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Pravivran क्या है । प्रविवरण किसे कहते हैं

कम्पनी अधिनियम की धारा 2(36) के अनुसार ‘‘प्रविवरण से आशय ऐसे प्रपत्र से है, जो प्रविवरण की भांति वर्णित या र्निमित किया जाता है, ऐसे नोटिस, परिपत्र, विज्ञापन या अन्य प्रपत्रों को सम्मिलित करता है जो एक समामेलित संस्था के अंषों या ऋणपत्रों के क्रय करने…

पार्षद अंतर्नियम क्या है? पार्षद सीमा नियम एवं पार्षद अंतर्नियम में अंतर

पार्षद अन्तर्नियम में कम्पनी के आन्तरिक प्रबंध से संबंधित नियम होते हैं। ‘पार्षद अंतर्नियम कंपनी के पार्षद सीमानियम के अधीन बनाये गये नियमन तथा उपनियम है जिनमें कंपनी के आन्तरिक मामलों को नियंत्रित एवं नियमित किया जा सकता है। पार्षद अंतर्नियम क्या है …

पार्षद सीमा नियम क्या है ? अर्थ, परिभाषा, विषय वस्तु एवं उद्देश्य

पार्षद सीमानियम कम्पनी का महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह ऐसा प्रपत्र है, जो प्रस्तावित कम्पनी के लिये बहुत महत्वपूर्ण होता है। कोई भी कम्पनी बिना पार्षद सीमानियम के पंजीकृत नहीं हो सकती है।  पार्षद सीमा नियम क्या है पार्षद सीमानियम कम्पनी का सर्वाधिक महत…

कंपनी का अर्थ, परिभाषा, प्रकार, विशेषताएँ

एक कम्पनी का आशय ऐसी व्यक्तियों के समूह से है जो समान उद्देश्यों के लिये एकत्रित हुआ है, जिसमें व्यवसाय द्वारा लाभार्जन या अन्य कार्य आते है। भारत में कंपनियाँ, भारतीय कंपनी अधिनियम 1956 द्वारा शासित होती हैं। अधिनियम के अनुसार एक कंपनी का अभिप्राय उस…

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