चार्वाक दर्शन क्या है ?

चार्वाक दर्शन क्या है ?  लोक में अन्यन्त प्रिय लोकायत- दर्शन ही चार्वाक दर्शन कहलाता है। देवताओं के गुरू बृहस्पति द्वारा प्रणीत होने के कारण इसका नाम बार्हस्पत्य-दर्शन है। ईश्वर और वेद के प्रामाण्य का सर्वथा खण्डन करने के कारण यह ‘नास्तिक दर्शन’ है। भ…

जैन धर्म के सिद्धांत और जैन धर्म की उत्पत्ति कब और कैसे हुई

भारतीय दार्शनिक चिंतन के मुख्य श्रोत वेद हैं। कुछ दर्शन वेद बाह्य भी हैं। उनमें आजीवक, चार्वाक, जैन एवं बौद्ध दर्शन मुख्य हैं। प्रारंभ में जैन मत धर्म के रूप में विकसित हुआ था, परंतु आगे चलकर विद्वानों ने उसके दर्शन को विकसित किया। जैन धर्म के प्रवर्…

गौतम बुद्ध की शिक्षा एवं उपदेशों का वर्णन

गौतम बुद्ध गौतम बुद्ध की शिक्षा एवं उपदेशों का वर्णन भगवान बुद्ध के उपदेशों का सारांश उनके चार आर्य-सत्यों में निहित है। भगवान बुद्ध के ये चार आर्य-सत्य ही तथागत-धर्म तथा दर्शन के मूलाधार हैं । दुःख  दुःख समुदाय  दु:ख निरोध  दु:ख निरोध-मार्ग अर्थात् न…

लियोपोल्ड वॉन रॉके का इतिहास

लियोपोल्ड वॉन रॉके इतिहास में आधुनिक शास्त्रीय अध्ययन और इतिहास लेखन की प्रणाली में पथप्रदर्शक की भूमिका 19 वीं शताब्दी के जर्मन विश्वविद्यालयों, विशेषकर, गॉन्टिनजेन विश्वविद्यालय ने निभाई थी। महानतम जर्मन इतिहासकार, वस्तुनिष्ठ इतिहास लेखन के जनक, मूल…

1789 की फ्रांसीसी क्रांति के कारण, घटनाएं एवं प्रभाव

जे. ई. स्वाइन के अनुसार, फ्रांस में 1789 में एक महान क्रान्ति हुई जो वहां की निरंकुश शासन व्यवस्था तथा तत्कालीन दोषपूर्ण सामाजिक व्यवस्था, विशेषाधिकारों और नौकरशाही के विरूद्ध थी। इस क्रान्ति के परिणामस्वरूप कालान्तर में यूरोप की पुरातन व्यवस्था का अन…

जर्मनी मे नाजीवाद के उदय के कारण

नाजीवाद फासीवाद का ही एक उग्र रूप है जिसको हिटलर ने जर्मनी में विकसित किया। नाजीवाद के अंतर्गत राष्ट्रवाद को सर्वोचता प्रदान की गई है, रजनी पाम दत्त के अनुसार इटली में फासीवाद आने तक उदारवादी’ लोकतंत्रवादी और सामाजिक लोकतंत्रवादी हलकों में आमतौर पर य…

अनुसूचित जाति की परिभाषा, जाति के उत्पत्ति के कारक

हिन्दू जाति व्यवस्था एक सामाजिक व्यवस्था है। यह वर्ण व्यवस्था का परिवर्तित रूप है। वर्ण चार थे और इनका आधार श्रम विभाजन था। प्रथम तीन वर्ण-ब्राह्मण, क्षत्रिय तथा वैश्य द्विज कहलाते थे तथा चौथा वर्ण शूद्र था। शूद्रों का कार्य द्विजों की सेवा करना था। …

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