हिंदी साहित्य

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय एवं रचनाएँ

जयशंकर प्रसाद का जन्म माघ शुक्ल दशमी संवत् 1946 (सन् 1889) को काशी के एक सम्पन्न और यशस्वी घराने में हुआ था। कहा जाता है कि उनके पूर्वज मूलत: कन्नौज के थे। कन्नौज से सत्राहवीं शताब्दी में वे जौनपुर आकर बस गये थे। उसी कुल की एक शाखा अठारहवीं सदी के अंत…

हिंदी साहित्य का काल विभाजन और नामकरण

हिंदी साहित्य का काल विभाजन के कई आधार हो सकते हैं। कर्ता के आधार पर - प्रसाद युग, भारतेंदु युग, द्विवेदी युग।  प्रवृत्ति के आधार पर- भक्तिकाल, संतकाव्य, सूफीकाव्य, रीतिकाल, छायावाद, प्रगतिवाद। विकासवादिता के आधार पर- आदिकाल, आधुनिक काल, मध्यकाल। साम…

हिंदी साहित्य का इतिहास : काल विभाजन एवं नामकरण

सन् 1000 ई. के आसपास हिन्दी साहित्य प्रारंभ होता है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने हिन्दी साहित्य के इतिहास को काल एवं प्रवृत्ति के आधार पर चार भागो में विभक्त किया हैं -  आदिकाल अथवा वीरगाथा काल (संवत् 1050-1375 ई. तक)  पूर्व मध्य काल या भक्ति काल (संवत्…

रीतिकाल की प्रमुख विशेषताएँ, रचनाएँ और प्रवृत्तियाँ

रीतिकालीन हिंदी साहित्य की रचना, जिन सामन्तीय परिस्थितियों में हुई, उस साहित्य को साधारण लोगों के जीवन से तो सम्बद्ध नहीं किया जा सकता, क्योंकि वह साहित्य तो मूलतः दरबारी या शाही साहित्य था। आश्रित कवियों तथा आचार्यों ने जिस साहित्य की सृष्टि की, उसमे…

भक्तिकालीन हिंदी साहित्य की चार काव्य धाराएँ

भक्तिकालीन काव्य की विविध रूपों में प्रगति हुई। इस काल की चार काव्य-धाराओं ने एक साथ हिंदी साहित्य की वृद्धि कर डाली। चार काव्यधाराएँ निम्नलिखित हैं-  भक्तिकालीन हिंदी साहित्य की चार काव्य धाराएँ 1. संत काव्य धारा संत काव्यधारा के प्रमुख कवि कबीर है। …

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय एवं प्रमुख रचनाएं

जयशंकर प्रसाद (सन् 1890-1937 ई.) का जन्म माघ शुक्ल दशमी, संवत् 1946 वि. को वाराणसी के प्रसिद्ध तंबाकू के भारी व्यापारी सुंघनी साहू के पुत्र रूप में हुआ। जयशंकर प्रसाद के पिता शिवरतन साहू काशी के अति प्रतिष्ठित नागरिक थे। अवधि में सुंघनी सूंघने वाली तं…

द्विवेदी युग की साहित्यिक प्रवृत्तियाँ, नामकरण एवं युगीन परिस्थितियाँ।

हिंदी साहित्य के आधुनिक काल में एक नवीन मोड़ आया। साहित्यकारों का चिंतन व्यष्टि से समष्टि, वैयक्तिक से सामाजिक, जड़ता से चेतना, स्थायित्व से प्रगति, श्रृंगार से देशभक्ति, रूढ़ि से स्वच्छंदता की ओर अग्रसर हुआ। भारतेंदु युग के कवियों में भावबोध आधुनिकता…

द्विवेदी युग के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएं

द्विवेदी युग के प्रमुख कवि आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी, मैथिली शरण गुप्त, पं. रामचरित उपाध्याय, पं. लोचन प्रसाद पांडेय, राय देवी प्रसाद ‘पूर्ण’, पं. नाथू राम शर्मा, पं. गया प्रसाद शुक्ल ‘सनेही’, पं. राम नरेश त्रिपाठी, लाला भगवानदीन ‘दीन’ पं. रूप नार…

पंडित बालकृष्ण भट्ट का जीवन परिचय, रचित नाटक, साहित्यिक विशेषताएँ

पंडित बाल कृष्ण भट्ट (सन् 1844 - 1914 ई0) भारतेंदु मंडल के साहित्यकारों में प्रमुख रहे हैं। संवत् 1933 वि. में पंडित बाल कृष्ण भट्ट ने गद्य साहित्य का मार्ग प्रशस्त करने हेतु हिन्दी प्रदीप का संपादन प्रारंभ किया। सामाजिक, साहित्यिक, राजनीतिक एवं नै…

भारतेंदु युग का नामकरण एवं समय सीमा। भारतेंदु युग की विशेषताएं

आधुनिक काल के हिंदी साहित्य का अंतर्विभाजन प्राय: सभी विद्वानों ने एक जैसा किया है किन्तु नामकरण एवं सीमा निर्धारण के विषय में मतैक्य नहीं है। विशिष्ट काल में विशेष साहित्यकार के प्रमुख योगदान को देखते हुए भारतेंदु हरिश्चन्द्र के नाम पर उनके युग को भ…

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