पुराण

पुराणों की उत्पत्ति, पुराणों के नाम एवं श्लोक संख्या

पुराण शब्द का अर्थ है 'पुराना' अर्थात जो स्वयं पुराना हो या प्राचीन हो उसे पुराण कहा गया है, पुराण की उत्पत्ति के सन्दर्भ में कहा जा सकता है कि समाज के इतिहास को सुरक्षित रखने की प्रक्रिया तथा इन्हीं परम्परागत बातों के आधार पर पुराण की उत्पत्त…

18 पुराणों के नाम और उनका संक्षिप्त परिचय

पुराण का वास्तविक अर्थ 'प्राचीन' है। इसके सम्बन्ध में प्राचीन मनीषियों का यह शंखनाद है कि कोई द्विज चारों वेदों तथा वेदागों उपनिषदों का ज्ञाता भले ही हो, यदि वह पुराण से अनभिज्ञ है, तो उसे विचक्षण - चतुर एवं शास्त्र - कुशल नहीं माना जा सकता हे…

उपपुराण के नाम एवं उपपुराण की संख्या

पुराणों की भांति उपपुराणों की भी गणना की गयी है। विद्वानों का विचार है कि पुराणों के बाद ही उपपुराणों की रचना हुई है, पर प्राचीनता अथवा मौलिकता के विचार से उपपुराणों की महत्ता पुराणों के समान है। उपपुराणों में स्थानीय सम्प्रदाय तथा पृथक् पृथक् सम्प्र…

18 पुराणों के नाम और सभी पुराणों का संक्षिप्त परिचय

यास्क के निरुक्त के अनुसार, ‘पुराण’ की व्युत्पत्ति है- ‘पुरा नव’ भवति अर्थात् जो प्राचीन होकर भी नया होता है। इन व्युत्पत्तियों की मीमांसा करने से स्पष्ट होता है कि ‘पुराण’ का वर्ण्य विषय प्राचीनकाल से सम्बद्ध था। प्राचीन ग्रन्थों में पुराण का सम्बन्ध…

पुराणों की संख्या कितनी है। पुराणों के नाम

जिस प्रकार समग्र वेदों के मंत्र अपनी मूलावस्था में अविभक्त रूप में एक ही साथ मिले-जुले थे, उसी प्रकार पुराण भी एक बृहत्संहिता के रूप में सम्मिलित थे। वेदों के चतुर्धा वर्गीकरण की भांति पुराणों का भी पंचम वेद के रूप में अलग विभाजन उनकी रचना के बहुत बा…

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