औद्योगिक श्रम, वास्तव में, वृहत् समाज का ही एक अंग है। श्रमिक के रूप में वह उत्पादन का सक्रिय साधन है, किन्तु साथ ही, वह उपभोक्ता भी है। समाज में भी उसकी प्रतिष्ठा व भूमिका है। अस्तु, उसे उद्योग, परिवार व बृहत् समाज के अंग के रूप में एक ही साथ भूमिका…