अनुक्रम
आजकल मीडिया शब्द का खूब प्रयोग होने लगा है। आम बोलचाल में भी लोग
इसका इस्तेमाल करने लगे है। क्या आप बता सकते है कि मीडिया है क्या? जी, अखबार,
रेडियों, टेलीविजन, फोन, इंटरनेट आदि को मीडिया की श्रेणी में रखा जाता है। मीडिया
का अर्थ होता है संचार माध्यम। क्या कभी आपने इस बात पर विचार किया है कि संचार
माध्यमों का हमारे जीवन में क्या महत्व है? आइये हम इस लेख के माध्यम से संचार माध्यमों के बारे में जानते है। ये कितने प्रकार के होते है और हमारे लिए इनकी क्या
उपयोगिता है।
पुराने समय में राजा के हरकारे पैदल या घोड़े की सवारी करते हुए राजा के संदेश राजधानी से दूसरी जगहों पर ले जाते और वहां से ले आते थे। आपने यह भी कई कहानियों में सुना होगा कि लोग कबूतरों के जरिए अपना संदेश भेजा करते थे। यही व्यवस्था बाद में एक सरकारी विभाग डाक-विभाग-बनाकर सबके लिए सुलभ कर दी गई थी। अब हर कोई एक निश्चित शुल्क देकर अपना संदेश एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से भेज सकता है। अब तो डाक व्यवस्था में इतने आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जाने लगा है संदेश तार के जरिए पलक झपकते एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचा दिया जाता है।
संचार माध्यम का महत्व
किसी भी सूचना, विचार या भाव को दूसरों तक पहुँचाना ही मोटे तौर पर संचार या कम्युनिकेशन कहलाता है। एक साथ लाखों-करोड़ों लोगों तक एक सूचना को पहुँचाना ही संचार या जनसंचार या मास कम्युनिकेशन मीडिया कहलाता है। मानव सभ्यवा के विकास में संचार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वैसे तो सभ्यता के विकास के साथ ही मुनष्य किसी न किसी रूप में संचार करता रहा है। जब आज की तरह टेलीफोन, इंटरनेट आदि की सुविधाएं नहीं थी, तब लोग चिट्ठी लिख कर अपना हाल-समाचार लोगों तक पहुँचाते और दूसरे का समाचार जानते थे। आपको यह जान कर हैरानी होगी कि चिट्ठी लिखने का प्रचलन भी बहुत पुराना नही है। जब डाक व्यवस्था नहीं थी तब लोग संदेश भेजने वालों जिन्हें संवदिया कहा जाता था, के माध्यम से एक गांव से दूसरे गांव तक संदेश भेजते या मंगाते थे।पुराने समय में राजा के हरकारे पैदल या घोड़े की सवारी करते हुए राजा के संदेश राजधानी से दूसरी जगहों पर ले जाते और वहां से ले आते थे। आपने यह भी कई कहानियों में सुना होगा कि लोग कबूतरों के जरिए अपना संदेश भेजा करते थे। यही व्यवस्था बाद में एक सरकारी विभाग डाक-विभाग-बनाकर सबके लिए सुलभ कर दी गई थी। अब हर कोई एक निश्चित शुल्क देकर अपना संदेश एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से भेज सकता है। अब तो डाक व्यवस्था में इतने आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जाने लगा है संदेश तार के जरिए पलक झपकते एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचा दिया जाता है।
क्या आप जानते है। कि तार जिस मशीन से भेजा जाता है
उसका ही विकसित रूप टेलीप्रिंटर कहा जाता है। इसके अलावा फैक्स, ई-मेल के जरिए
पलक झपकते सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा सकता है। इन उपकरणों के आ जाने
से सिर्फ डाक प्रणाली में नहीं बल्कि संचार माध्यमों को सूचनाएं इकट्ठी करने और
प्रसारित करने में भी काफी सुविधा हुई है। इन उपकरणों के बारे में हम पहले पढ़ चुके
है।
संचार का अर्थ सिर्फ व्यक्ति का अपना हाल-समाचार दूसरों तक पहुंचाने तक सीमित नहीं है। हर व्यक्ति अपने या अपने संबंधियों की सूचनाएं जानने के अलावा देश-दुनिया की खबरों के बारे में जानने का इच्छुक होता है। उसके आस-पास क्या हो रहा है, दुनिया में कहों क्या घटना घट रही है, सबकी जानकारी प्राप्त करना चाहता है। सूचनाओं की इसी भूख के चलते संचार माध्यमों का लगातार विकास और विस्तार होता गया। आज अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव होता है या ईराक में लड़ाई छिड़ती है तो हर किसी की निगाह उस ओर लगी रहती है कि वहां क्या हो रहा होता है। वह हर पल की खबरें जानना चाहता है।
संचार का अर्थ सिर्फ व्यक्ति का अपना हाल-समाचार दूसरों तक पहुंचाने तक सीमित नहीं है। हर व्यक्ति अपने या अपने संबंधियों की सूचनाएं जानने के अलावा देश-दुनिया की खबरों के बारे में जानने का इच्छुक होता है। उसके आस-पास क्या हो रहा है, दुनिया में कहों क्या घटना घट रही है, सबकी जानकारी प्राप्त करना चाहता है। सूचनाओं की इसी भूख के चलते संचार माध्यमों का लगातार विकास और विस्तार होता गया। आज अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव होता है या ईराक में लड़ाई छिड़ती है तो हर किसी की निगाह उस ओर लगी रहती है कि वहां क्या हो रहा होता है। वह हर पल की खबरें जानना चाहता है।
अगर आस्ट्रेलिया में क्रिकेट मैच हो रहा होता है तो आपकी
जिज्ञासा लगातार बनी रहती है कि किस टीम की क्या स्थिति चल रही है। इसी तरह तो
लोग व्यवसाय या किसी व्यापार से जुड़े हैं या शिक्षा संबंधी जानकारी चाहते है उनके लिए
भी हर पल बाजार में वस्तुओं की कीमतों और शेयरों के उतार-चढ़ाव की खबरें जानना
जरूरी होता है, दुनिया में शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे प्रयोग के बारे में जानने की जिज्ञासा
रहती है। किसानों को मौसम और खेती में इस्तेमाल होने वाली नई तकनीक की जानकारी
काफी मद्दगार साबित होती है। जरा सोचिए, अगर, अखबार, रेडियो, दूरदर्शन, मोबाइल
जैसे संचार माध्यम न होते तो क्या ये सूचनाएं आप तक पहुंच पाती।
अब संचार की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए तरह-तरह के संचार माध्यमों का विकास कर लिया गया है। जल्दी-से-जल्दी सूचनाएं पहुंचाने की दुनिया भर में होड़ लगी हुई है। पहले निर्धारित समय पर और एक निश्चित समय के लिए समाचारों का प्रसारण हुआ करता था, वह चौबीसों घंटे देश दुनिया की खबरों के प्रसारण लगातार दूरदर्शन के चैनलों में चलते रहते हैं। आप में से बहुत से लोगों को शायद यह जानकारी भी हो कि जल्दी-से-जल्दी सूचनाएं पहुंचाने के लिए संचार माध्यम क्या उपाय करते हैं, कई लोगों के लिए यह जानना अभी भी काफी रोचक होगा।
आजकल टेलीविजन पर इन तीनों के लिए अलग चैनल शुरू हो गए है। अगर आपको समाचार सुनने हैं तो आप समाचार का चैनल ट्यून करते हैं, फिल्म देखनी है तो उसके चैनल पर जाते हैं या मनोरंजन चाहिए तो उसके लिए कई दूसरे चैनल हैं। सूचना का अर्थ आमतौर पर समाचार लगाया जाता है। यह काफी हद तक सही भी है, क्योंकि समाचारों का विस्तार आज सिर्फ राजनीतिक क्षेत्र-तक सीमित न होकर समाज के हर क्षेत्र तक हो चुका है। जब आप कोई अखबार पढ़ते है या समाचार का कोई चैनल देखते हैं तो उसमें राजनीतिक हलचलों के अलावा खेल, शिक्षा, कृषि, बाजार भाव, शेयर, अर्थ, स्वास्थ्य जगत, अपराध, मौसम आदि की जानकारियाँ भी प्रकाशित प्रसारित की जाती है। बल्कि अखबारों में विज्ञापनों के माध्यम से कंपनियां अपने उत्पाद अथवा सेवाओं के बारे में उपभोक्ताओं के विविध प्रकार की सूचनाएं भी देती रहती है।
अब संचार की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए तरह-तरह के संचार माध्यमों का विकास कर लिया गया है। जल्दी-से-जल्दी सूचनाएं पहुंचाने की दुनिया भर में होड़ लगी हुई है। पहले निर्धारित समय पर और एक निश्चित समय के लिए समाचारों का प्रसारण हुआ करता था, वह चौबीसों घंटे देश दुनिया की खबरों के प्रसारण लगातार दूरदर्शन के चैनलों में चलते रहते हैं। आप में से बहुत से लोगों को शायद यह जानकारी भी हो कि जल्दी-से-जल्दी सूचनाएं पहुंचाने के लिए संचार माध्यम क्या उपाय करते हैं, कई लोगों के लिए यह जानना अभी भी काफी रोचक होगा।
संचार माध्यमों के उद्देश्य
विचारों, भावों और सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाना ही संचार माध्यम का मुख्य काम होता है। आप यह भी जान चुके है कि संचार माध्यमों में समाचार पत्र, रेडियों, दूरदर्शन आदि का महत्व बहुत अधिक है जिस कारण इन से जुड़ा प्रेस वर्ग यानी पत्रकार वर्ग आज चौथा खंभा के नाम से जाना जाता है। पत्रकारिता की दुनिया को (Fourth Estate) की संज्ञा दी गई है। संचार माध्यमों के मोटे तौर पर तीन उद्देश्य माने जा सकते है-- सूचना पहुंचाना
- मनोरंजन और
- शिक्षा
आजकल टेलीविजन पर इन तीनों के लिए अलग चैनल शुरू हो गए है। अगर आपको समाचार सुनने हैं तो आप समाचार का चैनल ट्यून करते हैं, फिल्म देखनी है तो उसके चैनल पर जाते हैं या मनोरंजन चाहिए तो उसके लिए कई दूसरे चैनल हैं। सूचना का अर्थ आमतौर पर समाचार लगाया जाता है। यह काफी हद तक सही भी है, क्योंकि समाचारों का विस्तार आज सिर्फ राजनीतिक क्षेत्र-तक सीमित न होकर समाज के हर क्षेत्र तक हो चुका है। जब आप कोई अखबार पढ़ते है या समाचार का कोई चैनल देखते हैं तो उसमें राजनीतिक हलचलों के अलावा खेल, शिक्षा, कृषि, बाजार भाव, शेयर, अर्थ, स्वास्थ्य जगत, अपराध, मौसम आदि की जानकारियाँ भी प्रकाशित प्रसारित की जाती है। बल्कि अखबारों में विज्ञापनों के माध्यम से कंपनियां अपने उत्पाद अथवा सेवाओं के बारे में उपभोक्ताओं के विविध प्रकार की सूचनाएं भी देती रहती है।
आपको यह सूचना कहां से
और किस प्रकार मिली कि नेशनल इस्टीट्यूर ऑफ ओपन स्कूलिंग के जरिए मुक्त शिक्षा
माध्यम से आप बारहवी की परीक्षा भी दे सकते है। आपको सामान खरीदना है और वह
सामान कई कम्पनियां बनाती हैं आपको ठीक से जानकारी नहीं है कि किस कंपनी का
सामान खरीदना आपके लिए ठीक रहेगा। ऐसे में अखबारों में या टेलीविजन पर विज्ञापन
के माध्यम से उस वस्तु की जानकारी मिल जाती है और सामान खरीदने में आसानी हो
जाती है। इसी तरह नौकरियों के विज्ञापन भी संचार माध्यमों के जरिये आपको मिलते
रहते है।
इसके अलावा जनसंख्या नियंत्रण, एड्स के प्रति जागरूकता, बाल विवाह के कुप्रभाव, नशे से समाज और मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव, पर्यावरण, प्रदूषण, जल संचय आदि समस्याओं के प्रति लोगो में जागरूकता लाने और उन्हें इनमें सहभागिता निभाने के लिए प्रेरित करने संबंधी अनेक सूचनाएं संचार माध्यमों के जरिए प्राप्त होनी है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है संचार माध्यम सूचनाओं का एक सशक्त माहध्यम होते है।
कुछ दिनों पहले भारत सरकार ने अंतरिक्ष में एजूसेट नामक उपग्रह स्थापित किया। इस उपग्रह का मकसद दूरस्थ शिक्षा में विद्यार्थियों-शिक्षार्थियों को लाभ पहुंचाना है। आप जानते हैं कि मुक्त शिक्षा माध्यम से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को मुद्रित सामग्री अलावा रेडियो, टेलीविजन, टेलीफोन आदि के माध्यम से भी पाठ्यक्रम सहायक सामग्री और शिक्षा से संबंधित जानकारियां उपलब्ध कराई जाती है। अभी तक इस तरह कई जानकारियां दूसरे उपग्रहों के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती थीं, लेकिन एजूसेट स्थापित हो जाने के बाद शिक्षा के लिए स्वतंत्र उपग्रह अस्तित्व में आ गया है और शिक्षा संबंधी सामग्री के प्रसारण में काफी सुविधा हो गई है।
आप यह भी जानते है कि अब ज्यादातर रेडियों और टेलीविजन कार्यक्रम उपग्रह के माध्यम से प्रसारित किए जाते है। अब समाचार पत्रों के प्रकाशन और उनकी सूचनाओं का संग्रह भी उपग्रह के माध्यम से होने लगा है।
इसके अलावा जनसंख्या नियंत्रण, एड्स के प्रति जागरूकता, बाल विवाह के कुप्रभाव, नशे से समाज और मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव, पर्यावरण, प्रदूषण, जल संचय आदि समस्याओं के प्रति लोगो में जागरूकता लाने और उन्हें इनमें सहभागिता निभाने के लिए प्रेरित करने संबंधी अनेक सूचनाएं संचार माध्यमों के जरिए प्राप्त होनी है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है संचार माध्यम सूचनाओं का एक सशक्त माहध्यम होते है।
कुछ दिनों पहले भारत सरकार ने अंतरिक्ष में एजूसेट नामक उपग्रह स्थापित किया। इस उपग्रह का मकसद दूरस्थ शिक्षा में विद्यार्थियों-शिक्षार्थियों को लाभ पहुंचाना है। आप जानते हैं कि मुक्त शिक्षा माध्यम से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को मुद्रित सामग्री अलावा रेडियो, टेलीविजन, टेलीफोन आदि के माध्यम से भी पाठ्यक्रम सहायक सामग्री और शिक्षा से संबंधित जानकारियां उपलब्ध कराई जाती है। अभी तक इस तरह कई जानकारियां दूसरे उपग्रहों के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती थीं, लेकिन एजूसेट स्थापित हो जाने के बाद शिक्षा के लिए स्वतंत्र उपग्रह अस्तित्व में आ गया है और शिक्षा संबंधी सामग्री के प्रसारण में काफी सुविधा हो गई है।
आप यह भी जानते है कि अब ज्यादातर रेडियों और टेलीविजन कार्यक्रम उपग्रह के माध्यम से प्रसारित किए जाते है। अब समाचार पत्रों के प्रकाशन और उनकी सूचनाओं का संग्रह भी उपग्रह के माध्यम से होने लगा है।
संचार माध्यम के प्रकार
काफी लोग अखबार पढ़ते है, रेडियो सुनते है और टेलीविजन देखते हैं। ये सभी संचार माध्यम है। इसके अलावा अन्य माध्यमों द्वारा सूचनाएं प्राप्त की जा सकती है। उसके अतिरिक्त विभिन्न कपनियों विभागों द्वारा उपलब्ध कराए जाने वाली प्रचार सामग्री भी संचार का माध्यम साबित हुई है। संचार माध्यमों को तीन भागों में बांटा जा सकता है-- मुद्रित माध्यम
- श्रत्य माध्यम
- दृश्य श्रव्य माध्यम
1. मुद्रित माध्यम -
1. अखबार - अखबार और पत्रिकाएं मुद्रित संचार माध्यम के अंतर्गत आती है। अखबारों में समाचार प्रकाशित होते हैं। शिक्षा से लेकर, खेती बाड़ी, खेलकूद, स्वास्थ्य, सिनेमा, टेलीविज के कार्यक्रम, बाजार भाव, भविष्यफल, विश्व के विभिन्न समाचार प्रकाशित होते हैं। समाचार पत्रों के माध्यम से प्रतिदिन घटने वाली घटनाओं की जानकारी होती है। समाचार पत्रों में देश विदेश की महत्वपूर्ण खबरे प्रकाशित की जाती है। समाचार पत्र में अलग-अलग खबरों के लिए अलग-अलग पन्ने निर्धारित होते हैं। बीच का पन्ना संपादकीय के लिए निश्चित होता है।
अखबार का महत्व-लोकतंत्र के तीन खंभे होते है- विधायिका, कार्यपालिका, न्यायापालिका। चौथा
खंभा अखबार (खबर पालिका) कहलाता है। विधानपालिका कानून बनाती है कार्यपालिका
उसे लागू करती है और न्यायपालिका कानून तोड़ने वालो को दंडित करती है परन्तु इन
तीनों में होने वाली गड़बड़ियों को अखबार उजागर करता है। सरकार योजना बनाती है
तथा उसमें जो खामिया होती है उसे अखबार लोगों के सामने लाता है। कई बार सरकार
को सामाजिक मुद्दों पर अखबार के प्रकाशित करने पर अपने निर्णय बदलने भी पड़ते है।
अखबार लोंगो को जागरूक और खबरदार करता है जिससे लोकतंत्र की रक्षा होती है।
इसीलिए संविधान में प्रेस को स्वतंत्रता दी जाती है। सरकार उसकी आजादी में बाधा नही
डालती।
यदि प्रेस नहीं होती तो हम अपने अधिकारों के प्रति इतने सजग नही हो पाते
तथा लोकतंत्र की रक्षा नहीं हो पाती। अखबार सरकार की योजनाओं, नीतियों या
कामकाज की ओर ही ध्यान आकर्षित नही करती बल्कि समाज के दूसरे विभिन्न मुद्रओं
पर भी ध्यान आकर्षित कर लोंगो को जागरूक करता है। सामाजिक मुद्दो जैसे-जनसंख्या
वृद्धि, भ्रूण हत्या, लिंग भेद, अन्य सामाजिक बुराइयों को अखबार प्रकाशित कर लोगों को
जागरूक बनाने का प्रयास करता है। प्राकृतिक आपदाओं, प्रदूषण, प्राकृतिक संपदा के
दोहन से होने वाली हानियों को प्रकाशित कर अखबार लोगों को जानकारी देता है। इस
प्रकार अखबार आज के युग में मुद्रित संचार माध्यमों में सर्वश्रेष्ठ स्थान रखता है।
2. पत्रिकाएँ-पत्रिकाओं का प्रकाशन आज सर्वाधिक हो रहा है। पत्रिकाओं का प्रकाशन अखबारों
की तरह प्रतिदिन न होकर साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, द्विमासिक, त्रैमासिक छमाही या
वार्षिक आधार पर प्रकाशित होती है। अवधि पर आधारित होने के कारण ताजा खबरों का
प्रकाशन पत्रिकाओं में नही हो पाता। ज्यादातर पत्रिकाओं में घटनाओं, समाचारों, कला
जगत तथा सामाजिक-साहित्यिक हलचलों पर वैचारिक टिप्पणियाँ प्रकाशित की जाती
है। इन्हें पढ़कर यह लाभ होता है कि लोगों को उन पर प्रतिक्रियायें जानने उनकी तह
में छिपी वास्तविकता को जानने और विस्तार से समझने का अवसर मिलता है। सावधिक
होने के कारण ताजा घटनाक्रमों का प्रकाशन संभव नहीं होता। इनके सावधिक होने का
लाभ यह होता है कि सूचनाओं का विस्तार से प्रकाशन तथा विवेचन की सुविधा होती है।
कई बार पत्रिकाएं खबरों की तह में छिपी घटनाओं को ढूंढ ले आती है। ऐसे उदाहरण
हमारे सामने अक्सर आते रहते है।
![]() |
पत्रिकाएं |
कुल मिलाकार पत्र पत्रिकाएं सूचनाओं का तेजी से तथा प्रामाणिक तौर पर
प्रकाशन कर सरकार की योजनाओं नीतियों के बारे में जानकारी देकर लोगों में जागरूकता
पैदा करती है।
2. श्रव्य माध्यम -
श्रव्य माध्यम सूचनाओं के प्रसारण का एक सशक्त माध्यम है जिन्हें सिर्फ सुना जा सकता है। मुद्रित माध्यमों की तरह इनकी सूचनाओं को पढ़ा या देखा नही जा सकता। रेडियों एक श्रव्य माध्यम है जिसमे समाचार, विज्ञापन, सूचनाओं का प्रसारण किया जाता है। मुद्रित माध्यमों का लाभ केवल साक्षर लोग ही उठा पाते हैं परन्तु श्रव्य माध्यमों का लाभ कम पढ़े लिख्ेा या निरक्षर उठा सकते है। मुद्रित माध्यमों की तरह इसका लाभ उठाने के लिए रोज पैसे खर्च नही करने पड़ते। रेडियो सेट एक बार खरीद कर लंबे समय तक सूचनाएं प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा इसे कहीं भी किसी भी जगह ले जाया जा सकता है। रेडियों पर आजकल एक.एम.चैनल ज्ञानवाणी के जरिए विद्यार्थियों के लिए पाठ्यक्रम पर आधारित कार्यक्रम भी प्रसारित होते है।जो विद्ययाथ्र्ाी कक्षा में नहीं जा पाते
वे इसका लाभ उठा पाते है। रेडियों में भी लगभग वे सभी समाचार एवं सूचनाएं होती है
जो पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती है। अंतर केवल इतना है रेडियो में समाचारों तथा
सूचनाओं का प्रसारण समय निश्चित होने के कारण इनके विस्तार की गुंजाइश कम होती
है। इनमे विशेष रूप से प्रमुख समाचार ही प्रसारित हो पाते है। जबकि अखबारों में
स्थानीय और राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय समाचारों के लिए पर्याप्त स्थान बन जाता है। साथ ही
इसमें चित्र भी प्रकाशित किए जा सकते है जो कि रेडियों में संभव नही है। रेडियों मे प्रसारित होने वाले समाचारों को यदि ठीक से सुना न जाए तो वे छूट जाते है परन्तु
अखबार में ऐसा नही है उन्हें दुबारा पढ़ा जा सकता है।
रेडियो के अलावा श्रव्य माध्यम के रूप में इन दिनों टेपरिकार्ड का भी प्रचलन तेजी से बढ़ा है। इसमें सूचनाओं को रिकार्ड करके रखा जा सकता है, जिसे अपनी मर्जी से सुना जा सकता है। यह विद्यार्थियों के लिए उपयोगी साबित हो रही है। पाठ्यपुस्तों के अलावा दूर शिक्षा प्रणाली के जरिए शिक्षा प्रदान कराने वाले संस्थान आडियों कैसेट भी देते है। जिनमें पाठ्यक्रम के अलावा कई पाठ्यक्रम सहायक सामग्री उपलब्ध होती है। इन कैसेटो को अपनी सुविधानुसार सुन कर लाभ उठा सकते है। चुनावों के समय राजनीतिक पार्टियां अपने प्रचार प्रसार के लिए इसका उपयोग करते है। कई कंपनियां अपने विज्ञापनों का प्रसारण इसके माध्यम से करती है। लाउडस्पीकर भी संचार का एक श्रव्य माध्यम है इसके जरिए कस्बों में सिनेमा का प्रचार करने वाले वाहनों में इनका उपयोग होता है महानगरों में लाल बतियों पर टे्रफिक पुलिस का प्रचार प्रसारित होता रहता है।
रेडियो के अलावा श्रव्य माध्यम के रूप में इन दिनों टेपरिकार्ड का भी प्रचलन तेजी से बढ़ा है। इसमें सूचनाओं को रिकार्ड करके रखा जा सकता है, जिसे अपनी मर्जी से सुना जा सकता है। यह विद्यार्थियों के लिए उपयोगी साबित हो रही है। पाठ्यपुस्तों के अलावा दूर शिक्षा प्रणाली के जरिए शिक्षा प्रदान कराने वाले संस्थान आडियों कैसेट भी देते है। जिनमें पाठ्यक्रम के अलावा कई पाठ्यक्रम सहायक सामग्री उपलब्ध होती है। इन कैसेटो को अपनी सुविधानुसार सुन कर लाभ उठा सकते है। चुनावों के समय राजनीतिक पार्टियां अपने प्रचार प्रसार के लिए इसका उपयोग करते है। कई कंपनियां अपने विज्ञापनों का प्रसारण इसके माध्यम से करती है। लाउडस्पीकर भी संचार का एक श्रव्य माध्यम है इसके जरिए कस्बों में सिनेमा का प्रचार करने वाले वाहनों में इनका उपयोग होता है महानगरों में लाल बतियों पर टे्रफिक पुलिस का प्रचार प्रसारित होता रहता है।
3. दृश्य-श्रव्य माध्यम -
टेलीविजन - दृश्य-श्रव्य माध्यम के जारिए न सिर्फ कार्यक्रमों को सुना जा सकता है बल्कि घटनाओं को चित्र के रूप में देखे भी जा सकते है। टेलीविजन दृश्य- श्रव्य माध्यम है। इसके कार्यक्रम रेडियों की अपेक्षा अधिक रोचक होते हैं क्योकि इस पर चित्र भी प्रसारित होते है। टेलीविजन के कार्यक्रमों में श्रव्य के साथ-साथ दृश्य सामग्री भी होते हैं इसलिए ये अधिक समय के लिए मन में अंकित रहते है। जिन बातों को सुनकर या पढ़कर आसानी से समझ नही पाते उन्हें देखकर आसानी से समझ जाते है। टेलीविजन पर समाचारों को बोलकर तो प्रसारित किया ही जाता है। उनसे संबधित चित्रों को दिखाकर और जहां जरूरी हुआ लिखित रूप में भी प्रस्तुत कर अधिक प्रभाव पैदा किया जा सकता है। इसी तरह टेलीविजन पर प्रसारित होने वाले पाठ्यक्रम विषयक कार्यक्रम की रोचक और प्रभावशाली होते है। आजकल दूरदर्शन एक महत्पूर्ण संचार माध्यम के रूप में विकासित हो चुका है। चौबीसों घंटे इसका प्रसारण होने के कारण समाज के विविध पक्षों को दिखाने, हर पल की घटनाओं को प्रसारित करने में आसानी होती है। यह एक अत्याधुनिक उपकरण होने के कारण इसके माध्यम से सूचनाएं एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाना आसान हो गया है तथा घटना स्थल से भी सीधे आंखों देखा हाल प्रसारित किया जा सकता है।टेलीविजन पर किसी भी घटना के तत्काल समाचार हमारे सामने होते हैं।
किसी दूसरे देश में बैठे व्यक्ति से टिप्पणी ली और प्रसारित की जा सकती है। विभिन्न
कंपनियां अपने उत्पादों का विज्ञापन टेलीविजन पर प्रसारित कराते हैं। टेलीविजन के ज्ञानदर्शन चैनल द्वारा पाठ्य-सामग्री या पाठ्यक्रम सहायक सामग्री
का प्रसारण भी काफी महत्वपूर्ण संचार माध्यम के रूप में उभर कर सामने आया है।
पाठ्यक्रमों के प्रसारण के लिए अब एक अलग से एजूसेट नामक उपग्रह भी अंतरिक्ष में
स्थापित किया गया है जिससे विद्यार्थियों, शोधार्थियों यहाँ तक कि अध्यापको के लिए
शिक्षा संबंधी सूचनाएं प्राप्त करने दुनिया मे चल रहे शिक्षा संबंधी प्रयोगो केा बारे में जानने
में आसानी हो जाती है। इस चैनल के माध्यम से राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान
भी अपने विद्यार्थियों के लिए कार्यक्रम का प्रसारण करता है। कभी-कभी टेली क्रान्फेंसिग
कर विद्यार्थियों की समस्याओं का समाधान की किया जाता है।
It is very good information
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice
Nyc explanation..
ReplyDeleteThank you sir for information of communication
ReplyDeleteVery useful information tqq
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteBahut hi acha h
ReplyDeleteBrilliant artical
ReplyDeleteNice one.. 🙂
ReplyDeleteNice sir it is very good work
ReplyDelete😃😃😃🤣🤣🤣😄😄😄😅😅😅😆😆😆 धन्यवाद
ReplyDeleteThankyou so much.
ReplyDeleteThanks sir.it's so good.
ReplyDeleteIt is too good
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNishkarsh bej
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteVery easy explanation
ReplyDeleteSo nice
ReplyDeletethanks😊
ReplyDeleteThanks
ReplyDeleteThanks yar
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