व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा दूसरे व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को सूचना या संदेश भेजने के लिए माध्यम की आवश्यकता पड़ती है, जिसे संचार माध्यम कहते हैं। संचार माध्यमों के बिना संचार संभव नहीं है।
संचार माध्यम शब्द अंग्रेजी भाषा के ’कम्युनिकेशन मीडिया’ शब्द के समानान्तर प्रयोग में लाया जा रहा है। संचार माध्यम के द्वारा संप्रेषक और प्राप्तकर्ता या प्रापक के मध्य सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि संदेश या सूचना को प्रभावशाली ढंग से प्रापक तक पहुँचाने के लिए संवाहक या स्रोत जिस माध्यम की सहायता लेता है, वही संचार माध्यम है। इस प्रकार संचार माध्यम सूचना के आदान-प्रदान एवं एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेशों के सुगम प्रवाह करने हेतु जिस माध्यम का उपयोग किया जाता है, वही संचार माध्यम है।
क्या कभी आपने इस बात पर विचार किया है कि संचार माध्यमों का हमारे जीवन में क्या महत्व है? आइये हम इस लेख के माध्यम से संचार माध्यमों के बारे में जानते है। ये कितने प्रकार के होते है और हमारे लिए इनकी क्या उपयोगिता है।
संचार माध्यम के प्रकार
संचार माध्यम कितने प्रकार के होते हैं, संचार माध्यमों को तीन भागों में बांटा जा सकता है-- समाचार पत्र
- पत्रिकाएँ
- विषय सामयिकी
- पुस्तकें
- टेलीग्राफ
- टेलीफोन
- रेडियो
- टेलीविजन
- टेलीप्रिंटर
- टेलेक्स
- फैक्स
- टेलीटेक्सट
- विडियोटेक्सट
- टेलीकांफ्रेन्स
- वैप
- इंटरनेट
1. मुद्रित माध्यम
सर्वप्रथम मुद्रण का उद्भव चीन में हुआ और 868 ई. में पुस्तक मुद्रित होकर विश्व के सामने आयी। आगे चलकर यूरोप में गुटनबर्ग ने 1440 ई. में प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार किया। भारत में मुद्रण का प्रचलन सन् 1556 में ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए गोवा में स्थापित प्रिंटिंग प्रेस से माना जाता है। प्रिंटिग प्रेस के आविष्कार ने मुद्रित संचार के क्षेत्र में क्रांति पैदा कर दी। समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, विभिन्न विषयों से सम्बन्धित सामयिकी, पुस्तकें आदि मुद्रित माध्यम के अन्तर्गत आते हैं। इस माध्यम की प्रमुख उद्देश्य समाज को ज्ञान, सूचना और मनोरंजन उपलब्ध कराना है।
1. समाचार पत्र - समाचार जगत अथवा प्रेस संचार का प्रमुख माध्यम है। अखबारों में
समाचार प्रकाशित होते हैं। शिक्षा से लेकर, खेती बाड़ी, खेलकूद, स्वास्थ्य, सिनेमा,
टेलीविजन के कार्यक्रम, बाजार भाव, भविष्यफल, विश्व के विभिन्न समाचार प्रकाशित होते
हैं। समाचार पत्रों के माध्यम से प्रतिदिन घटने वाली घटनाओं की जानकारी होती है।
समाचार पत्रों में देश विदेश की महत्वपूर्ण खबरे प्रकाशित की जाती है।
समाचार सूचना उपलब्ध कराने में समाचार-पत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। समाचार-पत्र सूचित करने, शिक्षित करने और मनोरंजन करने के प्रमुख साधन हैं। स्थानीय, क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के समाचार, दिन प्रतिदिन की घटनाएँ, सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, औद्योगिक, विज्ञान-प्रौद्योगिकी, बाजार, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि से सम्बन्धित समाचार प्रतिदिन प्रकाशित होते हैं। समाचार-पत्र सस्ता और अत्यन्त प्रभावी जनसंचार माध्यम के रूप में जाना जाता है।
2. पत्रिकाएँ - पत्रिकाओं का प्रकाशन आज सर्वाधिक हो रहा है। पत्रिकाओं का प्रकाशन अखबारों
की तरह प्रतिदिन न होकर साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, द्विमासिक, त्रैमासिक छमाही या
वार्षिक आधार पर प्रकाशित होती है। समाचार पत्रों की तरह पत्रिकाएँ भी सूचनाओं, समाचारों, घटनाओं और मनोरंजन से सम्बन्धित महत्वपूर्ण पठन सामग्री के रूप में जानी जाती है। इनमें सूचना और मनोरंजन और विशिष्ट क्षेत्रों जैसे राजनीति, इतिहास, अर्थशास्त्र, खेलकूद इत्यादि से सम्बन्धित महत्वपूर्ण सामग्री एकत्रित होती हैं।
कुल मिलाकार पत्र पत्रिकाएं सूचनाओं का तेजी से तथा प्रामाणिक तौर पर प्रकाशन कर सरकार की योजनाओं नीतियों के बारे में जानकारी देकर लोगों में जागरूकता पैदा करती है।
3. पुस्तकें - संचार माध्यम के अन्तर्गत पुस्तकें सर्वाधिक प्रचलित माध्यम है। इनके माध्यम से पाठकों तक पहुँचते हैं।
2. इलेक्ट्राॅनिक माध्यम
संचार माध्यमों के विकास में इलेक्ट्राॅनिक माध्यमों का विकास संचार जगत में एक क्रान्तिकारी घटना के रूप में देखा जाता है। इनमें टेलीफोन, रेडियो, टीवी, टेलीग्राफ, टेलीप्रिन्टर, फैक्स, कम्प्यूटर, ई-मेल अनेक माध्यम आते हैं कुछ प्रमुख इलेक्ट्राॅनिक संचार माध्यम हैं:
1. रेडियों - संचार माध्यमों में सर्वाधिक प्रभावी माध्यम रेडियो और टेलीविजन है। रेडियों एक श्रव्य माध्यम है जिसमे समाचार, विज्ञापन, सूचनाओं का प्रसारण किया जाता है। मुद्रित माध्यमों का लाभ केवल साक्षर लोग ही उठा पाते हैं परन्तु श्रव्य माध्यमों का लाभ कम पढ़े लिखे या निरक्षर उठा सकते है। रेडियो माध्यम जनसंचार द्रुतगामी और सर्वसुलभ माध्यम है, ध्वनित तरंगों का माध्यम होने के कारण इसके लिए समय और दूरी की कोई सीमा नहीं है।
रेडियों मे प्रसारित होने वाले समाचारों को यदि ठीक से सुना न जाए तो वे छूट जाते है परन्तु
अखबार में ऐसा नही है उन्हें दुबारा पढ़ा जा सकता है।
रेडियो के अलावा श्रव्य माध्यम के रूप में इन दिनों टेपरिकार्ड का भी प्रचलन तेजी से बढ़ा है। इसमें सूचनाओं को रिकार्ड करके रखा जा सकता है, जिसे अपनी मर्जी से सुना जा सकता है।
लाउडस्पीकर भी संचार का एक श्रव्य माध्यम है इसके
जरिए कस्बों में सिनेमा का प्रचार करने वाले वाहनों में इनका उपयोग होता है महानगरों
में लाल बतियों पर टे्रफिक पुलिस का प्रचार प्रसारित होता रहता है।
2. टेलीग्राफ - इसका अविश्कार अमेरिका के वैज्ञानिक सैम्युअल मोर्स ने 1837 ई. में किया था। यह संदेश भेजने की एक ऐसी प्रणाली है जिसमें तारों का प्रयोग किया जाता है इसलिए इसे ’तारयंत्र’ भी कहते हैं। विद्युत चुम्बकीय प्रभाव से संचालित टेलीग्राफ से एक स्थान से दूसरे स्थान तक सांकेतिक भाषा में संदेश प्रेषित किये जाते हैं।
3. टेलीफोन - अमेरिकी वैज्ञानिक अलैंक्जैंडर ग्रह्मवेल ने सन् 1848 ई. में टेलीफोन का आविष्कार कर दूरसंचार के क्षेत्र में एक क्रान्ति ला दी। सन् 1878 ई. में थाॅमस एलवाम एडिसन ने इस उपकरण में कुछ सुधार किए। इसमें सुधार होते रहे हैं। टेलीफोन सेवा का श्रेय छोटे उपग्रहों को जाता है। उपग्रह के माध्यम से ही संदेश को किसी भी स्थान, देश-विदेश में भेजा जाता है। इस सेवा ने विश्व को छोटा बना दिया है।
4. टेलीविजन - टेलीविजन दृश्य- श्रव्य माध्यम है। इसके कार्यक्रम रेडियो की अपेक्षा अधिक रोचक होते हैं क्योंकि इस पर चित्र भी प्रसारित होते है। भारत में टेलीविजन की शुरूआत 15 सिम्बर 1959 को आल इंडिया रेडियों के एक सहयोगी विभाग के रूप में यूनेस्को की एक परियोजना के अधीन हुई थी। धीरे-धीरे प्रसारण में इसके विस्तार होने लगा और वर्ष 1976 में टेलीविजन आकाशवाणी से अलग होकर दूरदर्शन बना तथा एक स्वतंत्र संगठन के रूप में कार्यरत हुआ। दूरदर्शन वर्ष 1982 से टेलीविजन पर रंगीन प्रसारण शुरू किया।
आजकल दूरदर्शन एक महत्पूर्ण संचार माध्यम के रूप में विकासित
हो चुका है। चौबीसों घंटे इसका प्रसारण होने के कारण समाज के विविध पक्षों को
दिखाने, हर पल की घटनाओं को प्रसारित करने में आसानी होती है। यह एक अत्याधुनिक
उपकरण होने के कारण इसके माध्यम से सूचनाएं एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाना
आसान हो गया है तथा घटना स्थल से भी सीधे आंखों देखा हाल प्रसारित किया जा
सकता है।
विभिन्न
कंपनियां अपने उत्पादों का विज्ञापन टेलीविजन पर प्रसारित कराते हैं। टेलीविजन के ज्ञानदर्शन चैनल द्वारा पाठ्य-सामग्री या पाठ्यक्रम सहायक सामग्री
का प्रसारण भी काफी महत्वपूर्ण संचार माध्यम के रूप में उभर कर सामने आया है।
5. टेलीप्रिंटर - टेलीप्रिंटर यह तार अथवा रेडियो तरंगों द्वारा दूरस्थ स्थान तक टाइप किए गए संदेश को भेजने का एक आधुनिक उपकरण है। इस यंत्र से संदेश भेजने के लिए आपरेटर पहले ग्राहक मशीन से एक बटन द्वारा सम्पर्क करता है। तत्पश्चात वह प्रेषित किए जाने वाले समाचार अथवा संदेश को टाइप करता है जो ग्राहक मशीन में लगे कागज पर भी टाइप होता रहता है। इस मशीन से समाचार पत्र एवं पत्रिकाओं को नई सूचना सामग्री तुरंत प्राप्त हो जाती है। समाचार समितियाँ समाचारों को भेजने के लिए टेलिप्रिंटर का उपयोग करते हैं।
6. टेलेक्स - टेलेक्स को टेलीप्रिंटर, टेलीग्राफ और टेलीफोन का मिश्रित रूप कहा जा सकता है। इसके द्वारा संदेश टाइप रूप में तार अथवा संदेश भेजने के लिए टेलीफोन से नम्बर डायल कर दूसरे टेलेक्स से सम्पर्क स्थापित किया जाता है और एक विशेष पट्टी पर टाइप किया हुआ संदेश ट्रांसमिट कर दिया जाता है। संदेश पाने वाली टेलेक्स मशीन पर संदेश टाइप होता रहता है। इस उपकरण या मशीन की विशेषता यह है कि प्राप्तकत्र्ता मशीन पर बिना आपरेटर के होते हुए भी संदेश पहुँचता रहता है। दूरस्थ स्थानों का संदेश भेजने के लिए यह एक उपयोगी उपकरण है जिसका प्रबन्धन काफी मात्रा में बढ़ रहा है।
7. कम्प्यूटर - कम्प्यूटर से अब कोई व्यक्ति अपरिचित नहीं है। आज यह संचार का
एक महत्वपूर्ण एवं सशक्त माध्यम है। यह ऐसा उपकरण है जिसके कारण संचार के क्षेत्र
में क्रांति आ गई है। आज संसार भर में ऐसा केाई क्षेत्र नही है जहाँ कम्प्यूटर की पहुंच
नहीं है। इस पर अखबारों, रेडियो, टेलीविजन के लिए समाचार लिखे जा सकते है,
संपादित किए जाते है तथा प्रकाशित प्रसारित किये जाते है।
8. फैक्स - इसके माध्यम से लिखित अथवा मुद्रित सामग्री का टेलीफोन नेटवर्क के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजा जा सकता है। प्राप्त करने वाले व्यक्ति को मूल संदेश फोटोप्रति के रूप में मिल जाता है। अब रंगीन फैक्स मशीनों का भी अविश्कार हो चुका है। रंगीन चित्रों को भी भेजा जा सकता है। यह संचार प्रणाली त्वरित और विश्वसनीय है। आजकल सरकारी कार्यालयों, व्यापारिक संस्थानों, समाचार-पत्र कार्यालयों इत्यादि स्थलों में टेलीफोन की भाँति इनका प्रचलन भी बढ़ गया है।
9. टेलीटेक्सट - टेलीटेक्सट आजकल के संसार की आधुनिकतम प्रणाली है, जो मात्र कम्प्यूटर द्वारा ही संभव हो पाई है।
इस प्रणाली का आरंभ सन् 1977 में British Broadcasting Corporation (BBC) ने किया था। BBC ने इसका नाम सीफेक्स Ceefax रखा था। इसके कुद दिनों बाद यह प्रणाली आईटीवी ने शुरुआत की। इस सेवा का नाम Oracle था। ये दोनों सेवाएं लोगों को अनेक सूचनाएं देती थीं। जैसे- शेयरों के भाव, मौसम संबंधी जानकारी एवं आम समाचार। बीबीसी की टेलीटेक्सट सेवाएं दो चैनलों पर थीं। इस प्रणाली द्वारा किसी भी पाठ्य सामग्री की आप अपने टेलीविजन पर मनचाहे रूप में प्राप्त कर सकते हैं।
आरंभ में टेलीटेक्सट प्रणाली का उपयोग टेलीविजन में, समाचार-पत्रों में शीर्षक-उपशीर्षक आदि प्रदर्शित करने के लिए किया जाता था, परंतु आज यह प्रणाली वायुयानों के उड़ान के समय, रेलगाडि़यों के आवागमन आदि से संबंधित सूचनाएं आदि प्रदर्शित करने के लिए ऊंचे पैमाने पर प्रयोग की जा रही हैं। इसके द्वारा मौसम, खेल, सिनेमा आदि से संबंधित समाचारों को प्रदर्शित करना एक आम बात हो गई है। आज यह प्रणाली अमेरिका, दक्षिण-पूर्व एशिया, जापान, भारत तथा यूरोप के कई बड़े देशों में प्रयुक्त की जा रही है।
10. वीडियोटेक्सट - वीडियोटेक्सट टेलीटेक्सट से मिलती-जुलती है। अंतर मात्र इतना है कि इसमें किसी सूचना को प्राप्त करने वाला व्यक्ति टेलीफोन द्वारा संपर्क स्थापित करता है। इस प्रणाली में सूचनाओं को टीवी दोनों पर प्राप्त किया जा सकता है। इस प्रणाली में पाठ्य सामग्री को कम्प्यूटर की memory में संचित कर लिया जाता है। सूचना प्राप्त करने वाला व्यक्ति टेलीफोन द्वारा वीडियोटेक्सट केन्द्र के डाटाबेस से संपर्क स्थापित करता है। टेलीफोन लाइन पर कम्प्यूटर वांछित सूचना प्रसारित करता है। सूचना को डिकोडर द्वारा डिकोड करके टीवी स्क्रीन पर प्रदर्शित कर दिया जाता है। इस प्रकार वांछित सूचना प्राप्त हो जाती है। सूचना प्राप्त होने पर टेलीफोन का सम्पर्क अपने आप हीं कट जाता है।
वीडियोटेक्सट प्रणाली द्वारा आप कोई भी सामान्य सूचना प्राप्त कर सकते हैं। जैसे किसी सिनेमा हाॅल में कौन-सी फिल्म चल रही है, क्रिकेट के किसी मैच में रन संख्या क्या चल रही है, टेलीविजन के कौन-कौन से माॅडल बाजार में उपलब्ध हैं, कल का मौसम कैसा रहेगा आदि। ये सभी सूचनाएं ताजा होती हैं तथा कम्प्यूटर के डाटाबेस में संचित रहती है।
टेलीटेक्सट तथा वीडियोटेक्सट प्रणालियों के लिए जिन तकनीकों की आवश्यकता होती है, उनमें टीवी, प्रसारण, कम्प्यूटर डाटाबेस, पाठ्य सामग्री का स्क्रीन पर प्रदर्शन, डीकोडरों का निर्माण आदि मुख्य हैं। इन तकनीकों के विकास हेतु विश्व मे अधिकाधिक कार्य किया जा रहा है। टेलीटेक्सट तथा वीडियोटेक्सट प्रणालियों को सस्ते मूल्य पर उपलब्ध कराने के लिए वैज्ञानिक नई-नई तकनीकों का विकास करने में जुटे हुए हैं आने वाले समय में इन दोनों प्रणालियों में विज्ञापन देने वाले लोगों को भी बहुत लाभ मिलने की संभावना है। वे कम खर्चे पर अधिक लंबे विज्ञापन दे सकेंगे तथा अपने उत्पादों को अधिक प्रभावशाली ढंग से बेच सकेंगे।
11. टेली काॅन्फ्रेंस - टेली काॅन्फ्रेंस का अर्थ है- दूरसंचार साधनों द्वारा दो या दो से अधिक स्थानों पर दो या अधिक व्यक्तियों का आपस में विचार-विमर्श करना। टेली काॅन्फ्रेंस भी तीन प्रकार की होती हैं-
- आडियो काॅन्फ्रेंस,
- वीडियो काॅन्फ्रेंस,
- कम्प्यूटर काॅन्फ्रेंस।
आडियो काॅन्फ्रेंस में भाग लेने वाले व्यक्ति एक-दूसरे से बात तो कर सकते हैं, परंतु एक-दूसरे को देख नहीं सकते। इस प्रकार के काॅन्फ्रेंस सामान्यतः टेलीफोन द्वारा सम्पन्न होते हैं। वीडियो काॅन्फ्रेंस में लोग एक-दूसरे को देख भी सकते हैं तथा आपस में बात भी कर सकते हैं। कम्प्यूटर काॅन्फ्रेंस में अलग-अलग स्थानों पर बैठे व्यक्ति कम्प्यूटर को प्रयोग में लाकर सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं।
12. मोबाइल फोन - यह घर के साधारण फोन से अलग होता है। घर के फोन को एक तार के जरिए जोड़ा जाता है इसलिए इसके उठाकर कही नहीं ले जाया जा सकता जबकि मोबाइल फोन बिना तार के काम करता है जिसे लेकर आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है। इसे जेब में रखकर ले चलने की सुविधा के कारण इनके सेट काफी छोटे-छोटे तैयार किए जाने लगे हैं।
यह एक दूसरे से बातचीत करने के अलावा इसका उपयोग संदेश भेजने पाने (एस.एम.एस.) फोटो खीचने और तुरंत उसे दूसरे व्यक्ति के पास भेजने, बातचीत रिकार्ड करने और उसे दूसरे व्यक्ति के पास भेजने, फिल्में देखने, गाने सुनने, समाचार सुनने के लिए भी किया जात है।
12. इंटरनेट - इंटरनेट का अर्थ होता है कम्प्यूटरों का जाल-इंटरनेट हजारों नेटवर्को का एक
नेटवर्क है। सारी दुनिया के नेटवर्क इस व्यवस्था से आपस में जोडे जा सकते हैं या जुड़े
हुए है। संसार के किसी भी कोने से कोई भी सूचना देनी या लेनी हो तो वह कुछ ही पलों
में भेजी या प्राप्त की जा सकती है। इसके द्वारा व्यवसाय, स्टॉक मार्केट, शिक्षा, चिकित्सा,
मौसम, खेलकूद आदि के अतिरिक्त अन्य किसी भी क्षेत्र में जानकारी प्राप्त की जा सकती
है।
यहां तक कि यदि मन में कोई विचार आता है और हम उससे संबंधित जानकारी प्राप्त
करना चाहते है तो वह भी हमें इंटरनेट के माध्यम से प्राप्त हो सकती है। इंटरनेट एक
तरह से मुद्रित दृश्य-श्रव्य माध्यमों का मिला जुला रूप है।
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इंटरनेट |
संचार माध्यम का महत्व
किसी भी सूचना, विचार या भाव को दूसरों तक पहुँचाना ही मोटे तौर पर संचार या कम्युनिकेशन कहलाता है। एक साथ लाखों-करोड़ों लोगों तक एक सूचना को पहुँचाना ही संचार या जनसंचार या मास कम्युनिकेशन मीडिया कहलाता है। मानव सभ्यवा के विकास में संचार की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वैसे तो सभ्यता के विकास के साथ ही मुनष्य किसी न किसी रूप में संचार करता रहा है।जब आज की तरह टेलीफोन, इंटरनेट आदि की सुविधाएं नहीं थी, तब लोग चिट्ठी लिख कर अपना हाल-समाचार लोगों तक पहुँचाते और दूसरे का समाचार जानते थे। आपको यह जान कर हैरानी होगी कि चिट्ठी लिखने का प्रचलन भी बहुत पुराना नही है। जब डाक व्यवस्था नहीं थी तब लोग संदेश भेजने वालों जिन्हें संवदिया कहा जाता था, के माध्यम से एक गांव से दूसरे गांव तक संदेश भेजते या मंगाते थे।
पुराने समय में राजा के हरकारे पैदल या घोड़े की सवारी करते हुए राजा के संदेश राजधानी से दूसरी जगहों पर ले जाते और वहां से ले आते थे। आपने यह भी कई कहानियों में सुना होगा कि लोग कबूतरों के जरिए अपना संदेश भेजा करते थे। यही व्यवस्था बाद में एक सरकारी विभाग डाक-विभाग-बनाकर सबके लिए सुलभ कर दी गई थी। अब हर कोई एक निश्चित शुल्क देकर अपना संदेश एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से भेज सकता है। अब तो डाक व्यवस्था में इतने आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जाने लगा है संदेश तार के जरिए पलक झपकते एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचा दिया जाता है।
पुराने समय में राजा के हरकारे पैदल या घोड़े की सवारी करते हुए राजा के संदेश राजधानी से दूसरी जगहों पर ले जाते और वहां से ले आते थे। आपने यह भी कई कहानियों में सुना होगा कि लोग कबूतरों के जरिए अपना संदेश भेजा करते थे। यही व्यवस्था बाद में एक सरकारी विभाग डाक-विभाग-बनाकर सबके लिए सुलभ कर दी गई थी। अब हर कोई एक निश्चित शुल्क देकर अपना संदेश एक स्थान से दूसरे स्थान तक आसानी से भेज सकता है। अब तो डाक व्यवस्था में इतने आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल किया जाने लगा है संदेश तार के जरिए पलक झपकते एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचा दिया जाता है।
क्या आप जानते है। कि तार जिस मशीन से भेजा जाता है उसका ही विकसित रूप टेलीप्रिंटर कहा जाता है। इसके अलावा फैक्स, ई-मेल के जरिए पलक झपकते सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा सकता है। इन उपकरणों के आ जाने से सिर्फ डाक प्रणाली में नहीं बल्कि संचार माध्यमों को सूचनाएं इकट्ठी करने और प्रसारित करने में भी काफी सुविधा हुई है। इन उपकरणों के बारे में हम पहले पढ़ चुके है।
संचार का अर्थ सिर्फ व्यक्ति का अपना हाल-समाचार दूसरों तक पहुंचाने तक सीमित नहीं है। हर व्यक्ति अपने या अपने संबंधियों की सूचनाएं जानने के अलावा देश-दुनिया की खबरों के बारे में जानने का इच्छुक होता है। उसके आस-पास क्या हो रहा है, दुनिया में कहों क्या घटना घट रही है, सबकी जानकारी प्राप्त करना चाहता है। सूचनाओं की इसी भूख के चलते संचार माध्यमों का लगातार विकास और विस्तार होता गया। आज अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव होता है या ईराक में लड़ाई छिड़ती है तो हर किसी की निगाह उस ओर लगी रहती है कि वहां क्या हो रहा होता है। वह हर पल की खबरें जानना चाहता है।
संचार का अर्थ सिर्फ व्यक्ति का अपना हाल-समाचार दूसरों तक पहुंचाने तक सीमित नहीं है। हर व्यक्ति अपने या अपने संबंधियों की सूचनाएं जानने के अलावा देश-दुनिया की खबरों के बारे में जानने का इच्छुक होता है। उसके आस-पास क्या हो रहा है, दुनिया में कहों क्या घटना घट रही है, सबकी जानकारी प्राप्त करना चाहता है। सूचनाओं की इसी भूख के चलते संचार माध्यमों का लगातार विकास और विस्तार होता गया। आज अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव होता है या ईराक में लड़ाई छिड़ती है तो हर किसी की निगाह उस ओर लगी रहती है कि वहां क्या हो रहा होता है। वह हर पल की खबरें जानना चाहता है।
अगर आस्ट्रेलिया में क्रिकेट मैच हो रहा होता है तो आपकी जिज्ञासा लगातार बनी रहती है कि किस टीम की क्या स्थिति चल रही है। इसी तरह तो लोग व्यवसाय या किसी व्यापार से जुड़े हैं या शिक्षा संबंधी जानकारी चाहते है उनके लिए भी हर पल बाजार में वस्तुओं की कीमतों और शेयरों के उतार-चढ़ाव की खबरें जानना जरूरी होता है, दुनिया में शिक्षा के क्षेत्र में हो रहे प्रयोग के बारे में जानने की जिज्ञासा रहती है। किसानों को मौसम और खेती में इस्तेमाल होने वाली नई तकनीक की जानकारी काफी मद्दगार साबित होती है। जरा सोचिए, अगर, अखबार, रेडियो, दूरदर्शन, मोबाइल जैसे संचार माध्यम न होते तो क्या ये सूचनाएं आप तक पहुंच पाती।
अब संचार की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए तरह-तरह के संचार माध्यमों का विकास कर लिया गया है। जल्दी-से-जल्दी सूचनाएं पहुंचाने की दुनिया भर में होड़ लगी हुई है। पहले निर्धारित समय पर और एक निश्चित समय के लिए समाचारों का प्रसारण हुआ करता था, वह चौबीसों घंटे देश दुनिया की खबरों के प्रसारण लगातार दूरदर्शन के चैनलों में चलते रहते हैं। आप में से बहुत से लोगों को शायद यह जानकारी भी हो कि जल्दी-से-जल्दी सूचनाएं पहुंचाने के लिए संचार माध्यम क्या उपाय करते हैं, कई लोगों के लिए यह जानना अभी भी काफी रोचक होगा।
अब संचार की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए तरह-तरह के संचार माध्यमों का विकास कर लिया गया है। जल्दी-से-जल्दी सूचनाएं पहुंचाने की दुनिया भर में होड़ लगी हुई है। पहले निर्धारित समय पर और एक निश्चित समय के लिए समाचारों का प्रसारण हुआ करता था, वह चौबीसों घंटे देश दुनिया की खबरों के प्रसारण लगातार दूरदर्शन के चैनलों में चलते रहते हैं। आप में से बहुत से लोगों को शायद यह जानकारी भी हो कि जल्दी-से-जल्दी सूचनाएं पहुंचाने के लिए संचार माध्यम क्या उपाय करते हैं, कई लोगों के लिए यह जानना अभी भी काफी रोचक होगा।
संचार माध्यम के उद्देश्य
विचारों, भावों और सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाना ही संचार माध्यम का मुख्य काम होता है। आप यह भी जान चुके है कि संचार माध्यमों में समाचार पत्र, रेडियों, दूरदर्शन आदि का महत्व बहुत अधिक है जिस कारण इन से जुड़ा प्रेस वर्ग यानी पत्रकार वर्ग आज चौथा खंभा के नाम से जाना जाता है। पत्रकारिता की दुनिया को (Fourth Estate) की संज्ञा दी गई है। संचार माध्यमों के मोटे तौर पर तीन उद्देश्य माने जा सकते है-- सूचना पहुंचाना
- मनोरंजन और
- शिक्षा
आजकल टेलीविजन पर इन तीनों के लिए अलग चैनल शुरू हो गए है। अगर आपको समाचार सुनने हैं तो आप समाचार का चैनल ट्यून करते हैं, फिल्म देखनी है तो उसके चैनल पर जाते हैं या मनोरंजन चाहिए तो उसके लिए कई दूसरे चैनल हैं। सूचना का अर्थ आमतौर पर समाचार लगाया जाता है। यह काफी हद तक सही भी है, क्योंकि समाचारों का विस्तार आज सिर्फ राजनीतिक क्षेत्र-तक सीमित न होकर समाज के हर क्षेत्र तक हो चुका है।
जब आप कोई अखबार पढ़ते है या समाचार का कोई चैनल देखते हैं तो उसमें राजनीतिक हलचलों के अलावा खेल, शिक्षा, कृषि, बाजार भाव, शेयर, अर्थ, स्वास्थ्य जगत, अपराध, मौसम आदि की जानकारियाँ भी प्रकाशित प्रसारित की जाती है। बल्कि अखबारों में विज्ञापनों के माध्यम से कंपनियां अपने उत्पाद अथवा सेवाओं के बारे में उपभोक्ताओं के विविध प्रकार की सूचनाएं भी देती रहती है।
आपको यह सूचना कहां से और किस प्रकार मिली कि नेशनल इस्टीट्यूर ऑफ ओपन स्कूलिंग के जरिए मुक्त शिक्षा माध्यम से आप बारहवी की परीक्षा भी दे सकते है। आपको सामान खरीदना है और वह सामान कई कम्पनियां बनाती हैं आपको ठीक से जानकारी नहीं है कि किस कंपनी का सामान खरीदना आपके लिए ठीक रहेगा। ऐसे में अखबारों में या टेलीविजन पर विज्ञापन के माध्यम से उस वस्तु की जानकारी मिल जाती है और सामान खरीदने में आसानी हो जाती है। इसी तरह नौकरियों के विज्ञापन भी संचार माध्यमों के जरिये आपको मिलते रहते है।
इसके अलावा जनसंख्या नियंत्रण, एड्स के प्रति जागरूकता, बाल विवाह के कुप्रभाव, नशे से समाज और मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव, पर्यावरण, प्रदूषण, जल संचय आदि समस्याओं के प्रति लोगो में जागरूकता लाने और उन्हें इनमें सहभागिता निभाने के लिए प्रेरित करने संबंधी अनेक सूचनाएं संचार माध्यमों के जरिए प्राप्त होनी है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है संचार माध्यम सूचनाओं का एक सशक्त माहध्यम होते है।
कुछ दिनों पहले भारत सरकार ने अंतरिक्ष में एजूसेट नामक उपग्रह स्थापित किया। इस उपग्रह का मकसद दूरस्थ शिक्षा में विद्यार्थियों-शिक्षार्थियों को लाभ पहुंचाना है। आप जानते हैं कि मुक्त शिक्षा माध्यम से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को मुद्रित सामग्री अलावा रेडियो, टेलीविजन, टेलीफोन आदि के माध्यम से भी पाठ्यक्रम सहायक सामग्री और शिक्षा से संबंधित जानकारियां उपलब्ध कराई जाती है। अभी तक इस तरह कई जानकारियां दूसरे उपग्रहों के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती थीं, लेकिन एजूसेट स्थापित हो जाने के बाद शिक्षा के लिए स्वतंत्र उपग्रह अस्तित्व में आ गया है और शिक्षा संबंधी सामग्री के प्रसारण में काफी सुविधा हो गई है।
आप यह भी जानते है कि अब ज्यादातर रेडियों और टेलीविजन कार्यक्रम उपग्रह के माध्यम से प्रसारित किए जाते है। अब समाचार पत्रों के प्रकाशन और उनकी सूचनाओं का संग्रह भी उपग्रह के माध्यम से होने लगा है।
इसके अलावा जनसंख्या नियंत्रण, एड्स के प्रति जागरूकता, बाल विवाह के कुप्रभाव, नशे से समाज और मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव, पर्यावरण, प्रदूषण, जल संचय आदि समस्याओं के प्रति लोगो में जागरूकता लाने और उन्हें इनमें सहभागिता निभाने के लिए प्रेरित करने संबंधी अनेक सूचनाएं संचार माध्यमों के जरिए प्राप्त होनी है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है संचार माध्यम सूचनाओं का एक सशक्त माहध्यम होते है।
कुछ दिनों पहले भारत सरकार ने अंतरिक्ष में एजूसेट नामक उपग्रह स्थापित किया। इस उपग्रह का मकसद दूरस्थ शिक्षा में विद्यार्थियों-शिक्षार्थियों को लाभ पहुंचाना है। आप जानते हैं कि मुक्त शिक्षा माध्यम से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को मुद्रित सामग्री अलावा रेडियो, टेलीविजन, टेलीफोन आदि के माध्यम से भी पाठ्यक्रम सहायक सामग्री और शिक्षा से संबंधित जानकारियां उपलब्ध कराई जाती है। अभी तक इस तरह कई जानकारियां दूसरे उपग्रहों के माध्यम से उपलब्ध कराई जाती थीं, लेकिन एजूसेट स्थापित हो जाने के बाद शिक्षा के लिए स्वतंत्र उपग्रह अस्तित्व में आ गया है और शिक्षा संबंधी सामग्री के प्रसारण में काफी सुविधा हो गई है।
आप यह भी जानते है कि अब ज्यादातर रेडियों और टेलीविजन कार्यक्रम उपग्रह के माध्यम से प्रसारित किए जाते है। अब समाचार पत्रों के प्रकाशन और उनकी सूचनाओं का संग्रह भी उपग्रह के माध्यम से होने लगा है।
संचार माध्यमों की विशेषताएँ एवं महत्व
संचार माध्यमों की विशेषताएँ एवं महत्व हैं:
- एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति या समूह की दूरी के प्रतिबंध के बिना कम से कम समय में संदेश पहुंचाने में मददगार।
- गोपनीयता बनाए रखते हुए प्राप्तकर्ता को संदेश पहुंचाना।
- सुरक्षित रूप से संदेश भेजने में विश्वसनीय।
- विभिन्न माध्यमों में संग्रहित सूचनाओं की पुर्नप्राप्ति में सहायक।
- इलेक्ट्राॅनिक माध्यमों द्वारा संदेश तेजी से भेजे एवं प्राप्त किए जा सकते हैं तथा इनको भविष्य के लिए संरक्षित भी किया जा सकता है।
- संचार माध्यम संसाधन सहभागिता में सहायता प्रदान करते हैं।
- ज्ञान के विकास एवं उपयोग में सहायक होते हैं।
It is very good information
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice
Nyc explanation..
ReplyDeleteThank you sir for information of communication
ReplyDeleteVery useful information tqq
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteBahut hi acha h
ReplyDeleteBrilliant artical
ReplyDeleteNice one.. 🙂
ReplyDeleteNice sir it is very good work
ReplyDelete😃😃😃🤣🤣🤣😄😄😄😅😅😅😆😆😆 धन्यवाद
ReplyDeleteThankyou so much.
ReplyDeleteThanks sir.it's so good.
ReplyDeleteIt is too good
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteNishkarsh bej
ReplyDeleteVery easy explanation
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ReplyDeletethanks😊
ReplyDeleteThanks
ReplyDeleteThanks yar
ReplyDeleteNice
ReplyDeleteBhout hi khanda ha
ReplyDeleteThank you ☺️
ReplyDeleteNice for project work and stady
ReplyDelete😝😝😝😝😝😝😝 bc thanks
ReplyDeleteHello sir sanchar ko 3 bhago me bata gaya h to phir jansanchar ko kitne bhago me bata gaya h
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