संप्रेषण किसे कहते हैं | संप्रेषण के प्रकार

संप्रेषण दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य शब्द, संकेत, हावभाव तथा व्यवहार के द्वारा अपने विचार, तथ्यों, सूचना तथा प्रभावों का आदान-प्रदान को संप्रेषण कहते है। संप्रेषण वह प्रक्रिया है जो संकेतों को व्यवस्थित, चयनित तथा प्रसारित करके ग्रहणकर्ता के …

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जीवन परिचय, प्रमुख रचनाएं, साहित्यिक विशेषताएँ

निराला छायावादी युग के महत्वपूर्ण  कवि है।  सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जीवन परिचय  सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (1897 - 1962 ई.) का जन्म संवत 1953 वि. वसंत पंचमी के दिन ग्राम गढ़कोला जनपद उन्नाव में हुआ था। इनके पिता का नाम पं. राम सहाय त्रिपाठी था। …

सुमित्रा नंदन पंत का जीवन परिचय, रचनाएं, साहित्यिक विशेषताएं

सुमित्रानन्दन पंत आधुनिक हिंदी कविता के लिए काल खंड में रचना कार्य करते हें, वह बीसवीं शताब्दी का सामाजिक सांस्कृतिक जागरण युग है। भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दिनों का एक विशाल जागरण उनके सामने मोजूद था। राजनीतिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में रामकृष्ण पर…

द्विवेदी युग की साहित्यिक प्रवृत्तियाँ, नामकरण एवं युगीन परिस्थितियाँ।

हिंदी साहित्य के आधुनिक काल में एक नवीन मोड़ आया। साहित्यकारों का चिंतन व्यष्टि से समष्टि, वैयक्तिक से सामाजिक, जड़ता से चेतना, स्थायित्व से प्रगति, श्रृंगार से देशभक्ति, रूढ़ि से स्वच्छंदता की ओर अग्रसर हुआ। भारतेंदु युग के कवियों में भावबोध आधुनिकता…

द्विवेदी युग के प्रमुख कवि और उनकी रचनाएं

द्विवेदी युग के प्रमुख कवि आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी, मैथिली शरण गुप्त, पं. रामचरित उपाध्याय, पं. लोचन प्रसाद पांडेय, राय देवी प्रसाद ‘पूर्ण’, पं. नाथू राम शर्मा, पं. गया प्रसाद शुक्ल ‘सनेही’, पं. राम नरेश त्रिपाठी, लाला भगवानदीन ‘दीन’ पं. रूप नार…

पंडित बालकृष्ण भट्ट का जीवन परिचय, रचित नाटक, साहित्यिक विशेषताएँ

पंडित बाल कृष्ण भट्ट (सन् 1844 - 1914 ई0) भारतेंदु मंडल के साहित्यकारों में प्रमुख रहे हैं। संवत् 1933 वि. में पंडित बाल कृष्ण भट्ट ने गद्य साहित्य का मार्ग प्रशस्त करने हेतु हिन्दी प्रदीप का संपादन प्रारंभ किया। सामाजिक, साहित्यिक, राजनीतिक एवं नै…

प्रताप नारायण मिश्र की प्रमुख रचनाएं और साहित्यिक विशेषताएं

प्रतापनारायण मिश्र का जन्म २४ सितम्बर १९५६ को इन्नाव, उत्तर प्रदेश में हुआ था । इनके पिता ज्योतिषी थे, इनके पिता भी इन्हें ज्योतिष बनाना चाहते थे, किन्तु इनका मन पढ़ाई में अधिक लग रहा था । इन्होंने अंग्रेजी, उर्दू, फारसी, संस्कृत, हिन्दी और बंगला भाषा…

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