सूफी शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई ? सूफी मत का भारत में प्रवेश कब और कैसे हुआ

सूफी मत इस्लाम धर्म का ही एक अंग है। सूफी शब्द की उत्पत्ति सूफी शब्द कैसे चल पड़ा? कुछ लोगों की धारणा है कि सऊदी अरब के एक पवित्र नगर मदीना में मस्जिद के सामने एक सुफ्फा (चबूतरा) था, उस पर जो फकीर बैठते थे, वे सूफी कहलाये। प्रसिद्ध इतिहासकार अलबरूनी (…

ज्ञानाश्रयी शाखा की विशेषताएं

ज्ञानाश्रयी शाखा की विशेषताएं निर्गुण उपासना इस शाखा के कवियों ने ईश्वर को निर्गुण माना है। निराकार ब्रह्म की भक्ति को आलम्बन बनाना कठिन होता है। इसके सम्बन्ध में ज्ञान की चर्चा सुलभ होती है। कबीर ने सिद्धों और नाथों की विचारधारा को और आगे बढ़ाया और …

उर्दू साहित्य का इतिहास और उर्दू साहित्य का विकास

आगरा तथा दिल्ली के आस-पास की हिंदी अरबी-फारसी तथा अन्य विदेशी शब्दों के सम्मिश्रण से विकसित हुई है। इसका दूसरा नाम ‘उर्दू’ भी है। मुसलमानी राज्य में यह अंतरप्रांतीय व्यवहार की भाषा थी। 19वीं शताब्दी में ‘हिंदुस्तानी’ का शब्द उर्दू का वाचक बन गया था। …

रिपोर्ताज किसे कहते हैं? - अर्थ, परिभाषा

यह गद्य में लेखन की एक विशिष्ट शैली है। रिपोर्ताज से आशय इस तरह की रचनाओं से है जो पाठकों को किसी स्थान, समारोह, प्रतियोगिता, आयोजन अथवा किसी विशेष अवसर का सजीव अनुभव कराती हैं। गद्य में पद्य की सी तरलता और प्रवाह रिपोर्ताज की विशेषता है। अच्छा रिपोर्…

निबंध का अर्थ, परिभाषा, उद्भव और विकास

साहित्य की प्रमुख दो विधाएँ ‘गद्य-पद्य’ हैं। गद्य आधुनिक काल की प्रमुख देन है। गद्य की अनेक विधाओं में निबंध विशेष विधा है। मुद्रण कला के विकास ने पत्र-पत्रिकाओं के प्रचार-प्रसार को अत्यधिक बढ़ा दिया जिसके परिणामस्वरूप निबंध की लोकप्रियता एवं वैविध्य…

हिंदी का प्रथम संस्मरण और हिंदी संस्मरण का विकास

हिंदी साहित्य में संस्मरणों का अभाव नहीं है। हिंदी संस्मरण के विकास में सरस्वती, सुधा, माधुरी, चांद तथा विशाल भारत आदि पत्रिकाओं का विशेष योगदान है। हिंदी का प्रथम संस्मरण सन् 1907 ई. में बाबू बाल मुकुंद गुप्त ने पं. प्रतापनारायण मिश्र एक संस्मरण ल…

हिन्दी नाटक उद्भव एवं विकास

नाटक शब्द की व्युत्पत्ति संण् नट् (नाचना) + घ´ से हुई है जिसका अर्थ नच्च, नाच, नृत, नृत्य, नकल या स्वांग होता है। नाटक से पूर्व नट् से नाट शब्द व्युत्पन्न हुआ है। इसलिए नाटक से नाट की व्युत्पत्ति देखी। नाटक शब्द की व्युत्पत्ति नाटक-  संण् नट् + ण्वुल…

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