मलिक मोहम्मद जायसी का जीवन परिचय और प्रमुख रचनाएं

मलिक मोहम्मद जायसी निर्गुण भक्ति काव्यधारा की प्रेमाश्रयी शाखा जिसे सूफी काव्य के रूप में भी जाना जाता है, के प्रतिनिधि कवि हैं। जायसी के जन्म की तिथि के संदर्भ में भी मतभेद हैं। मलिक मोहम्मद जायसी का जन्म वर्ष 870 हिजरी (1464 ई.) और मलिक मोहम्मद जायस…

विद्यापति का जीवन परिचय, प्रमुख रचनाएँ, भाषा और काव्य सौंदर्य

विद्यापति का जन्म सन् 1360 ई. में स्वीकार किया जाता है। वे एक बहुआयामी साहित्यकार थे। उन्होंने तीन भाषाओं संस्कृत, अवहट्ठ, मैथिली में काव्य रचना की। इनकी ख्याति का मुख्य आधार मैथिली भाषा में रचित ‘पदावली’ है। इसमें लगभग एक हजार पद हैं जो आज भी गीत के …

अमीर खुसरो का जीवन परिचय, रचनाएँ, भाषा और काव्य सौंदर्य

अमीर खुसरो का वास्तविक नाम अबुल हसन योमीनद्दीन मुहम्मद था । अमीर खुसरो का जन्म सन् 1253 ई. में आधुनिक एटा जिला के पटियाली गांव में हुआ था। उन्होंने अपने जीवन में लगभग 99 ग्रंथों की रचना की जिनमें से अधिकांश फारसी भाषा में थे। यद्यपि हिंदी भाषा में अभी…

ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है इसके प्रभाव के परिणाम

ग्रीन हाउस का अर्थ उस बगीचे या पार्क में उस भवन से है जिसमें शीशे की दीवारें और छत होती हो तथा जिसमें उन पौधों को उगाते हैं जिन्हे अधिक ताप की आवश्यकता होती है उसे ग्रीन-हाउस प्रभाव या पौधा घर प्रभाव कहते हैं।  इस क्रिया द्वारा पृथ्वी का तापमान लगाता…

किनोवा क्या है? किनोवा के फायदे

किनोवा का पौधा किनोवा क्या है ? किनोवा एक फसल है। किनोवा विश्व में दक्षिणी अमेरिका के बोलीविया, पेरू एवं इक्वाडोर देशों की मुख्य खाद्य फसल है। इसको समुद्र तल से लेकर 2000-4000 मीटर तक उगाया जा सकता है। इन सब विशेषताओं के होते हुए भी अभी तक देश में किन…

बाजरा फसल के रोग और उनकी रोकथाम

बाजरे की फसल बाजरे की फसल में गुंदिया या चेपा, अरगट व जोगिया (हरित बाली) इत्यादि रोग तथा दीमक व सफेद लट का प्रकोप एक आम बात है। अत: बाजरे में कीट व बीमारियों की रोकथाम के लिए भूमि व बीज उपचार काफी लाभदायक पाया गया। बाजरा फसल के रोग एवं रोकथाम  बाजरा …

सिद्ध योग क्या है, इसके कार्य और लाभ

सिद्धि योग नाथमत के योगियों की देन है इसमें सभी प्रकार के योग जैसे भक्तियोग, कर्मयोग, राजयोग, क्रियायोग, लययोग, भावयोग, हठयोग आदि सम्मिलित हैं इसीलिए इसे पूर्ण योग या महायोग भी कहते हैं इससे साधक के त्रिविध ताप आदि दैहिक, भौतिक, दैविक नष्ट हो जाते हैं…

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