ध्यान चिन्तन की ही एक प्रक्रिया है पर ध्यान का कार्य चित्त करना नहीं अपितु चिन्तन का एकाग्रीकरण अर्थात चिन्त को एक ही लक्ष्य पर स्थिर करना ध्यान कहलाता है। सामान्यतः ईश्वर या परमात्मा में ही अपना मनोनियोग इस प्रकार करना कि केवल उसमें ही साधक निमग्न हो…