औषधीय पौधों के नाम और उपयोग
तुलसी के औषधीय उपयोग
- गरम होने के कारण खाॅंसी, ज्वर आदि में प्रयोग किया जाता है।
- तुलसी के तेल में एंटी कैंसर गुण पाये जाते है।
- यह हृदय के लिए गुणकारी है
- नेत्र विकारों में भी तुलसी का प्रयोग ब्राह्म व आभ्यान्तर दोनों प्रकार से किया जाता है।
- इसके बीज का प्रयोग अधिक पेशाब होना में किया जाता है।
- प्राचीन काल से ही इसका प्रयोग विभिन्न विषों के निराकरण के लिए किया जाता है।
पुदीना का औषधीय उपयोग
- दर्द वाले स्थानों में लेप चोट वाले स्थानों में लगाने व मुखदुर्गन्ध नाशन के लिए इसके रस से कुल्ला करते है।
- इसकी पत्तियों का क्वाथ बुखार, पेट के दर्द, कष्टार्तव व रजोरोध में उपयोगी है।
- मुॅंह के छाले, मसूड़ों की सूजन व दाॅत दर्द में भी यह लाभकर है।
कुमारी के औषधीय उपयोग
- यह मूर्छा, भ्रम व अनिद्रा में प्रयुक्त होता है।
- यह उच्चरक्तचाप में उपयोगी है।
शतावरी के औषधीय उपयोग
- यह वातपित्त शामक है। इससे सिद्ध तेलों का प्रयोग शिरोरोग, वातव्याधि व दौर्बल्य में करते है।
- छोटी माता होने पर इसके पत्तों का लेप दाह शमक का काम करता है।
- सभी आयु की स्त्रियों के लिए बल्य व रसायन है।
भृंगराज के औषधीय उपयोग
- भृंगराज बालों के लिए मुख्यरूप से प्रयोग की जाने वाली औषधि है।
- यह किडनी और लीवर की कारगर औषधि है।
- बालों का असमय सफेद होना, झड़ने में भृंगराज तैल का नियमित उपयोग लाभदायक होता है।
- अनिद्रा में भी तेल लाभप्रद है।
छोटी इलायची के औषधीय उपयोग
- यह श्वास व कास में भी लाभदायक है।
- इसके बीजों का तेल पाचक तथा अम्लपित्त में लाभकर है।
- यह नेत्र रोग, श्वास तथा दाॅंत व मसूड़ों के रोगों में लाभकर है।
पपीता के औषधीय उपयोग
- यह पाचन सम्बन्धी रोगों में लाभकर है।
- इसके दूध का प्रयोग सोरायसिस तथा रिंगवर्म में किया जाता है।
दालचीनी के औषधीय उपयोग
- यह माउथवॉश, मुखदुर्गन्ध नाशन है।
- यह भारतीय भोजन में गर्म मसालों के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- यह दिल की धड़कन रुकना में उपयोगी है तथा कोलेस्ट्राल व ट्राइग्लिसराईड को कम करने के काम आता है।
- यह अतिसार में भी उपयोगी है।
धतूरा के औषधीय उपयोग
- यह श्वास रोग की उत्तम औषधि है।
- इसके पत्र, पुष्प मजरी और बीज वेदना स्थापक, मादक गुण वाले होते है।
अदरख (सौंठ) के औषधीय उपयोग
- अदरख की चाय सर्दी जुकाम व कफ की उत्तम औषधि है।
- खून को पतला करने के गुण के कारण तथा कोलेस्ट्राॅंल को कम करने के कारण यह हृदय रोगों में प्रयोग किया जाता है।
- अरूचि, उदरशूल, अतिसार तथा कास में भी यह लाभकर है। यह दीपन पाचन कर्म करता है।
- यह पाचक है, अतः शरीर में उत्पन्न आम को नष्ट करता है।
गुड़मार के औषधीय उपयोग
- यह रक्त में शर्करा की उपस्थिति को नियंत्रित करता है
- मधुमेह में प्रयोग किया जाता है।
- यह पीलिया की कारगर औषधि है।
अखरोट के औषधीय उपयोग
- इसके बीज पौष्टिक, बल्य एवं पोषक हैं
- इसका तेल मासिक धर्म संबंधी विकारों में कारगर है।
अनार के औषधीय उपयोग
- इसके रस से रक्त के कोलेस्ट्रोल की मात्रा नियंत्रित होती है।
- इसकी छाल के काढ़े से मुख व कण्ठ रोगों में गरारे करते है।
- इसके फलों में एन्टीआक्सीडेन्ट पाये जाते है।
सफेद मूसली के औषधीय उपयोग
- इसके सेवन से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।
रीठा के औषधीय उपयोग
- यह विशेष रूप से साबुन व शैंपू बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
- इसके फल के चूर्ण का नस्य अर्धावभेदक, मूर्छा, अपतंत्रक तथा श्वास में देते है।
शंखपुष्पी के औषधीय उपयोग
- यह नाडि़यों के लिए बलप्रद है।
- यह शीतवीर्य होने से रक्तस्तंभक है तथा उच्च रक्तचाप को कम करती है।
गुडुची के औषधीय उपयोग
- घृत के साथ वात, शर्करा के साथ पित तथा मधु के साथ कफ विकारों में दिया जाता है।
- कुष्ठ वातरक्त में इससे सिद्ध घृत का प्रयोग किया जाता है।
- इसका सत्व जीर्ण ज्वर तथा दाह में प्रयोग करते हैं।
हरीतकी के औषधीय उपयोग
- इसके काढ़ा से मुख तथा गले के रोगों में कुल्ला करते है।
- कोशिका शुद्धि के लिए हरीतकी सर्वश्रेष्ठ द्रव्य है।
- श्वेतप्रदर तथा गर्भाशय दौर्बल्य में प्रयुक्त होता है।
बहेड़ा के औषधीय उपयोग
- इसका तेल चर्मरोगों में प्रयोग किया जाता है।
- भूनकर प्रयोग करने से कफ, कण्ठ शोथ तथा श्वास में फायदा मिलता है।
आंवला के औषधीय उपयोग
- यह विटामिन सी का सर्वोत्तम वानस्पतिक स्रोत है अतः यह स्कर्वी रोग में शर्करा व दूध के साथ प्रयोग कराये जाने पर लाभदायक परिणाम देता है।
- यह हृदय के लिए बल्य हैं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
- यह एक उत्तम रसायन है तथा मधुमेह में भी लाभकर परिणाम दिखाता है।
- बालों के लिए लाभकारी है तथा बालों को सफेद होने तथा झड़ने से रोकता है।
जामुन के औषधीय उपयोग
- इसकी छाल व फल उत्तम मधुमेह नाशक है।
- इसके पत्ती का चूर्ण मसूड़ों को मजबूत बनाने के लिये देते हैं।
- इसके बीज का चूर्ण रक्तप्रदर रक्तातिसार में देते है।
अजवाइन के औषधीय उपयोग
- यह कफवात विकारों में प्रयुक्त होता है।
- बदहजमी से उत्पन्न विकारों में अजवायन चूर्ण एवं सेंधानमक मिलाकर देने से लाभ होता है।
हल्दी के औषधीय उपयोग
- शीतपित्त की उत्तम औषधि है।
- जीर्ण ज्वर, कुष्ठ व दौर्बल्य में उपयोगी है।
लौंग के औषधीय उपयोग
- मुख व कण्ठरोगों में चूसते है।
- दाॅत दर्द में इसका लेप लाभदायक है।
- चर्मरागों में लाभदायक है।
कालीमिर्च के औषधीय उपयोग
- कफवातजन्य विकारों में लाभकर है।
- नाड़ी दौर्बल्य, हृद्दौर्बल्य में उपयोगी है।
- कुष्ठ, चर्मरोगों में लेप करते हैं।
Tags:
औषधीय पौधे