अभिक्षमता का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं एवं मापन

अभिक्षमता मानव क्षमता का एक प्रमुख अंश है। अभिक्षमता किसी क्षेत्र में विशेष कौशल या ज्ञान प्राप्त करने की क्षमता को अभिक्षमता कहा जाता है। फ्रीमेन ने अभिक्षमता को परिभाषित करते हुए कहा कि ‘‘गुणों या विशेषज्ञों के एक ऐसे संयोग से होता है जिससे विशिष्ट ज्ञान तथा संगठित क्षमता का पता चलता है।’’ व्यक्ति के सीखने की क्षमता का पता चलता हो, अभिक्षमता कहा जाता है।’’

अभिक्षमता क्या है

दिन प्रतिदिन के जीवन में प्रायः विभिन्न व्यक्तियों यथा अध्यापकों, अभिभावकों, प्रशासकों, अधिकारियों, समीक्षकों आदि को कहते सुना जा सकता है कि अमुक छात्रा की यान्त्रिाक कार्यों में विशेष रुचि है इसलिए इसे अभियंता बनाना चाहिए, अमुक छात्रा में बड़ा होकर एक अच्छा संगीतकार बनने की सम्भावना है, अमुक बालिका बड़ी होकर एक गृहणी के रूप में अधिक सफल सिद्ध होगी अथवा अमुक व्यक्ति एक प्रतिभाशाली व योग्य प्रशासक बन सकेगा।

इस प्रकार के कथनों से इन व्यक्तियों का तात्पर्य होता है कि व्यक्ति में कुछ ऐसी प्रतिभा, योग्यता या क्षमता दृष्टिगोचर हो रही है जो किसी विशिष्ट क्षेत्र में सफलता प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। ऐसी प्रतिभा, योग्यता या क्षमता प्रायः जन्मजात होती हैं तथा मनोविज्ञान की भाषा में इसे अभिक्षमता Aptitude) कहा जाता है। 

अभिक्षमता का अर्थ 

अभिक्षमता का अर्थ किसी व्यक्ति की उस तत्परता, योग्यता, क्षमता या रुझान से है जो किसी कार्य या व्यवसाय में भावी सफलता पाने हेतु आवश्यक हेाती है तथा जिसका प्रस्फुटन शिक्षा एवं अभ्यास के द्वारा होता है। ऐसी प्रतिभा, योग्यता या क्षमता प्राय: जन्मजात होती है। अभिक्षमता किसी क्षेत्र विशेष में व्यक्ति की कार्य कुशलता की विशिष्ट योग्यता तथा विशिष्ट क्षमता को इंगित करती है। 

अभिक्षमता की परिभाषा

बिंघम के अनुसार- किसी विशिष्ट प्रशिक्षण के उपरान्त दिये गये क्षेत्र में कुछ ज्ञान या कौशल या प्रतिक्रियाओं को समुच्चय को अर्जित करने की किसी व्यक्ति की योग्यता को लाक्षणिक रूप से व्यक्त करने वाली विशेषता अथवा दशाओं का समुच्चय अभिक्षमता है। 

फ्रीमैन के शब्दों में, अभिक्षमता ऐसी विशेषताओं के समूह का द्योतक है जो (प्रशिक्षण के उपरान्त) किसी विशिष्ट ज्ञान, कौशल या संगठित प्रतिक्रियाओं के समुच्चय को अर्जित करने के व्यक्ति की योग्यता का द्योतक, है जैसे भाषा बोलने, संगीतकार बनने, यान्त्रिाक कार्य करने की योग्यता।’’

एप्टीटयूड शब्द “एप्टोस“ से लिया गया है जिसका अर्थ है ’के लिए उपयुक्त’। बहुत बार अभिक्षमता को क्षमता, प्रवीणता, आदि जैसे शब्दों का पर्यायवाची शब्दों के रूप में उपयोग किया जाता है। 

शिक्षाशास्त्र के शब्दकोश में, “अभिक्षमता को एक विशेष कला, स्कूल विषय या व्यवसाय के प्रदत्त कार्यक्षेत्र की क्षमता या सुस्पष्ट स्वाभाविक क्षमता या योग्यता “ के रूप में परिभाषित किया गया है। 

वारेन का मनोविज्ञान के शब्दकोश मे, अभिक्षमता को “किसी व्यक्ति के प्रशिक्षण (आमतौर पर निर्दिष्ट) ज्ञान, कौशल, या अनुक्रियाओं के समूह के साथ प्राप्त करने की क्षमता के लक्षण के रूप में परिभाषित किया गया है, जैसे कि बोलने की क्षमता, भाषा, संगीत उत्पन्न करना”। 

English and English (1958) ने इस शब्द को “पर्याप्त मात्रा मे प्रदत्त प्रशिक्षण के साथ प्रवीणता हासिल करने की क्षमता“ के रूप में परिभाषित किया। 

ट्रैक्सलर (1957) के अनुसार, “अभिक्षमता एक शर्त है, एक गुणवत्ता या गुणों का एक समूह है जो संभावित सीमा तक इंगित करता है कि कोई व्यक्ति उपयुक्त प्रशिक्षण, कुछ ज्ञान, समझ या कौशल के तहत प्राप्त करने में सक्षम हो सकता है।“    

अभिक्षमता की विशेषताएं 

बिंघम ने अभिक्षमता की पाँच प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख किया है ये पाँच विशेषताएँ हैं-
  1. किसी व्यक्ति की वर्तमान अभिक्षमता उसके वर्तमान गुणों का एक ऐसा समुच्चय है जो उसकी भावी क्षमताओं की ओर संकेत करता है।
  2. किसी व्यक्ति की अभिक्षमता किसी कार्य को करने में उसकी समुपयुक्तता को व्यक्त करती है।
  3. अभिक्षमता किसी मूर्त वस्तु या योग्यता का नाम न होकर एक अमूर्त संज्ञा है जो व्यक्ति के सम्पूर्ण वयक्तित्व के एक विशेष गुण को व्यक्त करती है।
  4. अभिक्षमता वर्तमान में होने पर भी भविष्य की क्षमताओं का प्रतीक होती है।
  5. अभिक्षमता की योग्यता, रुचि तथा सन्तुष्टि से घनिष्ठ सम्बन्ध् होता है।
बिंघम ने अभिक्षमता की उपरोक्त वर्णित पाँच विशेषताओं के अतिरिक्त, अभिक्षमता की तीन मान्यताओं का भी वर्णन किया है-
  1. किसी व्यक्ति की समस्त अभिक्षमताएँ समान रूप में नहीं होती है। व्यक्ति की विभिन्न अभिक्षमताओं में अन्तर होना स्वाभाविक ही है। व्यक्ति में किसी कार्य की अभिक्षमता कम हो सकती है तथा किसी कार्य की अभिक्षमता अत्यध्कि हो सकती है।
  2. अभिक्षमता की प्रकृति वैयक्तिक होती है। दूसरे शब्दों में अभिक्षमताओं में व्यक्तिगत भिन्नताएँ पाई जाती है। किन्हीं भी दो व्यक्तियों की अभिक्षमताओं में अन्तर का होना स्वाभाविक होता है। 
  3. यद्यपि किसी व्यक्ति की अभिक्षमताएँ स्थिर रहती हैं फिर भी इनमें परिवर्तन आ सकते हैं। परन्तु ये परिवर्तन क्रमिक तथा अत्यन्त अल्प मात्रा होते हैं।

अभिक्षमता का मापन 

अभिक्षमता के मापन के लिए अभिक्षमता परीक्षणों का प्रयोग किया जाता है। फ्रीमैन के शब्दों में - ‘‘अभिक्षमता परीक्षण वह है जिसकी रचना किसी विशेष प्रकार की तथा किसी सीमित क्षेत्र की क्रिया करने की मूलयोग्यता (Potential ability) का मापन करने के लिये की जाती है। अभिक्षमता परीक्षणों को उनकी प्रकृति के आधार पर तीन भागों में बाँटा जा सकता है- 
  1. सामान्य अभिक्षमता परीक्षण
  2. भेदक अभिक्षमता परीक्षण
  3. विशिष्ट अभिक्षमता परीक्षण

1. सामान्य अभिक्षमता परीक्षण

सामान्य अभिक्षमता परीक्षण वे हैं जो किसी भी सामान्य कार्य क्षमता का मापन करते हैं। ये परीक्षण प्रायः व्यक्ति की सामान्य बुद्धि मानसिक योग्यता अथवा सीखने की योग्यता का मापन करते हैं। इस प्रकार के परीक्षण व्यक्ति की सामान्य भावी सफलता को इंगित करते हैं। क्योंकि सामान्य बुद्धि परीक्षणों के द्वारा छात्रों की विद्यालयी सफलता का सफलतापूर्वक पूर्व कथन किया जा सकता है। इसलिए कुछ विद्वान इन्हें शैक्षणिक अभिक्षमता परीक्षण के नाम से पुकारना अधिक उपयुक्त समझते हैं। 

स्पष्ट है कि अभिक्षमता परीक्षण वर्ग में सामान्य बुद्धि परीक्षण अथवा सामान्य मानसिक योग्यता परीक्षण जैसे मापन उपकरण रखे जाते हैं।

2. भेदक अभिक्षमता परीक्षण

इस प्रकार के अभिक्षमता परीक्षण प्रायः शृंखला प्रकार के परीक्षण होते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि इस प्रकार के अभिक्षमता परीक्षण या तो अनेक परीक्षण का समूह या शृंखला होती है अथवा इस प्रकार के परीक्षणों में अनेक-उप-परीक्षण होते हैं। ये विभिन्न परीक्षण या उप-परीक्षण व्यक्ति की भिन्न-भिन्न क्षेत्रों की अभिक्षमताओं को इंगित करते है तथा जिन पर व्यक्ति के द्वारा प्राप्त अंकों का तुलनात्मक विवेचन करके व्यक्ति की अधिक अभिक्षमता वाले क्षेत्रों को ज्ञात कर लिया जाता है। क्योंकि ये परीक्षण व्यक्ति की विभिन्न अभिक्षमताओं में विभेद को व्यक्त करते हैं। इसलिए इन्हें भेदक अभिक्षमता परीक्षण कहा जाता है। 

इस प्रकार के परीक्षणों में प्रायः शाब्दिक, बोध्, आंकिक बोध्, स्थानगत बोध्, यान्त्रिाक बोध्, लिपिकीय क्षमता, स्वभावगत झुकाव आदि से सम्बन्ध्ति उप-परीक्षण होते हैं। विभेदक अभिक्षमता परीक्षण सामान्य अभिक्षमता परीक्षण बैटरी अभिक्षमता सर्वेक्षण तथा अभिक्षमता वर्गीकरण परीक्षण कुछ प्रमुख विदेशी अभिक्षमता परीक्षण हैं।

इन में से कुछ का भारतीय दशाओं में अनुशीलन भी किया जा चुका है तथा इन अनुशीलनों को भारत में बहुतायत से प्रयुक्त किया जाता है। भेदक अभिक्षमता प्रकार के किसी मौलिक व सफल परीक्षण का निर्माण भारत में अभी तक नहीं हो सका है। 

3. विशिष्ट अभिक्षमता परीक्षण 

इस प्रकार के अभिक्षमता परीक्षण वे परीक्षण हैं जो किन्ही/किसी विशिष्ट क्षेत्र में व्यक्ति की अभिक्षमता का मापन करने के लिए प्रयुक्त किये जाते हैं। जैसे यान्त्रिाक अभिक्षमता परीक्षण, संगीत अभिक्षमता परीक्षण, शिक्षण अभिक्षमता परीक्षण तथा चिकित्सकीय अभिक्षमता परीक्षण क्रमशः यान्त्रिक, संगीत, शिक्षण व चिकित्सा के क्षेत्र में किसी व्यक्ति की अभिक्षमता का मापन करने के लिए तैयार किये जाते हैं। विभिन्न विशिष्ट अभिक्षमताओं का मापन करने के लिए तैयार किये गये कुछ प्रमुख विदेशी परीक्षण निम्नवत हैं- 
  1. सीशोर संगीत प्रतिभा परीक्षण
  2.  विंग संगीत बुद्धि के प्रमापीवृफत परीक्षण 
  3. संगीत अभिक्षमता प्रोफाइल 
  4. हाॅर्न कला अभिक्षमता सूची 
  5. मियर कला परीक्षण 
  6. ग्रेवस डिजाइन निर्णय परीक्षण 
  7. मिनिसोटा लिपिकीय परीक्षण 
  8. यान्त्रिक बोध के परीक्षण 
  9. चिकित्सा महाविद्यालय प्रवेश परीक्षण
  10. कानून विद्यालय प्रवेश परीक्षण 
  11. पूर्व-अभियान्त्रिाकी योग्यता परीक्षण 
भारतवर्ष में भी कुछ अभिक्षमता परीक्षणों का निर्माण मनोविज्ञानशालाओं, शैक्षिक व व्यावसायिक परामर्श संस्थाओं तथा अनुसंधानकर्ताओं के द्वारा किया गया है। इनमें से कुछ परीक्षण निम्नवत हैं- 
  1. यान्त्रिक अभिक्षमता परीक्षण - आत्मानन्द शर्मा
  2. लिपिकीय अभिक्षमता परीक्षण - किरन गुप्ता 
  3. वैज्ञानिक अभिक्षमता परीक्षणमाला - के. के. अग्रवाल 
  4. अध्यापन अभिक्षमता परीक्षण - सिंह एवं शर्मा 
  5. डी. ए. टी. के प्रारूप एल का अनुशीलन - जे. एम. ओझा

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