वेदांत दर्शन क्या है वेदांत दर्शन में योग का स्वरूप?

वेदांत दर्शन उपनिषद वैदिक साहित्य का अन्तिम भाग है इसलिए इसे वेदांत कहते हैं वेदांत का शाब्दिक अर्थ है- वेदों का अन्त (अथवा सार) वेदांत ज्ञानयोग की शाखा है इसका मुख्य श्रोत उपनिषद हैं जो वेद ग्रन्थों का सार समझे जाते हैं । यह महर्षि वेदव्यास रचित है।…

सांख्य दर्शन क्या है सांख्य दर्शन ने कितने तत्व को माना है?

सांख्य दर्शन के अनुसार प्रकृति और पुरुष दो मूल तत्व हैं और प्रकृति की 23 विकृतियाँ हैं और इस प्रकार कुल 25 तत्व हैं। कुछ विद्वानों के अनुसार तत्वों की संख्या बताने के कारण ही इस दर्शन को सांख्य दर्शन कहा जाता है। अन्य विद्वानों के अनुसार सांख्य का अर्…

जैन दर्शन में योग का स्वरूप || जैन दर्शन में यम नियम निरुपण

जैन दर्शन में योग का स्वरूप  भारतवर्ष में जिस समय बौद्ध दर्शन का विकास हो रहा था उसी समय जैन दर्शन भी विकसित हो रहा था। दोनों दर्शन छठी शताब्दी में विकसित होने के कारण समकालीन दर्शन कहे जा सकते हैं। जैन मत के विकास और प्रचार का श्रेय अन्तिम तीर्थ…

योगवशिष्ठ में योग का स्वरूप || योगवशिष्ठ में यम नियम निरूपण

योगवशिष्ठ में योग का स्वरूप  योग वशिष्ठ योग का एक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। अन्य योग ग्रन्थों की भाँति योग वशिष्ठ में भी योग के विभिन्न स्वरूप जैसे- चित्तवृत्ति, यम-स्वरूप, नियम-स्वरूप, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, समाधि, मोक्ष आदि का वर्णन वृह…

गीता में योग का स्वरूप

वही ज्ञान वास्तविक ज्ञान होता है जो ज्ञान मुक्ति के मार्ग की ओर अग्रसरित कराता है। अत: गीता में भी मुक्ति प्रदायक ज्ञान है। इस बात की पुष्टि स्वयं व्यास जी ने महाभारत के शान्तिपर्व में प्रकट किया है। ‘‘विद्या योगेन ऱक्षति’’ अर्थात् ज्ञान की रक्षा य…

योग साधना में साधक व बाधक तत्व

योग शब्द का अर्थ संस्कृत भाषा के युज् धातु से निष्पन्न होने के साथ विभिन्न ग्रन्थों के अनुसार योग की परिभाषाओं का अध्ययन किया गया। योग साधना के मार्ग में साधक के लिए साधना में सफलता हेतु सहायक तत्वों तथा साधना में बाधक तत्वों की चर्चा विभन्न ग्रन्थों…

योग का महत्व क्या है?

योग भारतीय संस्कृति का एक आधार स्तम्भ हैं । जो प्राचीन काल से आधुनिक काल तक हमारे काल से जुडा हुआ है । इस योग का महत्व प्राचीन काल से भी था तथा आधुनिक काल में भी इसका महत्व और अधिक बडा है।  योग का महत्व भौतिक एवं विज्ञान की दृष्टि से आज का मानव अत्य…

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