अनुसूचित जाति

अनुसूचित जाति का इतिहास

भारतीय सामाजिक व्यवस्था में निचली ईकाई के रूप में मान्यता प्राप्त अस्पृश्य समझी जाने वाली अनुसूचित जातियों एवं अनुसूचित जनजातियों के साथ सदियों से घोर अन्याय शोषण अपमान तथा गैर सामाजिक बराबरी का बर्ताव किया जा रहा है जिसका दुष्परिणाम यह हुआ कि यह वर्ग…

अनुसूचित जातियों के कल्याण के लिए भीमराव अंबेडकर द्वारा किए गए प्रयास

डॉ भीमराव अंबेडकर बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। वे एक महान बौद्धिक प्रतिभा के धनी थे - डॉक्टर अंबेडकर ने कोलंबिया विश्वविद्यालय न्यूयॉर्क से एम ए (1915), पीएचडी (1917), तथा लंदन से एमएससी (1922), विधि स्नातक तथा डीएससी (1923) की उपाधियां प्राप्त की।…

अनुसूचित जाति की परिभाषा, जाति के उत्पत्ति के कारक

हिन्दू जाति व्यवस्था एक सामाजिक व्यवस्था है। यह वर्ण व्यवस्था का परिवर्तित रूप है। वर्ण चार थे और इनका आधार श्रम विभाजन था। प्रथम तीन वर्ण-ब्राह्मण, क्षत्रिय तथा वैश्य द्विज कहलाते थे तथा चौथा वर्ण शूद्र था। शूद्रों का कार्य द्विजों की सेवा करना था। …

जाति व्यवस्था के गुण और जाति व्यवस्था के दोषों की विवेचना

समय-समय पर भारतीय जाति-व्यवस्था की विभिन्न लेखकों द्वारा आलोचना की गई है। समाज में जितनी बुराइयां हैं, उन सबके लिए जाति-व्यवस्था को दोषी ठहराया गया है। परन्तु एक मात्र यही तथ्य कि इतने आक्षेपों के बावजूद भी यह पहले की भांति अभी तक चल रही है, इस बात का…

जाति व्यवस्था का सम्पूर्ण विचार प्राप्त करने के लिए इसकी विशेषताओं का वर्णन किया जा सकता है

‘जाति’ शब्द एक पुर्तगाली शब्द ‘कास्टा’ से उत्पन्न हुआ है जिसका अर्थ नस्ल, कुल या समूह से लिया गया है। एक व्यक्ति एक जाति में पैदा होता है और स्थायी तौर पर उसी का सदस्य बना रहता है।  जाति व्यवस्था की विशेषताएं जाति-व्यवस्था का सम्पूर्ण विचार प्राप्त क…

अनुसूचित जाति किसे कहते हैं अनुसूचित जाति या दलितों की समस्याएं?

अनुसूचित जातियाँ (Scheduled caste) भारतीय समाज की वे जातियाँ है, जिन्हें परंपरागत रुप में अस्पृश्य समझा जाता रहा है और अस्पृश्यता के आधार पर ये जातियाँ अनेक सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और राजनैतिक अयोग्यताओं की शिकार या पीड़ित रहीं है और इसलिए अनेक समस्य…

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