मानव नेत्र की संरचना (1) श्वेत पटल - यह आंख के गोले के उपरी सतह पर एक मोटी सख्त, सफेद एवं अपारदर्शक झिल्ली के रूप में होता है। यह नेत्र की बाहरी चोट से रक्षा करता है (2) कार्निया या स्वच्छ मण्डल - यह नेत्र के सामने श्वेत पटल के मध्य का कुछ उभरा …
कान के कार्य एवं संरचना कान या कर्ण शरीर का एक आवश्यक अंग है, जिसका कार्य सुनना (Hearing) एवं शरीर का सन्तुलन (Equilibrium) बनाये रखना है तथा इसी से ध्वनि (Sound) की संज्ञा का ज्ञान होता है। कान की रचना अत्यन्त जटिल होती है, अत: अध्ययन की दृष्टि से …
नाक के कार्य एवं संरचना नासा गुहा (Nasal cavity) की श्लेष्मा, तीन छोटी अस्थियों (Nasal conchae) द्वारा कई कक्षों में बँट जाती है, जो नाक की बाहरी भित्ति से आरम्भ होते हैं। तीनों अस्थियों (Nasal conchae) के कारण इस स्थान पर तीन छोटे टीलों के समान उभा…
मेरुरज्जु (merurajju) का आकार अंडाकार होता है, एक सिलेंडर की तरह और एक औसत व्यक्ति में इसकी लम्बाई लगभग 45 सेन्टीमीटर होती है। मेरुरज्जु बहुत नाजुक संरचना है इसलिए यह कपाल हड्डियों और कशेरूक द्वारा संरक्षित और चारों तरफ से घिरी होती है। मेरूदण्डीय तंत…
मानव मस्तिष्क के भाग पूर्णरूप से विकसित मानवीय मस्तिष्क शरीर के भार का लगभग 1/50 होता है और कपाल गुहा (Cranial cavity) में अवस्थित रहता है। मानव मस्तिष्क के भाग मानव मस्तिष्क के कितने भाग होते हैं, मानव मस्तिष्क के भाग और कार्य - अग्र मस्तिष्क मध्य म…
मानव शरीर की उदरीय गुहा के पश्च भाग में रीढ के दोनों ओर दो वृृक्क स्थित होते हैं। ये बैगंनी रंग की रचनायें होती है जो आकार में बहुत बडी नहीं होती है। इन वृृृक्कों के पर टोपी के समान अधिवृक्क ग्रन्थियां नामक रचना पायी जाती हैं। ये वृक्क शरीर में रक्त …
वायुमण्डलीय आक्सीजन और कोशिकाओं में उत्पन्न co2के आदान प्रदान (विनिमय) की प्रक्रिया को श्वसन कहते है। श्वसन के दो भाग होते है- (i) चालन भाग (ii) श्वसन भाग/विनिमय चलन भाग → वाह्य नासारन्ध्र से अंतस्थ श्वसनिकाओं तक वायु का पहुँचना । श्वसन/विनिमय भाग → …