।समाचार चैनल समाचार पत्रो की ही तरह अपने समाचारों को
स्थानीय स्तर पर तैयार करके प्रसारित कर रहे हैं। वे छोटे-छोटे आयोजन या
घटनाक्रम, जो समाचारो के राष्ट्रीय चैनल पर बमुश्किल स्थान पाते थे, अब
सरलता से टीवी स्क्रीन पर प्रसारित होते दिख जाते हैं। यह कहा जा सकता
है कि आने वाले दिनों में स्थानीय स्तर पर समाचार चैनल संचालित करने की
होड़ मचने वाली है।
2. प्रादेशिक या क्षेत्रीय समाचार
जैसे-जैसे समाचार पत्र व चैनलो का दायरा बढता जा रहा है,
वैसे-वैसे प्रादेशिक व क्षेत्रीय समाचारो का महत्व भी बढ रहा है। एक समय
था कि समाचार पत्रो के राष्ट्रीय संस्करण ही प्रकाशित हुआ करते थे
धीरे-धीरे प्रांतीय संस्करण निकलने लगे और अब क्षेत्रीय व स्थानीय संस्करण
निकाले जा रहे हैं। किसी प्रदेश के समाचार पत्रो पर ध्यान दे ताे उसके मुख्य
पृष्ठ पर प्रांतीय समाचारों की अधिकता रहती है।
प्रांतीय समाचारो के लिये
प्रदेश शीर्षक नाम से पृष्ठ भी प्रकाशित किये जाते हैं। इसी तरह से
पश्चिमांचल, पूवार्ंचल, मारवाड़ या फिर बिहार, झाडखंड, राजस्थान, कोलकत्ता,
उत्तरप्रदेश शीर्षक से पृष्ठ तैयार करके क्षेत्रीय समाचारो को प्रकाशित किया
जाने लगा है।
प्रदेश व क्षेत्रीय स्तर के एसे समाचारो को प्रमुखता से प्रकाशित
करना आवश्यक होता है, जो उस प्रदेश व क्षेत्र की अधिसंख्य जनता को
प्रभावित करते हों। कुछ समाचार चैनलो ने भी क्षेत्रीय व प्रादेशिक समाचारो
को अलग से प्रस्तुत करना शुरू कर दिया है।
3. राष्ट्रीय समाचार
देश मे हो रहे आम चुनाव, रेल या विमान दुर्घटना, प्राकृतिक आपदा-
बाढ, अकाल, महामारी, भूकम्प आदि, रेल बजट, वित्तीय बजट से संबंधित
समाचार, जिनका प्रभाव अखिल देशीय हो राष्ट्रीय समाचार कहलाते हैं।
राष्ट्रीय समाचार स्थानीय आरै प्रांतीय समाचार पत्रो में भी विशेष स्थान पाते
हैं। राष्ट्रीय स्तर पर घट रही हर घटना, दुर्घटना समाचार पत्रो व चैनलो पर
महत्वपूर्ण स्थान पाती है। देश के दूर-दराज इलाके में रहने वाला सामान्य सा
आदमी भी यह जानना चाहता है कि राष्ट्रीय राजनीति कौन सी करवट ले रही
है, केन्द्र सरकार का कौन सा फैसला उसके जीवन को प्रभावित करने जा रहा
है, देश के किसी भी कोने में घटने वाली हर वह घटना जो उसके जैसे
करोड़ों को हिलाकर रख देगी या उसके जसै करोड़ों लोगो की जानकारी में
आना जरूरी है।
सच यह है कि इलेक्ट्रानिक मीडिया के प्रचार प्रसार ने लोगो
को समाचारो के प्रति अत्यधिक जागरुक बनाया है। हाल यह है कि किसी भी
राष्ट्रीय महत्व की घटना-दुर्घटना या फिर समाचार बनने लायक बात को को
भी छोड़ देने को तैयार नहीं है, न इलेक्ट्रानिक मीडिया और न ही प्रिंट
मीडिया। यही वजह है कि समाचार चैनल जहां राष्ट्रीय समाचारो को अलग से
प्रस्तुत करने की कवायद में शामिल हो चुके हैं, वहीं बहुतेरे समाचार पत्र मुख्य
व अंतिम कवर पृष्ठ के अतिरिक्त राष्ट्रीय समाचारो के दो-तीन पृष्ठ अलग से
प्रकाशित कर रहे हैं।
4. अंतर्राष्ट्रीय समाचार
ग्लोबल गांव की कल्पना को साकार कर देने वाली सूचना क्रांति के
बाद इस समय मे अंतर्राष्ट्रीय समाचारो को प्रकाशित या प्रसारित करना जरूरी
हो गया है। साधारण से साधारण पाठक या दर्शक भी यह जानना चाहता है
कि अमेरिका मे राष्ट्रपति के चुनाव का परिणाम क्या रहा या फिर हालीवुड मे
इस माह कौन सी फिल्म रिलीज होने जा रही है या फिर आतंकवादी संगठन
आएसआएस क्या क्या कर रहा है। विश्वभर के रोचक एवं रोमांचक
घटनाओ को जानने के लिये अब हिदी आरै अन्य क्षेत्रीय भाषाओ के पाठको
और दर्शको में ललक बढी है। यही कारण है कि यदि समाचार चैनल ‘दुनिया
एक नजर’ में या फिर ‘अंतर्राष्ट्रीय समाचार’ प्रसारित कर रहे हैं तो हिन्दी के
प्रमुख अखबारो ने ‘अराउण्ड द वल्र्ड’, ‘देश-विदेश’, ‘दुनिया’ आदि के शीर्षक
से प्रारूप पृष्ठ देना शुरू कर दिया है। समाचार पत्रो व चैनलों के प्रमुख
समाचारो की फेहरिस्त में को न को महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय समाचार रहता ही
है।
इटंरनेट पर तैरती ये वबे साइटें क मायने में अति महत्वपूर्ण होती है। सच यह है कि जैसे-जैसे देश मे साक्षरता बढ रही है, वैसे-वैसे अधिक से अधिक लोगो में विश्व भर को अपनी जानकारी के दायरे में लाने की हाडे़ मच ग है। यही वजह है कि समाचार से जुड़ा व्यवसाय अब अंतर्राष्ट्रीय समाचारो को अधिक से अधिक आकर्षक ढंग से प्रस्तुत करने की होड़ में शामिल हो गया है।
5. विशिष्ट समाचार
यह वह समाचार होते हैं जिनके बारे में पहले से कुछ भी मालूम नहीं होता है, परंतु वे समाचार गरमागरम और अद्यतन होते हैं। विशिष्ट समाचार अपनी विशिष्टता, विशेषता और खूबी के कारण ही समाचार पत्र के मख्य पृष्ठ पर स्थान पाने योग्य होते हैं। रेल या विमान की बड़ी दुर्घटना, किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति के असामयिक निधन सम्बन्धी समाचार इसी कोटी मे आते हैं।6. व्यापी समाचार
वे समाचार जिनका प्रभाव विस्तृत हो अर्थात जो बहुसंख्यक लोगो को
प्रभावित करने वाले तथा आकार में भी विस्तृत हो, व्यापी समाचार कहलाते हैं।
ये समाचार अपने आप में पूर्णहोते हैं और समाचार पत्र के प्रथम पृष्ठ पर छाये
रहते हैं। इनके शीर्षक अत्यधिक आकर्षक और विशेष रूप से सुशोभित होते हैं,
ताकि ये अधिकाधिक लोगो को अपनी आरे आकृष्ट कर सके। इसके अंतर्गत
रेल बजट, वित्तीय बजट, आम चुनाव आदि से संबंधित समाचार आते हैं।
7. डायरी समाचार
विविध समारोह गोष्ठियो, जन-सभाओ, विधानसभाओं, विधान परिषदो, लोकसभा, राज्यसभा आदि के समाचार जो अपेक्षित होते हैं और सुनियोजित ढंग से प्राप्त होते हैं, डायरी समाचार कहलाते हैं।8. सनसनीखेज समाचार
हत्या, दुर्घटना, प्राकतिक विपदा, राजनीतिक अव्यवस्था आदि से संबंधित
समाचार जो अनपेक्षित होते हैं और आकस्मिक रूप से घट जाते हैं,
सनसनीखेज समाचार कहलाते हैं।
9. महत्वपूर्ण समाचार
बड़े पैमाने पर दंगा, अपराध, दुर्घटना, प्राकतिक विपदा, राजनीतिक उठापटक से संबंधित समाचार, जिनसे जन-जीवन प्रभावित होता हो और जिनमें शीघ्रता अपेक्षित हो, महत्वपूर्ण समाचार कहलाते हैं।10. कम महत्वपूर्ण समाचार
जातीय, सामाजिक, व्यावसायिक एव राजनीतिक संस्थाओ, संगठनो तथा
दलो की बैठके, सम्मले न, समारोह, प्रदर्शन, जुलूस, परिवहन तथा मार्ग
दुर्घटनाएं आदि से संबंधित समाचार, जिनसे सामान्य जनजीवन न प्रभावित
होता है और जिनमें अतिशीघ्रता अनपेक्षित हो, कम महत्वपूर्ण समाचार कहलाते
हैं।
11. सामान्य महत्व के समाचार
आतंकवादियो व आततायियो के कुकर्म, छेड़छाड़, मारपीट, पाकटे मारी,
चोरी, ठगी, डकैती, हत्या, अपहरण, बलात्कार के समाचार, जिनका महत्व
सामान्य हो और जिनके अभाव में को ज्यादा फर्क न पड़ता हो तथा जो
सामान्य जनजीवन को प्रभावित न करते हों, सामान्य महत्व के समाचार
कहलाते हैं।
12. पूर्ण समाचार
वे समाचार जिनके तथ्यों, सूचनाओं, विवरणो आदि मे दोबारा किसी परिवर्तन की गुंजाइश न हो, पूर्ण समाचार कहलाते हैं। पूर्ण समाचार होने के कारण ही इन्हें निश्चिंतता के साथ संपादित व प्रकाशित किया जाता है।13. अपूर्ण समाचार
वे समाचार जो समाचार एजेंसियों से एक से अधिक हिस्सो में आते हैं
और जिनमें जारी लिखा होता है, अपूर्ण समाचार कहलाते हैं। जब तक इन
समाचारो का अंतिम भाग प्राप्त न हो जाये ये अपूर्ण रहते हैं।
14. अर्ध विकसित समाचार
दुर्घटना, हिंसा या किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति का निधन आदि के समाचार,
जोकि जब और जितने प्राप्त होते हैं उतने ही, उसी रूप मे ही दे दिये जाते हैं
तथा जैसे-जैसे सूचना प्राप्त होती है और समाचार संकलन किया जाता है
वैसे-वैसे विकसित रूप में प्रकाशित किये जाते हैं, अर्ध विकसित समाचार
कहलाते हैं।
15. परिवर्तनशील समाचार
प्रा‟तिक विपदा, आम चुनाव, बड़ी दुर्घटना, किसी महत्वपूर्ण व्यक्ति की
हत्या जैसे समाचार, जिनके तथ्यो, सूचनाओं तथा विवरणो में निरंतर परिवर्तन
व संशोधन की गुंजाइश हो, परिवर्तनशील समाचार कहलाते हैं।
16. बड़े अथवा व्यापी समाचार
आम चुनाव, केन्द्र सरकार का बजट, राष्ट्रपति का अभिभाषण जैसे
समाचार, जो व्यापाक, असरकारी व प्रभावकारी होते हैं तथा जिनके विवरणो में
विस्तार व विविधता होती है और जो लगभग समाचार पत्र के प्रथम पृष्ठ का
पूरा ऊपरी भाग घेर लेते हैं, बड़े अथवा व्यापी समाचार कहलाते हैं।
17. सीधे समाचार
वे समाचार जिनमे तथ्यों की व्याख्या नहीं की जाती हो, उनके अर्थ नहीं बताये जाते हों तथा तथ्यों को सरल, स्पष्ट और सही रूप मे ज्यो का त्यो प्रस्तुत किया जाता हो, सीधे समाचार कहलाते हैं।18. व्याख्यात्मक समाचार
वे समाचार जिनमें घटना के साथ ही साथ पाठकों को घटना के परिवेश, घटना के कारण और उसके विशेष परिणाम की पूरी जानकारी दी जाती हो, व्याख्यात्मक समाचार कहलाते हैं।19. विषय विशेष समाचार
विषय विशष के आधार पर हम समाचारो को निम्नलिखत प्रकारो में विभाजित कर सकते हैं -- राजनीतिक समाचार
- अपराध समाचार
- साहित्यिक-सांस्कृतिक समाचार
- खेल-कूद समाचार
- विधि समाचार
- विकास समाचार
- जन समस्यात्मक समाचार
- शैक्षिक समाचार
- आर्थिक समाचार
- स्वास्थ्य समाचार
- विज्ञापन समाचार
- पर्यावरण समाचार
- फिल्म-टेलीविजन (मनोरंजन) समाचार,
- फैशन समाचार
- सेक्स समाचार
- खोजी समाचार ।
समाचार की संरचना और लेखन प्रक्रिया
समाचार की संरचना मुख्य रूप से इस क्रम से होता है- इंट्रो, व्याख्यात्मक जानकारियां, विवरणाात्मक जानकारियां, अतिरिक्त जानकारियां और पृष्ठभूमि। विचार, घटनाएं और समस्याओं से ही समाचार का आधार तैयार होता है। किसी भी घटना, विचार और समस्या से जब काफी लोगों का सरोकार हो तो यह कह सकते हैं कि यह समाचार बनने के योग्य है।
किसी घटना, विचार और समस्या के समाचार बनने की संभावना तब बढ़ जाती है, जब उनमें निम्रलिखित में से कुछ या सभी तत्व शामिल हो - तथ्यात्मकता, नवीनता, जनरुचि, सामयिकता, निकटता, प्रभाव, पाठक वर्ग, नीतिगत ढांचा, अनोखापन, उपयोगी जानकारियां।
जब घटना एवं विचार की सूचनाएं पत्रकार के हाथ में आ जाता है तो उसे लिखने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। समाचार लिखने की अब तक की सबसे प्रभावी प्रक्रिया को उल्टा पिरामिड सिद्धांत कहा जाता है। यह समाचार लेखन का सबसे सरल, उपयोगी और व्यावहारिक सिद्धांत माना गया है। समाचार लेखन का यह सिद्धांत कथा या कहनी लेखन की प्रक्रिया के ठीक उलट है। इसमें किसी घटना, विचार या समस्या के सबसे महत्वपूर्ण तथ्यों या जानकारी को सबसे पहले बताया जाता है, जबकि कहनी या उपन्यास मे क्लाइमेक्स सबसे अंत में आता है। समाचार लेखन की उल्टा पिरामिड शैली के तहत लिखे गये समाचारों को मुख्य रूप से तीन हिस्सो में विभाजित किया जाता है-मुखड़ा या इंट्रो या लीड, बडी या विवरण और निष्कर्ष या पृष्ठभूमि। मुखड़ा या इंट्रो समाचार के पहले और कभी-कभी पहले और दूसरे दोनों पैराग्राफ को कहा जाता है। मुखड़ा किसी भी समाचार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है क्योंकि इसमें सबसे महत्वपूर्ण तथ्यों आरै सूचनाओं को लिखा जाता है। इसके बाद समाचार की बाडी आती है, जिसमें ं महत्व के अनुसार घटते हुय े क्रम मे सूचनाओं और ब्यौरा देन े के अलावा उसकी पृष्ठभूमि का भी जिक्र किया जाता है।
लेखन प्रकिया जानने के बाद पत्रकार को पाठक/दर्शक/श्राते ा वर्ग को ध्यान मे रखकर भाषा शैली का उपयोग कर समाचार को प्रस्तुत करना होता है। क्योंकि आमतारै पर समाचार लोग पढ़ते हैं या सुनते-देखते हैं लेकिप वे इनका अध्ययन नहीं करते। दूसरी बात यह कि कोई भी हाथ में शब्दकोश लेकर समाचारपत्र नहीं पढ़ता है। इसलिए समाचारों की भाषा बोलचाल की होनी चाहिए। सरल भाषा, छोटे वाक्य और संक्षिप्त पैराग्राफ। इसके लिए समाचार लेखक का भाषा पर सहज अधिकार होना चाहिए। समाचार पत्र में समाचार के विभिन्न प्रकारों में भाषा के अलग अलग स्तर दिखाई पड़ते हैं। पर एक बात उनमें समान होती है वह यह कि सभी प्रकार के समाचारों में सीधी, सरल और बोधगम्य भाषा का प्रयोग किया जाता है।
समाचार की संरचना मुख्य रूप से इस क्रम से होता है- इंट्रो, व्याख्यात्मक जानकारियां, विवरणाात्मक जानकारियां, अतिरिक्त जानकारियां और पृष्ठभूमि। विचार, घटनाएं और समस्याओं से ही समाचार का आधार तैयार होता है। किसी भी घटना, विचार और समस्या से जब काफी लोगों का सरोकार हो तो यह कह सकते हैं कि यह समाचार बनने के योग्य है।
किसी घटना, विचार और समस्या के समाचार बनने की संभावना तब बढ़ जाती है, जब उनमें निम्रलिखित में से कुछ या सभी तत्व शामिल हो - तथ्यात्मकता, नवीनता, जनरुचि, सामयिकता, निकटता, प्रभाव, पाठक वर्ग, नीतिगत ढांचा, अनोखापन, उपयोगी जानकारियां।
जब घटना एवं विचार की सूचनाएं पत्रकार के हाथ में आ जाता है तो उसे लिखने की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। समाचार लिखने की अब तक की सबसे प्रभावी प्रक्रिया को उल्टा पिरामिड सिद्धांत कहा जाता है। यह समाचार लेखन का सबसे सरल, उपयोगी और व्यावहारिक सिद्धांत माना गया है। समाचार लेखन का यह सिद्धांत कथा या कहनी लेखन की प्रक्रिया के ठीक उलट है। इसमें किसी घटना, विचार या समस्या के सबसे महत्वपूर्ण तथ्यों या जानकारी को सबसे पहले बताया जाता है, जबकि कहनी या उपन्यास मे क्लाइमेक्स सबसे अंत में आता है। समाचार लेखन की उल्टा पिरामिड शैली के तहत लिखे गये समाचारों को मुख्य रूप से तीन हिस्सो में विभाजित किया जाता है-मुखड़ा या इंट्रो या लीड, बडी या विवरण और निष्कर्ष या पृष्ठभूमि। मुखड़ा या इंट्रो समाचार के पहले और कभी-कभी पहले और दूसरे दोनों पैराग्राफ को कहा जाता है। मुखड़ा किसी भी समाचार का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है क्योंकि इसमें सबसे महत्वपूर्ण तथ्यों आरै सूचनाओं को लिखा जाता है। इसके बाद समाचार की बाडी आती है, जिसमें ं महत्व के अनुसार घटते हुय े क्रम मे सूचनाओं और ब्यौरा देन े के अलावा उसकी पृष्ठभूमि का भी जिक्र किया जाता है।
लेखन प्रकिया जानने के बाद पत्रकार को पाठक/दर्शक/श्राते ा वर्ग को ध्यान मे रखकर भाषा शैली का उपयोग कर समाचार को प्रस्तुत करना होता है। क्योंकि आमतारै पर समाचार लोग पढ़ते हैं या सुनते-देखते हैं लेकिप वे इनका अध्ययन नहीं करते। दूसरी बात यह कि कोई भी हाथ में शब्दकोश लेकर समाचारपत्र नहीं पढ़ता है। इसलिए समाचारों की भाषा बोलचाल की होनी चाहिए। सरल भाषा, छोटे वाक्य और संक्षिप्त पैराग्राफ। इसके लिए समाचार लेखक का भाषा पर सहज अधिकार होना चाहिए। समाचार पत्र में समाचार के विभिन्न प्रकारों में भाषा के अलग अलग स्तर दिखाई पड़ते हैं। पर एक बात उनमें समान होती है वह यह कि सभी प्रकार के समाचारों में सीधी, सरल और बोधगम्य भाषा का प्रयोग किया जाता है।
समाचार के तत्व
समाचार के इस आवश्यकता को ध्यान मे रखते हुए समाचार में छह तत्वों का समावेश अनिवार्य माना जाता है। ये हैं-क्या, कहां, कब, कौन, क्यों और कैसे। इन छह सवालों के जवाब में किसी घटना का हर पक्ष सामने आ जाता है लेकिन समाचार लिखते वक्त इन्हीं प्रश्नों का उत्तर तलाशना और पाठकों तक उस े उसके संपूर्ण अर्थ में पहुंचाना सबसे बड़ी चुनौती का कार्य है। इसे कैसे पेश किया जाए उसका भी एक ढांचा है जिसके जरिए पत्रकार सूचनाओं को समाचार के रूप में पेश करता है।
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समाचार