विश्व साहित्य का सबसे प्राचीनतम् ग्रन्थ 'वेद' है। वेद न केवल भारतीय समाज द्वारा समाहत है अपितु विश्व के महान विद्वानों ने भी इन्हें श्रद्धा की दृष्टि से देखा है तथा उनकी महत्वता को स्वीकारा है। वेद भारतीय संस्कृति के मूल स्रोत है, अतः वेदों मे…
‘अथर्व’ शब्द का अर्थ है अकुटिलता तथा अंहिसा वृत्ति से मन की स्थिरता प्राप्त करने वाला व्यक्ति। इस व्युत्पत्ति की पुष्टि में योग के प्रतिपादक अनेक प्रसंग स्वयं इस वेद में मिलते है। होता वेद आदि नामों की तुलना पर ब्रह्मकर्म के प्रतिपादक होने से अथर्ववेद…
अथर्ववेद के अनेक स्थलों पर साम की विशिष्ट स्तुति ही नहीं की गई है, प्रत्युत परमात्मभूत ‘उच्छिष्ट’ (परब्रह्म) तथा ‘स्कम्भ’ से इसके आविर्भाव का भी उल्लेख किया गया मिलता है। एक ऋषि पूछ रहा है जिस स्कम्भ के साम लोभ हैं वह स्कम्भ कौन सा है? दूसरे मन्त्र म…
यजुर्वेद की शाखाएं काण्यसंहिता कृष्ण यजुर्वेद तैत्तिरीय संहिता मैत्रात्रणी संहिता 1. काण्यसंहिता- शुक्ल यजुर्वेद की प्रधान शाखायें माध्यन्दिन तथा काण्व है। काण्व शाखा का प्रचार आज कल महाराष्ट्र प्रान् तमें ही है और माध्यन्दिन शाखा का उतर भारत म…
वेद चार हैं ऋग्वेद , सामवेद , यजुर्वेद , अथर्ववेद । इनमे ऋग्वेद सबसे पा्रचीन और अथर्ववेद सबसे बाद का माना जाता है। ऐतिहासिक सामग्री के दृष्टिकोण से ऋग्वेद और अथर्ववेद ही सबसे महत्वपूर्ण है। ऋग्वेद में भारत में आर्याें का आगमन उनका प्रसार भारत के निवास…