योग

अष्टांग योग क्या है अष्टांग योग कितने प्रकार के होते हैं?

अष्टांग योग महर्षि पतंजलि द्वारा रचित व प्रयोगात्मक सिद्धान्तों पर आधारित योग के परम लक्ष्य की प्राप्ति हेतु एक साधना पद्धति है।  महर्षि पतंजलि ने अपने योगसूत्र नामक ग्रंथ में तीन प्रकार की योग साधनाओं का वर्णन किया है।‘अष्टांग’ शब्द दो शब्दों के मेल …

आयुर्वेद और योग (आयुर्वेद में योग के प्रकार, आयुर्वेद में वर्णित प्राणायाम)

आयुर्वेद और योग दोनों ही अत्यन्त प्राचीन विद्यायें हैं। दोनों का विकास और प्रयोग समान उद्देश्य के लिए एक ही काल में मनुष्य मात्र के दु:खों को दूर करने के लिए हुआ। आयुर्वेद का शाब्दिक अर्थ जीवन का विज्ञान है। इसे एक बहु उद्देश्यीय विज्ञान के रूप में व…

गीता में योग का स्वरूप

वही ज्ञान वास्तविक ज्ञान होता है जो ज्ञान मुक्ति के मार्ग की ओर अग्रसरित कराता है। अत: गीता में भी मुक्ति प्रदायक ज्ञान है। इस बात की पुष्टि स्वयं व्यास जी ने महाभारत के शान्तिपर्व में प्रकट किया है। ‘‘विद्या योगेन ऱक्षति’’ अर्थात् ज्ञान की रक्षा य…

योग साधना में साधक व बाधक तत्व

योग शब्द का अर्थ संस्कृत भाषा के युज् धातु से निष्पन्न होने के साथ विभिन्न ग्रन्थों के अनुसार योग की परिभाषाओं का अध्ययन किया गया। योग साधना के मार्ग में साधक के लिए साधना में सफलता हेतु सहायक तत्वों तथा साधना में बाधक तत्वों की चर्चा विभन्न ग्रन्थों…

योग का महत्व क्या है?

योग भारतीय संस्कृति का एक आधार स्तम्भ हैं । जो प्राचीन काल से आधुनिक काल तक हमारे काल से जुडा हुआ है । इस योग का महत्व प्राचीन काल से भी था तथा आधुनिक काल में भी इसका महत्व और अधिक बडा है।  योग का महत्व भौतिक एवं विज्ञान की दृष्टि से आज का मानव अत्य…

योग का अर्थ, परिभाषा, उद्देश्य, प्रकार और महत्व

योग शब्द का शाब्दिक अर्थ जोड़ना या मिलन कराना है । योग शब्द के इस अर्थ का भारतीय संस्कृति में बहुत अधिक प्रयोग किया गया है । जैसे गणित शास्त्र में दो या दो से अधिक संख्याओं के जोड़ का योग कहते है । चिकित्सा शास्त्र में विभिन्न औषधियों के मिश्रण को योग…

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