शिक्षा दर्शन

आदर्शवाद का अर्थ, परिभाषा, सिद्धांत/ आदर्शवाद क्या है

आदर्शवाद पाश्चात्य दर्शन की प्राचीन विचारधारा है। ज्ञान की किरण भारत के बाद यदि कहीं पहले प्रस्फुटित हुई तो वह यूनान (ग्रीस) देश में। यूनान पाश्चात्य दर्शन की गुरुस्थली है। ईसा की कई शताब्दी पूर्व वहाँ तत्व ज्ञान का विकास होने लगा था। पश्चिमी जगत में …

प्रकृतिवाद-अर्थ, परिभाषा, सिद्धान्त, विशेषताएं, गुण-दोष

प्रकृति पाश्चात्य दर्शन की वह विचारधारा है जो प्रकृति को मूल तत्व मानती है, इसी को इस ब्रह्माण्ड का कर्ता और उपादान कारण मानती है। यथार्थवाद की भाँति प्रकृतिवाद भी दार्शनिक चिंतन का प्रारंभिक रूप है। इस संदर्भ में हम उन दार्शनिकों का उल्लेख कर सकते है…

शिक्षा दर्शन का अर्थ, परिभाषा, स्वरूप, कार्य, आवश्यकता

शिक्षा दर्शन दर्शन की वह शाखा है जिसमें मनुष्य और उसकी शिक्षा के स्वरूप की व्याख्या विभिन्न दार्शनिक मतों के आधार पर की जाती है और उसकी शिक्षा संबंधी समस्याओं के दार्शनिक हल प्रस्तुत किए जाते हैं। दर्शन का वह भाग जिसमें शिक्षा की समस्याओं का अध्ययन कि…

यथार्थवाद का अर्थ, परिभाषा, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

यथार्थवाद एक भौतिकवादी दर्शन है। वस्तु को वास्तविक अथवा यथार्थ मानने के कारण ही इस विचारधारा को वास्तववाद अथवा यथार्थवाद की संज्ञा दी जाती है। यथार्थवाद जगत को मिथ्या कहने वाली भावना का विरोधी स्वर है। यथार्थवाद का अर्थ यथार्थवाद का अर्थ यथार्थवाद के …

सर टी0 पी0 नन का शिक्षा सिद्धान्त

प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री सर टी0 पी0 नन का जन्म 1870 में, इंग्लैंड में हुआ था। नन अध्यापकों के परिवार से जुड़े थे। उनके पिता और पितामह ने ब्रिस्टल नामक स्थान पर एक विद्यालय की स्थापना की थी। बाद में इसे वेस्टन-सुपर-मेयर नामक स्थान में स्थानान्तरित कर द…

More posts
That is All