भोज्य ग्राहिता क्या है भोज्य पदार्थों का ग्रहण करना या स्वीकारना इन बातों पर निर्भर करता है

भोज्य ग्राहिता क्या है?

‘‘किसी भी भोज्य पदार्थ को बिना चखे उसके रंग, रूप, बनावट, सुगंध के द्वारा ही उसके स्वाद को निर्धारित कर लेते है तथा उसे ग्रहण करने की स्वीकृति प्रदान कर देते है। यही गुण भोज्य ग्राहिता कहलाता है।’’
किसी व्यक्ति द्वारा भोज्य पदार्थो का ग्रहण करना या स्वीकारना निम्न बातों पर निर्भर करता है।
  1. खाद्य पदार्थ का रंग 
  2. खाद्य पदार्थ की गंध 
  3. खाद्य पदार्थ की बनावट 
  4. खाद्य पदार्थ का आकार 
1. खाद्य पदार्थो का रंग - भोज्य पदार्थ का ग्रहण करना इस बात पर निर्भर करता है कि देखने पर वह भोज्य पदार्थ हमारी आँखों को कितना आकर्षित करता है। उसी आकर्षण का परिणाम होता है कि हम यह अनुमान लगा लेते है कि अमुक पदार्थ अच्छा होगा।

इसलिए भोजन पकाते समय का रंग का विशेष ध्यान देना चाहिए। कुछ रंग हम प्राकृतिक रूप से प्रदान करते है। जैसे हल्दी से पीला, धनियाँ, हरी मिर्च, पोदीने से हरा, लाल मिर्च, रतनजोत से लाल रंग, टमाटर से लाल। केसर का प्रयोग मिठाइयों में केसरिया रंग प्रदान करने के लिए किया जाता है। जिससे भोज्य पदार्थ आकर्षक लगने लगते है और स्वाद में भी परिवर्तन आ जाता है। उहाहरण- सादे पुलाव के स्थान पर यदि मिक्स वेजीटेबल पुलाव बनाये जिसमें चावल, मटर, गाजर, चना, दाल या लोबिया आदि का प्रयोग करे तो यह सफेद, हरा, लाल, पीले रंगो का संयोजन आँखों को आकर्षक लगेगा। किन्तु वर्तमान समय में भोज्य पदार्थो को आकर्षक बनाने के लिए कृत्रिम रंगों का उपयोग किया जाने लगा है। जिनकी अधिक मात्रा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। कुछ रंग प्रदान करने वाले रासायनिक पदार्थ पूर्णत: वर्जित होते हैं। जैसे-लैडक्रोमेट, मैटे निल पीला। सलाद सज्जा में भी रंग संयोजन अत्यधिक महत्वपूर्ण है।

2. खाद्य पदार्थ की गंध - भोजन की सुगंध से व्यक्ति उसके स्वाद का अनुमान लगा लेते हैं। सुगंध व्यक्ति के शरीर में पाचक रसों के स्वाद को बढ़ा देती है। इसीलिए मनपसन्द सुगंध भूख को बढ़ा देती है। इस सुगंध के लिए अनेक मसालों का प्रयोग किया है। जैसे हींग, दालचीनी, जीरा, जायफल आदि। मीठे भोज्य पदार्थो में इलायची को मिलाया जाता है। वर्तमान समय में अनेक रासायनिक पदार्थो को कृत्रिम सुगंध प्रदान करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है। जिन्हे एसेन्स कहा जाता है।
  1. जैसे- सेव की गंध - एमाइल ब्यूरेट
  2. अननास की गंध - इथाइल ब्यूरेट
  3. चैरी की गंध - टोलाइल एल्डीहाइड
पदार्थ को घी या तेल में तलने से भी अच्छी गंध आती है, इसीलिए प्राय: तले भोज्य पदार्थ सभी को स्वादिष्ट लगते है। अर्थात अच्छी गंध व्यक्ति की भोज्य ग्राहिता को बढ़ा देती है।

3. खाद्य पदार्थ की बनावट - स्पर्श द्वारा हम भोज्य पदार्थ की बनावट का अनुमान लगाते है। भोज्य पदार्थ के पकाने की विधि तथा मिलाये जाने वाले पदार्थो के आधार पर बनावट कई प्रकार की होती है। जैसे चिकना, खुरदुरा, सख्त, मुलायम, स्पंजी, कुरकुरी आदि। प्रत्येक भोज्य पदार्थ उसी की बनावट में अच्छा लगता है। जैसे- समोसा, खस्ता, केक, स्पंजी, मठरी, कुरकुरी व खस्ता, आलू, मुलायम, चक्की कड़ी अच्छी लगती है, किन्तु यदि मठरी मुलायम, पराठा सख्त, होगा तो यह बनावट अप्रिय लगेगी। अत: हम कह सकते है कि भोज्य पदार्थ की बनावट भी भोज्य ग्राहिता को प्रभावित करती है।

4. खाद्य पदार्थ का आकार - प्रत्येक भोज्य पदार्थ कच्ची अवस्था में अलग आकार में होता है, पकाने पर अलग। भोज्य पदार्थो को पकाने के दौरान भिन्न-भिन्न आकार देकर आकर्षक बनाया जा सकता है। जैसे सब्जियों के समानाकार टुकड़े काटकर। मिठाइयों में आजकल हलवाई भिन्न-भिन्न आकार प्रदान करके उपभोक्ताओं को आकर्षित करते है। सलाद सजाते समय गाजर, मूली, ककड़ी आदि को पत्ती, फूल का आकार देकर अत्यधिक आकर्षक बनाया जा सकता है। इसी प्रकार मैदे के नमकीन गोल, लम्बे, चौकोर, आयताकार काजू आदि का आकार देकर भोज्य ग्राहिता को बढ़ा सकते है। अत: हम कह सकते है रंग, सुगंध, बनावट, आकार आदि में परिवर्तन करके भोज्य ग्राहिता (भोजन ग्रहण करना) को बढ़ा सकते है।

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