मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है । व्यक्ति निर्माण से समाज निर्माण और समाज निर्माण से ही राष्ट्र निर्माण होता है, जो कि संस्कृति युक्त धर्म के पालन से ही सम्भव हो सकता है। प्रत्येक समाज की अपनी विशेष संस्कृति होती है। संस्कृति वस्तुतः मानवता की मेरुदण्ड है…